‘इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग’ यह टर्म धीरे-धीरे सेहत के प्रति जागरूक लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो चुका है. यहां इसके बारे में जानकारी देने से पहले ही हम आपको बता देना चाहते हैं कि डायट के इस तरीक़े को अपनाने से पहले आप अपने डॉक्टर से बात कर लें और उनकी रज़ामंदी के बाद ही इसे अपनाने के बारे में सोचें. इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग एक ऐसा डायट प्लान है, जिसमें आप कुछ नियमित घंटों के अंतराल के बाद के बाद भोजन लेते हैं या उपवास यानी फ़ास्ट करते हैं. आइए, इसके बारे में और बातें जानते हैं.
इन दिनों हम शारीरिक श्रम कम करते हैं और भोजन ज़्यादा. यही वजह है कि अधिकतर लोग मोटापे, डायबिटीज़ या फिर अन्य लाइफ़स्टाइल संबंधी बीमारियों से त्रस्त रहते हैं. ऐसे में यह इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग की संकल्पना कई लोगों की मदद कर रही है, जिससे वे वज़न को नियंत्रण में रखने और सेहतमंद बने रहने में सफल हो रहे हैं. यह एक ऐसा ईटिंग प्लान है, जिसमें आप नियमित अंतराल रखते हुए भोजन खाते हैं या फिर भोजन खाना बंद कर देते हैं.
क्या है इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग?
यह अपने भोजन को इस तरह खाने का तरीक़ा है कि आप 24 घंटों की एक नियत अवधि में ही भोजन लें और बाक़ी के समय फ़ास्ट रखें. ऐसा करने से हमारा शरीर, शरीर में मौजूद अतिरिक्त वसा का इस्तेमाल कर ऊर्जा लेता है, जिससे वज़न नियंत्रित होता है. कई शोधों में इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग के और भी लाभ पाए गए हैं.
इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग कई तरह से की जाती है, आप दिन के कुछ तयशुदा घंटों में भोजन खा सकते हैं और बाक़ी के समय उपवास रखते हैं या फिर सप्ताह में दो दिन एक ही वक़्त खाना खाते हैं. इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग को लेकर एक थ्योरी यह भी है कि हमारा शरीर कई घंटों या कई दिनों तक भूखा रह सकता है. जब मनुष्य स्टोन एज में था, तब शिकार कर के अपना भोजन जुटाता था. शिकार न मिलने पर लंबे समय तक भूखा भी रहता था और बावजूद इसके स्वस्थ भी रहता था.
इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग कैसे काम करता है?
दरअसल जब हम लंबे समय तक उपवास करते हैं तो शरीर की गतिविधियों को जारी रखने के लिए हमारे शरीर में मौजूद वसा पिघलकर ऊर्जा में बदलने लगती है. इससे हमारी रक्त नलिकाओं में कीटोन्स रिलीज़ होते हैं. हमारा मेटाबॉलिज़्म बढ़ता है और वज़न कम होने की प्रकिया शुरू हो जाती है.
कितने तरह की होती है इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग?
जैसा कि हमने ऊपर ही बताया कि दिन की नियत अवधि में खाना और उसके बाद उपवास रखना, इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग में यही किया जाता है. पर इसके भी कई तरीक़े हो सकते हैं. यहां हम आपको उनमें से कुछ के बारे में बता रहे हैं:
1. सोलह घंटों का उपवास यानी 16:8
इस डायट प्लान के मुताबिक़, दिन के 24 घंटों में से 16 घंटे फ़ास्ट किया जाता है और बचे हुए आठ घंटों में भोजन लिया जा सकता है. चूहों पर किए गए एक शोध में पाया गया है कि उनके खाने के समय को आठ घंटे के लिए सीमित करने पर उनमें ओबीसिटी, डायबिटीज़ और लिवर की बीमारियों से जुड़े ख़तरे, उन चूहों की तुलना में कम पाए गए, जिन्हें कभी भी उनकी मर्ज़ी के मुताबिक़ खाने दिया गया.
2. सप्ताह में दो दिनों का उपवास यानी 5:2
इस तरह की इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग में सप्ताह में 5 दिनों तक सामान्य सेहतमंद भोजन खाया जाता है, जबकि बचे हुए दो दिनों में कैलरी की मात्रा बहुत कम ली जाती है. यदि आप इस तरह की इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग करना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि दो फ़ास्टिंग वाले दिनों के बीच कम से कम एक सामान्य भोजन लेने वाला दिन ज़रूर रखें. मसलन- आप मंगलवार और शुक्रवार को फ़ास्टिंग वाले दिन चुन सकते हैं या सोमवार और गुरूवार के दिन उपवास रख सकते हैं. उपवास वाले दिन आप 500-600 कैलरी का भोजन कर सकते हैं.
3. एक दिन के अंतराल पर इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग
ऐसी इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग के दौरा एक दिन सामान्य तरह से भोजन लिया जाता है और अगले दिन फ़ास्ट किया जाता है. कई लोग उपवास वाले दिन केवल पेय पदार्थ ही लेते हैं तो कई लोग 500-600 कैलरी वाला भोजन.
अमेरिका में हुई एक रिसर्च में यह भी पाया गया कि एक दिन के अंतराल पर की गई इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग मोटापे से ग्रस्त वयस्कों का वज़न कम करने में काफ़ी कारगर है.
4. अपनी सुविधा से दिन का एक भोजन छोड़ देना
यह भी इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग का एक तरीक़ा है, जिसमें लोग अपनी सुविधा से नाश्ता, लंच या डिनर में से कोई एक भोजन नहीं खाते हैं. यह आप अपने वरीयता के आधार पर कर सकते हैं, जैसे- कुछ लोगों को सुबह ज़्यादा भूख लगती है तो वे डिनर स्किप कर सकते हैं, जिन्हें रात का भोजन लिए बिना नींद नहीं आती वे लंच या ब्रेकफ़ास्ट में से कोई एक भोजन छोड़ सकते हैं.
यदि आप इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग का मन बना रहे हैं तो इन बातों पर ज़रूर ध्यान दें:
• अपने डॉक्टर की सलाह के बिना इसकी शुरुआत न करें.
• यदि चाहें तो अपने भोजन को प्लान करने के लिए किसी डायटीशियन की मदद ले सकते हैं.
• उपवास के दौरान हाइड्रेटेड रहें यानी ख़ूब पानी पिएं.
• इंटरमिटेन्ट फ़ास्टिंग में कैलोरी रहित पेय पिए जा सकते हैं, जैसे- ब्लैक कॉफ़ी, हर्बल टी, बिना शक्कर की चाय, सौंफ वाला पानी, जीरे वाला पानी, अदरक वाला पानी आदि, जिसमें नमक या शक्कर न डला हो.
• जिस समय आप भोजन ले सकते हैं, उस समय आपको केवल सेहतमंद भोजन ही लेना है, जैसे-मौसमी फल, मौसमी हरी सब्ज़ियां, अनाज, अंडे, मछली, दालें, ड्राइ फ्रूट्स वगैरह.
• जंक फ़ूड आपको पूरी तरह से बंद करना होगा, अन्यथा इसके अच्छे नतीजे नहीं मिलेंगे.
• अपने भोजन को स्वादिष्ट और ख़ुशबूदार बनाने के लिए आप अपने पसंदीदा मसालों, कसूरी मेथी, लहसुन, ऑरीगैनो, हर्ब्स वगैरह का इस्तेमाल कर सकते हैं.
• अपने भोजन को इस तरह चुनें कि उसमें कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, फ़ाइबर्स, सेहतमंद फ़ैट्स, जैसे- घी या कोल्ड प्रेस्ड तेलों का समावेश हो. इसके अलावा आपको सभी तरह के विटामिन्स और मिनरल्स भी मिलते रहें.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट