हर बीतते दिन के साथ हम कहते हैं कि दुनिया बदल रही है और यहां जीना कठिन होता जा रहा है. इन नकारात्मक विचार को दिमाग़ से निकालने का काम करती है जया जदवानी की यह छोटी-सी कविता ‘यह सबसे कठिन समय नहीं’.
नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं!
अभी भी दबा है चिड़िया की
चोंच में तिनका
और वह उड़ने की तैयारी में है!
अभी भी झरती हुई पत्ती
थामने को बैठा है हाथ एक
अभी भी भीड़ है स्टेशन पर
अभी भी एक रेलगाड़ी जाती है
गंतव्य तक
जहां कोई कर रहा होगा प्रतीक्षा
अभी भी कहता है कोई किसी को
जल्दी आ जाओ कि अब
सूरज डूबने का वक़्त हो गया
अभी भी कहा जाता है
उस कथा का आख़िरी हिस्सा
जो बूढ़ी नानी सुना रही सदियों से
दुनिया के तमाम बच्चों को
अभी भी आती है एक बस
अंतरिक्ष के पार की दुनिया से
लाएगी बचे हुए लोगों की ख़बर!
नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं!
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