किसी का आना हमारे जीवन को किस क़दर ख़ुशियों से भर देता है, उज्जैन की स्वप्ना मित्तल की यह प्रेम रंग में रंगी कविता बताती ही नहीं, बल्कि प्रेम की भाषा में समझा भी जाती है.
तुम आए बसंत की तरह
लाए बहुत सारे रंग, ख़ुशी, उल्लास और प्रेम
मेरे हृदय को भी दे दिया एक बसंत
कि मन की शाख पर कोई कोयल कूकती नहीं थी
व्याकुल-सा मन, प्रतीक्षित नैन, आसमान में कई प्रश्न चिन्ह छोड़ जाते थे
कोई गीत हो, कोई मौसम हो, कोई रंग हो, कोई राग हो
कुछ छूता ही नहीं था हृदय को
चाहता था मन भीगना पर बंजर-सा हृदय हो गया था
फिर तुम आए बसंत की तरह
लाए बहुत सारे रंग, ख़ुशी, उल्लास और प्रेम
रंग दिया मन को, हृदय को भीगो दिया अपने केसरिया प्रेम से
बजने लगी कानो में प्रेम के मंत्रों की ध्वनि
बन गए हृदय पर प्रेम के कई स्वस्तिक चिन्ह
जल उठे सब और शुभता के दीपक,
लगा जैसे प्रकृति ने अपने सारे रंग भर दिए जीवन में तुम्हे भेजकर
तुम आए बसंत की तरह
लाए बहुत सारे रंग, ख़ुशी, उल्लास और प्रेम
मेरे हृदय को भी दे दिया एक बसंत
भगवान शिव की नगरी उज्जैन की स्वप्ना मित्तल एक योगा टीचर हैं. इंग्लिश लिटरेचर में एमए हैं और मन की भावनाओं को हिंदी कविता के माध्यम से व्यक्त करती हैं. स्वप्ना को रीडिंग और कुकिंग का शौक़ है.
Illustration: Pinterest