अक्सर हमारे देश के समृद्ध लोगों का यह कहना कि वे ग़ैर राजनीतिक हैं, यही बात उनकी अवसरवादिता का सबसे बड़ा उदाहरण है. यह तटस्थता देर-सबेर हम सब पर भारी पड़ेगी. यही बात यहां समझा रहें जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार.
हमारे देश में अधिकतर लोगों कहते हैं कि वे कोई राजनैतिक व्यक्ति नहीं हैं. उनके लिए सभी पार्टियां एक जैसी हैं और वे अराजनैतिक व्यक्ति हैं. लेकिन यह तो सच है ना कि आप देशप्रेमी हैं, आप सरकार का समर्थन करते हैं, आप अपनी सेना और पुलिस का भी पूरा समर्थन करते हैं.
आप दलितों पर होने वाले अन्याय से इसलिए प्रभावित नहीं होते, क्योंकि आप जातपात को नहीं मानते.आप आदिवासियों के साथ होने वाली हिंसा पर इसलिए ध्यान नहीं देते, क्योंकि आदिवासी नक्सलवादियों को समर्थन देते हैं और इसलिए पुलिस उन्हें मारती है.
आपको मुसलमानों के साथ होने वाले अन्याय से कोई परेशानी इसलिए नहीं होती, क्योंकि आप साम्प्रदायिक भी नहीं हैं. आपका कहना है कि आप ग़ैर राजनैतिक व्यक्ति है.आपको राजनीति में कोई रुचि नहीं है, लेकिन आप असल में झूठ बोल रहे हैं.
यही सबसे बड़ी राजनीति है
आपका यह कहना कि आपकी कोई राजनीति नहीं है, यही आपकी सबसे बड़ी राजनीति है. असल में आपको राजनीति में भाग लेनी की ज़रूरत इसलिए नहीं है, क्योंकि राजनीति इस समय देश में जो कुछ कर रही है, आप उसके कारण बड़े आराम मे हैं.
ध्यान से देखिए, अपने आप को. आपके पास एक नौकरी है. आप एक मजदूर या किसान से कई गुना कम काम करते हैं, लेकिन आपको कई गुना ज़्यादा रुपए मिलते हैं.
आपकी बिजली के लिए आदिवासी का घर तोड़ा जाता है, आपके मकान में लगे सीमेंट के लिए कई गांव के लोग अस्थमा से खांस कर दम तोड़ते हैं, आपके लोहे के लिए कई नदियां लाल गाद से भर जाती है, उसमें फंस कर कई हज़ार जानवर मर जाते हैं, कई किसान बरबाद हो जाते हैं.
आपके घर में लगे दरवाज़ों और फ़र्नीचर के लिए कितने ही जंगल काट डाले गए, विरोध करने वाले आदिवासी परिवारों को जेलों में ठूंस दिया गया. आप जिस कंपनी में काम करते हैं, उसके लिए कच्चे माल के लिए कितने ही लोगों की ज़मीनों को छीनने के लिए पुलिस नें विरोध करने वाली आदिवासी महिलाओं से बलात्कार किया. और आप कहते हैं कि आप ग़ैर राजनैतिक हैं. झूठ, सरासर झूठ!
आप लोगों जैसा वर्ग बहुत छोटा है
इस सब अन्याय होते हुए चुपचाप देखते रहना ही आपकी राजनीति है.आपकी राजनीति यह है कि जब तक आप ख़ुद मज़े उड़ा रहे हैं, तब तक आप चाहते हैं कि सब कुछ ऐसे ही चलता रहे. लेकिन मज़ा उड़ने वाला आपका वर्ग बहुत छोटा है. देश में ज़्यादातर लोग वह हैं, जो तकलीफ़ में है.
जो तकलीफ़ में हैं वो चाहते है कि सब कुछ बदल जाए इसलिए ये लोग हड़ताल करते हैं, यह लोग लाइन में लग कर वोट डालते हैं. इस उम्मीद में कि शायद इस दफ़ा कुछ बदल जाएगा.
यही लोग हैं जो आदिवासी इलाकों में रैली करते हैं और पुलिस की गोलियों से मारे जाते हैं. जिनके मर जाने की ख़बर छापने के लिए अख़बारों को एक कोना भी नहीं मिलता. आप फ़िल्म ऐक्ट्रेस की नई ड्रेस की पूरे पेज की फ़ोटो चाव से देखते हैं और मुंह बिचका कर कहते हैं- आई हेट पॉलिटिक्स.
पर सच तो ये है कि आप पॉलिटिक्स से हेट नहीं करते, आप हक़ीक़त से हेट करते हैं. आप इंसाफ का साथ देने से डरते हैं. आप सोचते हैं कि सही के हक़ में आवाज़ उठाऐंगे तो आपके संगी साथी चोपड़ा, शर्मा, पांडे, अग्रवाल सब आपकी हंसी उड़ाएंगे. और बोलेंगे कि पागल हो गए हो? या कम्युनिस्ट बन रहे हो क्या? या कहेंगे कि नक्सलवादी बन रहे हो क्या? आप सोचते हैं कि कहीं सरकार या पुलिस नाराज़ ना हो जाए? कहीं आपके बेटे बेटी की जॉब पर कोई आंच ना आ जाए? कहीं पुलिस आपके दरवाज़े तक ना आ जाए?
आपकी तटस्थता चालकीभरी राजनीति है
तो जनाब आपकी राजनीति, ख़ुद की हैसियत, सुख सुविधा और रुतबे को बचाए रखने की राजनीति है.आप ग़ैर राजनैतिक बिल्कुल भी नहीं हैं, लेकिन आप जैसों के लिए ही दिनकर नें बहुत पहले लिखा था:
‘जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध ‘
आपका तटस्थ होना ही आपकी चालकी से भरी राजनीति है.
ठीक इसी मुद्दे पर भगत सिंह ने वाइसराय को खत लिख कर कहा था- हम मानते हैं हम एक युद्ध में शामिल हैं, लेकिन यह युद्ध आपने शुरू किया है. आपकी पुलिस आपकी सेना रोज़ गरीबों की ज़मीनों और जीवन के साधनों पर हमला करके उन्हें छीन रही है. इस युद्ध में आपकी पूरी सरकारी मशीनरी, आपकी सेनाएं, हथियारों के भारी ज़खीरे शामिल हैं,आपने जनता के विरुद्ध एक युद्ध छेड़ा हुआ है. हम तो सिर्फ़ जनता के ऊपर छेड़े गए आपके इस युद्ध का जवाब दे रहे हैं इसलिए आप हमें युद्ध बंदी मानिए और हमें फांसी देने की बजाय हमें गोली से उड़ा दीजिए.
आज भी एक युद्ध चल रहा है. भारतीय राज्य के सशस्त्र दस्ते आदिवासी इलाकों में जनता के विरुद्ध एक युद्ध कर रहे हैं. आपके फ़ेवरिट उद्योगपतियों के कारखानों के लिए, लोहा, कोयला, सोना, पानी, ज़मीनें, जंगल पर कब्ज़ा करने के लिए. आपके फ़ेवरिट नेता फ़ौजों को देश के किसानों, आदिवासियों को मार कर ज़मीनों पर कब्ज़ा करने का हुक्म दे रहे हैं.
आपके फ़ेवरिट सुपर स्टार इस युद्ध से आपका ध्यान हटाने के लिए आपका दिल बहला रहे हैं. ठीक इसी समय आपके फ़र्ज़ी धर्मगुरु आपको मन की शांति के झूठे नुस्ख़े दे रहे हैं. आपके पुरस्कार लोलुप कवि और साहित्यकार फ़र्ज़ी और मनगढंत विषयों पर खोखले साहित्य का कचरा आपको परोस रहे हैं. और आप कहते हैं आपको इस अब से कोई लेना देना नहीं है? आप कहते है कि आप ग़ैर राजनैतिक हैं?
बिलकुल झूठ, आप घोर राजनैतिक, स्वार्थी, चालाक और डरपोक व्यक्ति हैं.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट, altpick.com