जब बात फल खाने या फिर फलों का रस यानी फ्रूट जूस पीने के बीच चुनाव करने की आए तो बहुत संभव है कि आपको जूस पीना ज़्यादा आसान और सेहतमंद विकल्प लगे, लेकिन क्या यह बात वाक़ई सच है? यहां हम इसी बात की पड़ताल कर रहे हैं.
यदि आप भी यह सोचकर ढेर सारा फ्रूट जूस पीते/पीती हैं कि यह बहुत सेहतमंद होता है तो आपको बता दें कि सामान्यत: एक फल खाने की तुलना में फ्रूट जूस पीना कम सेहतमंद होता है. फिर चाहे आप आप अपने सामने तुरंत ही फल छील, काटकर उसका रस घर पर ही ब्लेंड कर के क्यों न निकाल रहे हों. दरअसल, फ्रूट जूस फल के जितना पोषक नहीं होता है.
डायटरी फ़ाइबर्स फलों को सेहतमंद बनाते हैं
फ्रूट जूस में फलों का छिलका और उसमें मौजूद डायटरी फ़ाइबर्स अलग हो जाते हैं. ये डायटरी फ़ाइबर्स भोजन को पचाने में अहम् भूमिका निभाते हैं. जब हम एक फल खाते हैं तो उसमें मौजूद ये डायटरी फ़ाइबर्स फलों में मौजूद प्राकृतिक शुगर को हमारे रक्त में एकदम से मिलने नहीं देते, बल्कि शरीर इन्हें धीरे-धीरे अवशोषित करता है. इस तरह यह प्राकृतिक शुगर हमारे ख़ून में धीमी गति से मिलती है, लंबे समय तक ऊर्जा देती है. जबकि जब हम फ्रूट जूस पीते हैं तो उसमें मौजूद प्राकृतिक शुगर की मात्रा ज़्यादा होती है (चूंकि एक ग्लास जूस बनाने के लिए आपको कम से कम दो या तीन फलों का इस्तेमाल करना पड़ता है), जो बहुत तेज़ी से हमारे शरीर में अवशोषित होकर ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा देती है. जैसे ही शरीर में शक्कर की मात्रा बढ़ती है, हमारा शरीर इसके संतुलन के लिए इंसुलिन बनाने लगता है. इस तरह ये बढ़ी हुई शक्कर की मात्रा एकदम से कम होने लगती है, जिससे आपको थोड़ी ही देर बाद भूख लगने लगती है.
कुछ रिसर्च पर डालिए नज़र
एक रिसर्च में पाया गया है कि यदि आप रोज़ाना एक ग्लास शुद्ध फ्रूट जूस पीते हैं तो तीन वर्ष में आपका वज़न एक पाउंड तक बढ़ सकता है, जबकि यदि आप रोज़ाना एक प्लेट फ्रूट्स खाते हैं तो तीन वर्ष के भीतर आपका वज़न एक पाउंड तक कम हो सकता है.
लगभग 50000 रजोनिवृत्त महिलाओं पर किए गए एक शोध में पाया गया है कि रोज़ाना फ्रूट जूस पीने वाली महिलाओं का वज़न रोज़ाना शुगर वाले ड्रिंक्स, जैसे- सोडा वगैरह, पीने वाली महिलाओं जितना ही बढ़ गया.
वहीं अमेरिकन जनरल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रिशन स्टेट्स में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, कुछ स्वस्थ वालंटियर्स को संतरे और अंगूर का जूस जितनी शुगर वाला भोजन दिया गया, जबकि कुछ को संतरे और अंगूर के फलों जितनी शुगर वाला भोजन दिया गया. इसके बाद किए गए मूल्यांकन में पाया गया कि फल के बराबर शुगर वाला भोजन करने वालों को भूख देर से लगी, जबकि जूस के बराबर शुगर वाला भोजन करने वालों को जल्द ही फिर भूख लग आई. फल खाने वालों का इन्सुलिन रेस्पॉन्स भी कम था.
फलों के रस में कम पोषक तत्व होते हैं
कई फलों के गूदे और छिलके में बहुत सारे विटामिन्स और पोषक तत्व पाए जाते हैं. इनका जूस निकालने से बहुत से न्यूट्रिएंट्स बचे हुए गूदे में ही रह जाते हैं. उदाहरण के लिए संतरों में फ़्लैवोनॉइड्स पाए जाते हैं, लेकिन इनका अधिकतर हिस्सा संतरे के गूदे में ही होता है, जूस में नहीं. इस तरह फलों के जूस की तुलना में फल खाना बेहतर विकल्प है, क्योंकि इससे हमें फल के सभी पोषक तत्व और डायटरी फ़ाइबर्स मिलते हैं.
फलों को अपने भोजन में इस तरह करें शामिल
यूं तो सेहतमंद रहने के लिए रोज़ाना दिन में एक बार फल ज़रूर खाना चाहिए. लेकिन यदि आपको फल ज़्यादा पसंद नहीं हैं तो आप इस तरह उन्हें अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं.
• स्नैक्स खाने का मन हो तो उसकी जगह फल खाएं.
• आप फलों को सलाद में मिक्स कर सकते हैं. इससे सलाद का स्वाद बेहतर हो जाएगा.
• पीनट बटर या जैम वाला सैंडविच पसंद करते हैं तो उसके बीच में केला, चीकू या सेब लगाया जा सकता है.
• फलों वाले डिज़र्ट बना सकते हैं. कस्टर्ड, खीर या पुडिंग के साथ भी ताज़े फल बहुत अच्छे लगते हैं.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट