पीरियॉडिक टेबल के जनक, रूसी वैज्ञानिक दमित्री मेंदेलीव की शख़्सियत से आपको रूबरू करवा रहे हैं जानेमाने लेखक, अनुवादक अशोक पांडे. हाल ही में जबकि हमारे यहां एनसीईआरटी के दसवीं कक्षा के पाठ्यक्रम से पीरियॉडिक टेबल को हटा दिया गया है. इसके मद्देनज़र यह सही समय है कि जब हम इस महान वैज्ञानिक के योगदान और उनके जीवन संघर्षों के बारे में जानें.
चौदह भाई-बहनों में सबसे छोटे दमित्री मेंदेलीव के पिता जब अंधे हो गए तो घर पर खाने के लाले पड़े. मां मारिया ने कांच बनाने वाली एक फ़ैक्ट्री में काम करना शुरू किया, ताकि परिवार का पेट पाला जा सके. एक-एक कर बच्चे अपने पैरों पर खड़े होते गए.
दमित्री के भीतर बचपन से ही बड़ी प्रतिभा थी, जिसे उसकी मां ने काफ़ी पहले पहचान लिया था. सारे घर का भार अपने कंधों पर उठाते हुए भी मारिया अपने इस प्रतिभावान बच्चे की पढ़ाई के लिए थोड़ा-थोड़ा पैसा बचाती आ रही थी.
साल था 1848, जब कांच फ़ैक्ट्री में आग लग गई. परिवार फिर से ग़रीबी का मुंह ताकने लगा. मारिया के सामने दो रास्ते थे – या तो किसी और जगह काम ढूंढ़ें या दमित्री की प्रतिभा के लिए कुछ करें. उन्होंने दूसरा रास्ता चुना और अपने नगर से कोई ढाई हजार मील दूर मॉस्को जाने का फैसला किया. दमित्री और एक बेटी एलिज़ाबेथ को छोड़कर उनके बाक़ी बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो चुके थे सो यह फ़ैसला लेने में उन्हें वैसी दिक़्क़त नहीं हुई जैसी दस साल पहले हो सकती थी.
यह कहानी कई जगहों पर विस्तार से लिखी जा चुकी है कि किस तरह वर्ष 1849 में मारिया बेटे दमित्री और बेटी एलिज़ाबेथ को लेकर अपने घर साइबेरिया से यूराल पर्वत के वीरान फैलाव को पार कर, कभी स्लेजगाड़ी से, कभी घोड़ागाड़ी से, कभी लिफ़्ट मांगकर और अक्सर पैदल चलती हुई ढाई हज़ार मील दूर मास्को पहुंचीं, ताकि बेटे को यूनिवर्सिटी में दाख़िला मिल सके. वहां दाख़िला नहीं मिला तो सात सौ मील दूर पीटर्सबर्ग की यात्रा करनी पड़ी.
बेटे को आख़िरकार साइंस पढ़ने को मिला. अलबत्ता इतनी लम्बी हाड़तोड़ यात्रा के बाद मारिया को टीबी हो गई और सितम्बर 1850 में उनकी मौत हो गई.
बीस साल की मेहनत और रिसर्च के बाद जब दमित्री मेंदेलीव ने पीरियॉडिक टेबल की परिकल्पना को साकार किया तो वह उस समय के विज्ञान जगत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानी गई. दमित्री मेंदेलीव ने अपने काम को जिस किताब की सूरत में छापा उसके पहले पन्ने पर लिखा – “यह शोध एक मां की स्मृति को उसके सबसे छोटी संतान द्वारा समर्पित है. “
हाल ही में हमारे यहां दसवीं की किताबों से पीरियॉडिक टेबल वाला चैप्टर हटा दिए जाने की ख़बर है. कारण यह कि कोरोना के बाद से बच्चों के ऊपर से पढ़ाई का बोझ कम किये जाने पर जोर दिया जा रहा है. पीरियॉडिक टेबल की कहानी एक मां के समर्पण की वजह से मुझे बहुत प्रिय है. इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि कैमिस्ट्री के अलावा फ़िज़िक्स की भी बुनियाद मानी जाने वाली इस टेबल को बच्चों के लिए बोझ माना गया.
फ़ोटो साभार: गूगल