सेतु बंधासन यानी ब्रिज पोज़ हमारी सेहत को कई तरह से फ़ायदा पहुंचाता है. इसे योग रूटीन में शामिल करने से न सिर्फ़ आपका मेटाबॉलिज़्म सुधरेगा, बल्कि तनाव, चिंता और नींद न आने की समस्या यानी इन्सोम्निया में भी फ़ायदा पहुंचेगा. आइए जानते हैं कि किस तरह किया जाता है सेतु बंधासान और इसके क्या फ़ायदे होते हैं.
योग एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है, जिसके तहत हम पशु-पक्षियों या आसपास दिखाई देने वाली चीज़ों जैसी मुद्राओं का अभ्यास करते हैं. ये मुद्राएं या आसान हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत बनाती हैं, जिससे हमारा शरीर ख़ुद को स्वस्थ रखने की क्षमता हासिल कर लेता है. इन्हीं योगासनों में से एक आसन है सेतु बंधासन या ब्रिज पोज़. योग की यह मुद्रा किसी नदी या नाले पर बने पुल से प्रेरित होती है, जिसे हिंदी में सेतु और अंग्रेज़ी में ब्रिज कहा जाता है.
सेतु बंधासन मुद्रा का अभ्यास करने के कई फ़ायदे होते हैं. यह शरीर को मज़बूत बनाता है, रक्त संचार सुधारता है, मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाता है और तनाव व एंग्ज़ाइटी को कम करने में सहायक है. जैसा कि हमने बताया कि सेतु बंधासन मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाता है, जिसकी वजह से हमारा पाचन सुधरता है. चूंकि यह आसन करने से शरीर का रक्त प्रवाह सुधरता है अत: तनाव से राहत मिलती है, थकान कम होती और नींद की गुणवत्ता में भी सुधार आता है. इस आसन को करते वक़्त हमारा हृदय ऊपर की ओर और सिर नीचे की ओर होता है अत: सिर की ओर रक्त का प्रवाह ज़्यादा होता है, जिससे स्ट्रेस और डिप्रेशन में भी कमी आती है. सेतु बंधासन के अभ्यास से पेड़ू यानी पेल्विक क्षेत्र मज़बूत बनता है. एक उम्र के बाद यदि पेल्विक क्षेत्र कमज़ोर हो तो खांसते, छींकते या हंसते समय थोड़ा पेशाब निकल जाता है. सेतु बंधासन से पेल्विक मज़बूत बनता है और इस समस्या से छुटकारा दिलाता है.
तो अब जबकि आपने सेतु बंधासन के इतने फ़ायदे जान लिए हैं, आइए जानते हैं कि इसे किस तरह किया जाता है?
• योग मैट पर पीठ के बल लेटें. सांसों की गति सामान्य हो और आपके हाथ आपके बग़ल में हों.
• घुटनों को मोड़ लें और आपकी एड़ियां आपके नितंब यानी हिप्स के क़रीब हों.
• हाथ, पैर और कंधे का हिस्सा ज़मीन को स्पर्श करता रहे और अब सांस लेते हुए अपने हिप्स व कमर के हिस्से को जितना ऊपर उठा सकें, उठाएं. इस तरह एक ओर आपके पैर व दूसरी ओर कंधे का हिस्सा ज़मीन पर होंगे और आपके कोर रीजन यानी पीठ, पेट व हिप्स हवा में किसी पुल की तरह होंगे.
• इस स्थिति में अपने पेट के निचले हिस्से, जननांगों व हिप्स को अंदर की ओर खींचे और जितने देर आसानी से रोक सकें, अपनी सांसों को रोकें.
• अब सांस छोड़ते हुए वापस ज़मीन पर आ जाएं.
• दस-पंद्रह सेकेंड के अंतराल पर इस योग का पांच से दस बार अभ्यास करें. कोशिश करें कि धीरे-धीरे आप इस पोज़ को होल्ड करने की क्षमता बढ़ती जाए.
नोट: यदि आपको पीठ, कमर दर्द, ब्लड प्रेशर आदि की समस्या है या फिर हाल में आपकी कोई सर्जरी हुई है तो हमारी सलाह है कि किसी डॉक्टर से परामर्श लेकर, किसी योग इंस्ट्रक्टर की मदद से ही सेतु बंधासन का अभ्यास शुरू करें.
फ़ोटो: फ्रीपिक