हम सभी को कभी न कभी ग्लानि या अपराधबोध की भावना महसूस हुई होगी और आगे भी समय-समय पर यह महसूस होती रहेगी, क्योंकि यह स्वाभाविक है. यह भावना जहां हमें अनैतिक काम करने से रोकने में अहम भूमिका निभाती है, गलत काम करने से रोकती है या उसका पछतावा महसूस कराते हुए आगे हमें वह काम न दोहराने की प्रेरणा देती है, वहीं यदि यह भावना ज़रूरत से ज़्यादा महसूस होने लगे तो दैनिक जीवन पर बुरा असर डालने लगती है. यहां हम यही बता रहे हैं कि लगातार महसूस होती ग्लानि से आप कैसे उबर सकते हैं.
हममें से अधिकतर लोग जब भी कोई गलती करते हैं और हमें इस बात का एहसास होता है कि हमने गलती की है तो यह महसूस करते हुए ग्लानि, अपराधबोध या गिल्ट से भर जाते हैं. इस ग्लानि से सीख लेते हुए जीवन में हम फिर ऐसी गलती न करने का निर्णय लेते हैं और आगे बढ़ जाते हैं. गिल्ट के प्रति यही सामान्य प्रतिक्रिया होती है. इस लिहाज़ से गिल्ट होना सकारात्मक है. लेकिन समस्या तब आती है, जब आपके भीतर ग्लानि की यह भावना लगातार बनी रहती हो. सतत बनी रहने वाली ग्लानि की भावना आपको तनाव, चिंता या यहां तक कि अवसाद से ग्रस्त बना सकती है. तो आइए जानते हैं कि क्यों होती है ग्लानि और इससे किस तरह पाया जा सकता है पार.
क्या है ग्लानि?
ग्लानि की भावना स्व-आलोचना से पनपती है और अमूमन हमें तब महसूस होती है, जब हमारे किसी काम से किसी दूसरे व्यक्ति को बुरा महसूस होता है. यह भावना हमें सही/गलत, अच्छा/बुरा, नैतिकता और सदाचार का संकेत देती है और सही गुणों को अपनाने की प्रेरणा देती है.
जब हम कोई ऐसा काम करते हैं, जो हमारी अपनी नैतिकता की कसौटी पर खरा नहीं होता तो हमें ग्लानि महसूस होती है. और हम आगे वैसा काम करने से बचते हैं. इस तरह देखा जाए तो यह भावना हमें सही काम करने को प्रेरित करती है. लेकिन यदि पूरे समय अपराधबोध आपके ऊपर हावी रहे तो यह आपके जीवन के सभी पहलुओं पर बुरा असर डालता है.
ग्लानि महसूस करने के कारण
हर किसी के लिए ग्लानि महसूस करने का अलग कारण हो सकता है. अक्सर गिल्ट महसूस करने के मुख्य कारण होते हैं: आपके नैतिक मूल्य, आपका भरोसा, पारिवारिक संस्कार, सामाजिक नियम, कामकाज की नीतियां वगैरह. यदि आपसे इनमें से किसी का जाने-अनजाने उल्लंघन होता है तो ग्लानि की भावना पनप सकती है. यह आत्म आलोचना या आत्मनिरक्षण से पनपती भी है और इनकी वजह से और गहरी भी हो सकती है.
कब महसूस होती है लगातार ग्लानि
यदि आपको किसी वजह से ग्लानि हो रही है और आप उसे दबाना चाहें या उसकी उपेक्षा करना चाहें तो ग्लानि और बढ़ती है. जैसा कि हमने बताया यह नीतियों के विरुद्ध काम करने से उपजी आत्म आलोचना की देन है अत: ग्लानि को दबाना अच्छा नहीं होता और इससे यह भावना लगातार आपके साथ बनी रह सकती है.
कई बार ख़ुद को माफ़ करके आगे बढ़ जाने की इच्छाशक्ति में कमी की वजह से भी लगातार अपराधबोध बना रहता है. हम इस बात पर ध्यान देना भूल ही जाते हैं कि इतने बड़े जीवन में कुछ गलतियां होना स्वाभाविक है और जाने-अनजाने यदि हमसे यह गलती हो गई है और हमें इसका पश्चाताप है तो हमें स्वयं को माफ़ करके आगे का जीवन संवार लेना चाहिए.
ग्लानि का प्रभाव
सतत होने वाली ग्लानि का आपके ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और इसकी वजह से:
• आपको महसूस हो सकता है कि आप अच्छे/अच्छी इनसान नहीं हैं
• आप आलोचना के प्रति संवेदनशील हो सकते/सकती हैं
• आपका आत्मविश्वास कमज़ोर पड़ सकता है
• ज़रूरत से ज़्यादा सोचने या चिंता करने का स्वभाव बन सकता है
• आप अपना मत रखने में ख़ुद को अक्षम पा सकते/सकती हैं
• आपको एंग्ज़ाइटी, डिप्रेशन और ओसीडी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं
• शारीरिक तौर पर नींद न आना, लगातार रोने की इच्छा होना या फिर पाचन ठीक न रहने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं
कैसे उबरें इससे
यदि आपको किसी बात पर लगातार गिल्ट महसूस हो तो सबसे पहले उस बात पर ध्यान दें. और नीचे दिया हुआ तरीक़ा अपनाकर देखें:
– अकेले बैठें और इस बात पर ध्यान दें कि यह भावना आख़िर क्यों उपज रही है.
– ऐसा करते हुए आत्म आलोचक न बनें, बल्कि इसके कारणों पर ग़ौर करें.
– अपनी सोच को लिखें, जैसे- मैंने कोई वादा तोड़ा, मैंने नियमों का पालन नहीं किया या मैंने धोखा दिया, मैंने बच्चों को बेवजह डांटा या इसी तरह वह कारण, जिसकी वजह से आपको ग्लानि हो रही है.
– गिल्ट का कारण जान लेने भर से आपको उससे उबरने में बहुत सहायता मिलेगी. इसके बाद आप उस कारण से जुड़ी अपनी भावनाओं को भी लिखें और ख़ुद से वायदा करें कि आप उस गलती को आगे कभी नहीं दोहराएंगे/दोहराएंगी.
– आप योग और मेडिटेशन का सहारा लेकर भी अपनी गिल्ट के कारण के लिए ख़ुद को माफ़ करने और आगे बढ़ जाने का प्रयास कर सकते हैं.
– कृतज्ञता व्यक्त करना भी आपकी ग्लानि की भावना को कम करेगा. कृतज्ञता इस बात के लिए भी व्यक्त की जा सकती है कि आपको अपनी गलती का एहसास हो गया है और अब आप आगे उसे नहीं दोहराएंगे/दोहराएंगी इसके लिए आप प्रकृति या ईश्वर की कृतज्ञ हैं.
– यदि यह करने से भी आपका गिल्ट दूर नहीं हो रहा है तो आप किसी विशेषज्ञ की सलाह लेकर इससे उबरने का प्रयास करें, क्योंकि लगातार गिल्ट में रहना आपके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है.
फ़ोटो साभार: फ्रीपिक