कुछ दिनों पहले अमेरिका ने भारत से निर्यात होने वाले उत्पादों पर, विश्व में अधिकतम टैक्स लगा दिया है. भारत को टारगेट किया जा रहा है, क्योंकि भारत रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल ख़रीदता है और ट्रंप प्रशासन का मानना है कि ऐसा करके भारत यूक्रेन युद्ध को प्रायोजित कर रहा है. लेकिन क्या इस सस्ते तेल का फ़ायदा भारत के आम आदमी तक पहुंचा? यदि नहीं पहुंचा तो आख़िर फ़ायदा किसको हुआ? इसी बात का आकलन कर रहे हैं भगवान दास.
कुछ दिनों पहले अमेरिका ने भारत से निर्यात होने वालें उत्पादों पर 50% टैक्स लगा दिया. यह टैक्स विश्व में अधिकतम टैक्स है. इस तरह का टैक्स तो अमेरिका ने चीन जैसे देशों पर भी नहीं लगाया, जो उसके प्रतिद्वंदी देश माना जाता है. भारत के समकक्ष देशों जैसे वियतनाम, कोरिया पर टैक्स की दर 19% है, यहां तक कि पाकिस्तान जैसे देश पर भी टैक्स की दर इतनी ही है. भारत को टारगेट किया जा रहा है, क्योंकि भारत रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीदता है और ट्रंप प्रशासन का मानना है कि ऐसा करके भारत यूक्रेन युद्ध को प्रायोजित कर रहा है.
पर ध्यान देने वाली बात ये है कि चीन भी तो रूस से तेल ख़रीदता है. हलांकि उस पर भी अमेरिका ने आंख तिरछी की थी और टैरिफ़ 100% कर दिया था. लेकिन चीन एक बड़ा ताक़तवर देश है और उसने उल्टा अमेरिका को ‘रेयर अर्थ मटेरियल’ जिनका प्रयोग ऑटो उद्योग, बैटरी उद्योग, एविएशन, डिफ़ेंस और रिन्युअल एनर्जी सेक्टर में होता है और जिसके बिना ये सेक्टर्स चल ही नहीं सकते, उसे बंद करने की धमकी दी और अमेरिका तुरंत सम्भल गया और अपने टैरिफ़ कम कर दिए.
ज़ाहिर है कि भारत के पास ऐसा कोई लीवर नहीं है, जिससे वो अमेरिका को इस तरह बाध्य कर सके और नतीजे में ये हुआ कि भारत पे 50% टैक्स लग गया है। इस टैक्स से भारत की कई इंडस्ट्रीज़, ख़ासकर टेक्सटाइल और ज्वेलरी उद्योग बुरी तरह प्रभावित होंगे और कई लाख लोगों का रोज़गार चला जाएगा. सबसे ज़्यादा प्रभावित लोग तो निम्न मध्यम वर्ग के लोग होंगे, जो इन सेक्टर्स में नौकरी करते हैं। उनके रोज़गार पर संकट गहराता जा रहा है.
अब सच ये है कि रूस से तेल इसीलिए लिया गया, क्योंकि रूसी कच्चा तेल भारत को सस्ता पड़ता है. भारत इस तेल को अपनी रिफ़ाइनरी में रिफ़ाइन करके पेट्रोलियम उत्पाद जैसे एविएशन तेल, पेट्रोल, डीज़ल पश्चिमी देशों को बेचता है और मुनाफ़ा कमाता है. लेकिन यहां कुछ सवाल हैं:
1. अगर रूस से कच्चा तेल सस्ता पड़ता है तो उसका फ़ायदा भारत के उपभोक्ता को क्यो नहीं मिला? भारत में तेल सस्ता क्यों नहीं हुआ? और भारत के उपभोक्ता के तेल सस्ता नहीं मिल रहा तो इस सस्ते तेल का फ़ायदा किसको?
2. भारत अगर सस्ता तेल आयात करके, उसे रिफ़ाइन करके महंगे दाम पर बेचता है तो इससे किस कंपनी को सबसे ज़्यादा फ़ायदा हो रहा है?
ज़ाहिर है, भारत की सबसे बड़ी रिफ़ाइनरी तो एक प्राइवेट कंपनी है, जिसका मालिक भारत के प्रधानमंत्री का दोस्त है.
यानी रूस से सस्ता तेल ले कर, उसे रिफ़ाइन करके मोटा मुनाफ़ा दोस्त कमाए और उसके कारण अगर अमेरिका जैसा ताक़तवर देश भारत पर टैरिफ़ लगाए, देश पे कोई आर्थिक संकट आए तो उसको झेले देश का आम नागरिक, अगर टेक्सटाइल सेक्टर में नौकरी जाए तो आम व्यक्ति की. देश की आर्थिक वृद्धि की रफ़्तार कम हो तो भुगते आम आदमी.
पिछले कुछ दिनों से इस टैरिफ़ वार के बाद, भारत के प्रधानमंत्री और कई कैबिनेट मंत्री लोगों को देश भक्ति, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा रहे हैं. तो उनसे कहना है ये है कि भैया ये अच्छा है, मित्रों के लिए मुनाफ़ा और और आम लोगों के लिए देश भक्ति का लॉलीपॉप!
फ़ोटो: फ्रीपिक