इन दिनों पैन्डेमिक के फैलाव के चलते जैसा माहौल है, जैसी ख़बरें हम देख-सुन रहे हैं, उसमें ख़ुद को सकारात्मक रख पाना कठिन है. लेकिन अच्छी बात यह है कि यह नामुमकिन नहीं है. और सबसे बड़ी बात ये कि डॉक्टर्स भी ये कह रहे हैं कि जो लोग अपने स्वस्थ होने को लेकर सकारात्मक हैं, वे जल्द ही स्वस्थ हो रहे हैं. यदि आप ये सोच रहे हैं कि ऐसे में सकारात्मक कैसे रहा जाए तो यह आलेख पढ़ें. आपको कुछ मंत्र ज़रूर मिलेंगे, जो आपके काम आएंगे.
इन दिनों पूरी दुनिया में समय कठिन चल है और ऐसे में सकारात्मक बने रहने के लिए आपको कुछ ज़्यादा प्रयास करने होंगे, क्योंकि नकारात्मक विचार हमें आसानी से घेरे रहते हैं और सकारात्मक विचारों को हमें सप्रयास बुलाना पड़ता है. एक बार आपने ऐसा करना सीख लिया तो आप स्वयं पाएंगे कि विचारों को सकारात्मक रखना इतना कठिन भी नहीं है. तो आइए, जानें इस महामारी के दौर में कैसे रहा जा सकता है सकारात्मक.
ख़बरें देखने का समय सीमित रखें
टीवी पर या फिर अपने फ़ोन पर यदि आप ख़बरें देखने के इच्छुक हैं, आज की स्थिति को लेकर जागरूक रहना चाहते हैं तो आपको ऐसा ज़रूर करना चाहिए, लेकिन इसका समय सीमित भी रखें और निश्चित भी. सुबह उठने के तुरंत बाद या फिर रात को सोने जाने से ठीक पहले ख़बरें देखना बंद कर दीजिए. अच्छी नींद के बाद सुबह के समय मन और शरीर दोनों ही तरोताज़ा रहते हैं तो इस समय का सदुपयोग प्राणायम, योग या अन्य किसी तरह की एक्सरसाइज़ करने के लिए करें, ताकि यह ताज़गी दिनभर बनी रहे. नाश्ता करने के बाद 15 मिनट का समय ख़बरों के लिए पर्याप्त होगा. इससे ज़्यादा ख़बरें न देखें. रात को सोने से पहले यदि ख़बरें देखकर आपका मन उद्विग्न होगा तो आपको अच्छी, रिलैक्सिंग नींद नहीं आ सकेगी. अत: यदि ख़बरें देखना है तो सोने के कम से कम दो घंटे पहले हाइलाइट्स देख लें. इससे ज़्यादा जानकारी की आपको दरकार नहीं होगी. यह सलाह अपनाकर देखिए, बहुत व्यावहारिक और बहुत काम की है.
सोने और जागने का समय निश्चित करें
हो सकता है आपको लगे कि ये क्या बात हुई? लेकिन सोने और जागने का समय निश्चित हो तो आपकी दिनचर्या सधी हुई रहती है. आपके काम समय पर पूरे हो जाते हैं. इस रूटीन को अपनाने को लेकर आपका तन और मन दोनों ही अभ्यस्त हो जाते हैं और इससे आपको सकारात्मक ऊर्जा मिलते है. आप दिन को किस तरह बिताना है, इस बात को लेकर किसी तरह के भटकाव में नहीं आते. अपने सभी काम समय पर पूरे करते चले जाते हैं और यह बात आपको सकारात्मक बनाए रखती है.
अपनों के सम्पर्क में बने रहें
आपके घर के सदस्य हों, आपके दोस्त या फिर आपके कलीग, वे सभी लोग जिनसे आपको लगाव है या जिनका साथ आपको अच्छा लगता है, उनसे बातचीत करते रहे. ये बातें आपके भीतर कब सकारात्मकता का संचार कर देंगी आपको पता भी नहीं चलेगा. ज़्यादा नहीं, पर रोज़ाना 10 मिनट के लिए किसी एक परिजन या दोस्त से बात करके उनके हालचाल जानिए. यह बातचीत हर तरह के तनाव को हल्का कर देगी और आपको पॉज़िटिविटी से भर देगी.
ब्रेक लेने का सलीका सीखें
जी हां! हममें से अधिकतर लोगों को काम के बीच ब्रेक लेने का सलीका नहीं आता है. ख़ासतौर पर आज के समय में, जब हम घर से बाहर नहीं निकल सकते हैं. ऐसे में यदि आप दिनभर ऑफ़िस के काम में व्यस्त रहते हैं और जो छोटा-सा ब्रेक ले रहे हैं, उस समय वॉट्सऐप या सोशल-मीडिया की सैर कर आते हैं तो यक़ीन मानिए आप दो तरफ़ा नकारात्मकता को आमंत्रित कर रहे हैं. पहले तो अपने मन को तंग कर रहे हैं, जो ऑफ़िस के काम से यूं ही थका बैठा था उसे ग़ैरज़रूरी बातों में उलझाकर और थका रहे हैं. दूसरे अपनी आंखों को भी थका रहे हैं, बेवजह स्क्रीन से उपजा तनाव देकर. ब्रेक लेने का सलीका यह है कि आप इस ब्रेक में एक पसंदीदा गीत सुनें; चाय के कप के साथ अपने स्पाउस या बच्चों से बातचीत करें; पांच मिनट की स्ट्रेचिंग कर लें; कुछ देर के लिए आंखें बंद करके बैठे रहें; लंबी, गहरी सांसें लेकर मन को तरोताज़ा कर लें या फिर 20 मिनट की पावर नैप ही ले लें. आख़िर इन दिनों हम सभी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं तो ये सारी चीज़ें की जा सकती हैं. और हमारा वादा है कि ये बातें यदि आप अमल में लाते हैं तो ये आपको सकारात्मक बनाए रखेंगी.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट