हम चिड़ियों के बारे में पढ़ते हैं, वनस्पतिशास्त्र की किताबों में पेड़-पौधों के बारे में पढ़ते हैं. पर हम चिड़ियों और पेड़-पौधों के बारे में कितने संजीदा हैं? उसी तरह स्त्री बची रहे, प्रेम बचा रहे के बारे में लिखनेवाले बहुत हैं. पर क्या उनके लिखने से कुछ होता है? आपको कई कड़वे और सच्चे सवालों के साथ छोड़ देनेवाली कवयित्री अनुराधा सिंह की कविता ‘लिखने से क्या होगा?’
मुझे लगता था कि
चिड़ियों के बारे में पढ़कर क्या होगा
उन्हें बनाए रखने के लिए
मारना बंद कर देना चाहिए
कारख़ानों में चिमनियां
पटाख़ों में बारूद
बंदूक़ में नली
या कम से कम
इंसान के हाथ में उंगलियां नहीं होनी चाहिए
आसमान में आग नहीं चिड़िया होनी चाहिए
वनस्पतिशास्त्र की किताब में
अकेशिया पढ़ते हुए लगा कि
इसे पढ़ना नहीं बचा लेना चाहिए
आरियों में दांत थे
दिमाग़ नहीं
हमारे हाथों में अब भी उंगलियां थीं
जबकि आसमान में चिड़िया होने के लिए
मिट्टी में बदस्तूर पेड़ का होना ज़रूरी था
फिर देखा मैंने
स्त्री बची रहे प्रेम बचा रहे
इसके लिए
क़लम का
भाषा का ख़त्म होना ज़रूरी है
हर हत्या हमारी उंगलियों पर आ ठहरी
जिन्होंने प्रेम और स्त्री पर बहुत लिखा
दरअस्ल उन्होंने ही नहीं किया प्रेम किसी स्त्री से
कवयित्री: अनुराधा सिंह (ईमेल: [email protected])
कविता संग्रह: ईश्वर नहीं नींद चाहिए
प्रकाशक: भारतीय ज्ञानपीठ
Illustration: Ram Bhangad @Pinterest