डेटिंग और स्लीपओवर को अधिकांश भारतीयों द्वारा हमेशा से ही पाश्चात्य या अमेरिकन संस्कृति का हिस्सा माना गया है, पर क्या यह बात सही है? आज हम तथ्यों के आधार पर इसी बात का आकलन कर रहे हैं.
कई भारतीय आज भी डेटिंग और स्लीपओवर को पश्चिमी या अमेरिकी संस्कृति से आयात हुई पतनशील प्रथाओं का हिस्सा मानते हैं और इस प्रथा का मज़ाक भी उड़ाते हैं. ऐसे लोगों को एक बार छत्तीसगढ़ की मुरिया जनजाति के बारे में ज़रूर जानना चाहिए. देश के इस प्राचीन जनजातीय समुदाय में किशोर अवस्था के युवक-युवतियों के बीच डेटिंग और स्लीपओवर उनके पालन-पोषण का बिल्कुल वैसा ही अभिन्न हिस्सा है, जैसे कि संगीत और नृत्य.
घोटुल प्रथा को जानिए
मुरिया जनजाति के बुज़ुर्गों लोगों ने अपनी किशोरियों और किशोरों के लिए अपने माता-पिता की चुभती आंखों से दूर साथ-साथ सोने के लिए घोटुल के नाम से एक छात्रावास की प्रथा शुरू की. वहां उन्हें किसी एक व्यक्ति को अपने लिए चुनने से पहले एक या फिर कई पार्टनर्स के साथ डेट करने और सेक्स का अनुभव लेने की पूरी आज़ादी है. क्योंकि मुरिया लोगों का भरोसा है कि यह अनुभव साझा करने से उनके भीतर जनजातीय संस्कृति को और बल मिलेगा, वे एक-दूसरे से चीज़ें बांटेंगे और उनके बीच लगाव बढ़ेगा, जिससे युवा पीढ़ी का व्यक्तित्व बेहतर होगा.
इस प्रथा से कोई विरोध है तो यह भी समझिए
यदि आप सोचते हैं कि इस तरह के रिवाज़ आपकी ‘परिष्कृत’ और ‘शिक्षित’ संवेदनाओं के लिए अच्छे नहीं हैं तो इस बात पर ध्यान देना भी बुद्धिमानी होगी कि बिल्कुल यही सोच तो भारतीयों की सेक्स-पॉज़िटिव परंपराओं के प्रति हमारे ऊपर शासन करनेवाले ब्रिटश औपनिवेशिक मास्टर्स की थी (घोटुल तो बस एक उदाहरण है), जिसके चलते समाज सुधार के नाम पर सेक्स-फ़ोबिक ईसाइयों और उनके भारतीय समर्थकों ने मिलकर हम जैसे ‘भारतीय जंगलियों’ को सभ्य बनाने के लक्ष्य पर लगने की शुरुआत की.
यह सदियों पुराना “सभ्यता मिशन” आज भी जारी है, जिसे अब कॉन्वेंट-शिक्षित आदिवासियों और ग़ैर-आदिवासियों द्वारा चलाया जा रहा है, जो मानते हैं कि विवाह पूर्व यौन संबंध पाप हैं, वर्जित हैं और इसलिए घोटुल को अब बंद कर दिया जाना चाहिए.
जानिए कि आख़िर यह प्रथा क्या सिखाती है?
कुछ साल पहले, घोटुल विरोधी अभियानों में से एक के दौरान, मैंने एक व्यथित मुरिया बुज़ुर्ग से बात की, जिन्होंने मुझे बताया कि कैसे उनकी यह परंपरा केवल सेक्स के बारे में नहीं है, बल्कि यह परंपरा युवाओं को यह सिखाती है कि कैसे एक समुदाय में सद्भावपूर्वक रहना है.
उनकी इस बात की गहराई को आंकने के लिए आपको कुछ और नहीं, बस दुनिया के सबसे प्रभावी डच सेक्स-एजुकेशन प्रोग्राम को जानने की ज़रूरत है (विकसित देशों की बात करें तो नीदरलैंड में किशोर युवतियों के प्रेग्नेंट होने की दर सबसे कम है), जहां किशोरों के सेक्शुअल रिश्तों की बातचीत में आपसी सम्मान और व्यक्तिगत स्वायत्तता पर काफ़ी ज़ोर दिया जाता है- यह वही संकल्पनाएं हैं, जो बच्चों के विकास के लिए मुरिया जैसे आदिवासी समुदायों और हमारे प्राचीन पूर्वजों ने हमेशा से अपनाई हुई थीं. यहां यह बताना ज़रूरी है कि मुरिया समुदाय में सेक्स से जुड़े अपराध बिल्कुल नहीं होते हैं.
हमें तो लगता है कि शायद घोटुल प्रथा के सुधारक यह बात महसूस ही नहीं कर पाए हैं कि वे अपने भटके हुए सभ्यता के लक्ष्य की प्राप्ति से चिपके हुए हैं और सेक्स-पॉज़िटिव भारतीयों की जगह सेक्स-फ़ोबिक ईसाई उपनिवेशकों की तरह व्यवहार कर रहे हैं.
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