एक औरत की परिभाषा बता रही हैं 12 साल की शिविका कुमार. इसे आप कविता कह सकते हैं या समाज से पूछे गए कुछ मासूम से सवाल.
औरत मतलब हर लड़की,
पर वो औरत सिर्फ़ एक औरत नहीं
एक दोस्त, एक मां और एक बीवी भी हो सकती है
शुरू से दूसरे के लिए करती आई हो
अपना दर्द छुपाती आई हो
बताओ ना आप इंसान ही हो ना?
इतनी शक्ति कहां से लाई हो?
बताओ ना दूसरे की ख़ुशी में
अपनी ख़ुशी कहां दबा आई हो?
मुस्कुराहट के पीछे कोई दर्द छुपाई हो?
बताओ ना लोग बेटी के बजाए
बेटा क्यों मांगे?
हम यह कभी ना जाने?
क्यों बेटी को पाप,
बेटे को अच्छा माने?
बताइए ना कहां ग़लती है हमारी?
आज नहीं तो कल
बदलेगा यह जमाना
जहां बदलेगी यह सोच
आज नहीं तो कल
मानेगी यह दुनिया कि हम भी कुछ कम नहीं
अगर दिखा दे, तो आसमान छू बैठेंगे
क्यों लड़की की शादी पहले हो?
उसे जीने दो उड़ने दो
बदलेगी यह सोच, बदलेगा यह ज़माना
बताइए, आप भी बदलेंगे ना?
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