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Home बुक क्लब कविताएं

चम्पा काले अच्छर नहीं चीन्हती: त्रिलोचन की कविता

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
July 30, 2022
in कविताएं, बुक क्लब
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Trilochan_Kavita
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पलायन हमारे देश के हर कोने के गांवों-देहातों की सबसे बड़ी समस्या है. साथ ही तमाम सरकारी दावों के बावजूद मेहनतकश तबके के कई बच्चे अब भी स्कूल नहीं पहुंच पाते. बोलचाल की चुटीली भाषा में लिखी त्रिलोचन की यह कविता इन्हीं दोनों समस्याओं की बात करती है.

चम्पा काले अच्छर नहीं चीन्हती
मैं जब पढ़ने लगता हूं, वह आ जाती है
खड़ी-खड़ी चुपचाप सुना करती है
उसे बड़ा अचरज होता है
इन काले चीन्हों से कैसे ये सब स्वर
निकला करते हैं

चम्पा सुन्दर की लड़की है
सुन्दर ग्वालो है, गायें-भैंसें रखता है
चम्पा चौपायों को लेकर
चरवाही करने जाती है

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चम्पा अच्छी है
चंचल है
नटखट भी है
कभी-कभी ऊधम करती है
कभी-कभी वह कलम चुरा देती है
जैसे-तैसे उसे ढूंढ़ कर जब लाता हूं
पाता हूं-अब काग़ज़ ग़ायब
परेशान फिर हो जाता हूं

चम्पा कहती है
तुम कागद ही गोदा करते हो दिन भर
क्या यह सब काम बहुत अच्छा है
यह सब सुनकर मैं हंस देता हूं
फिर चम्पा चुप हो जाती है

उस दिन चम्पा आई, मैंन कहा कि
चम्पा, तुम भी पढ़ लो
हारे गाढ़े काम सरेगा
गांधी बाबा की इच्छा है
सब जन पढ़ना-लिखना सीखें
चम्पा ने यह कहा कि
मैं तो नहीं पढ़ूंगी
तुम तो कहते थे गांधी बाबा अच्छे हैं
वे पढ़ने-लिखने की कैसे बात करेंगे
मैं तो नहीं पढ़ूंगी

मैंने कहा कि चम्पा, पढ़ लेना अच्छा है
ब्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी
कुछ दिन बालम संग रह
चला जाएगा जब कलकत्ता
बड़ी दूर है वह कलकत्ता
कैसे उसे संदेसा दोगी
कैसे उसके पत्र पढ़ोगी
चम्पा पढ़ लेना अच्छा है

चम्पा बोली, तुम कितने झूठे हो, देखा
हाय राम, तुम पढ़-लिख कर इतने झूठे हो
मैं तो ब्याह कभी न करूंगी
और कहीं जो ब्याह हो गया
तो मैं अपने बालम को साथ रखूंगी
कलकत्ता में कभी न जाने दूंगी
कलकत्ते पर बजर गिरे

Illustration: Pinterest

Tags: Aaj ki KavitaChampa Kale Akshar Nahi Chinhati by TrilochanHindi KavitaHindi KavitayenHindi PoemKavitaPoet TrilochanTrilochanTrilochan Poetryआज की कविताकवि त्रिलोचनकविताचम्पा काले अक्षर नहीं चीन्हतीत्रिलोचनत्रिलोचन की कविताहिंदी कविताहिंदी कविताएं
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हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

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