यूं तो कब्ज़ आम समस्या है, लेकिन यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो कई अन्य गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकती है. आजकल हम सभी की जो लाइफ़स्टाइल है, उसके चलते कई लोगों को कब्ज़ की समस्या बनी रहती है. आइए जानें, कैसे प्राकृतिक तरीक़ों से कब्ज़ से निजात पाई जा सकती है.
यह बात मान कर चलिए कि सुबह उठ कर हल्के हो आना उस रूटीन से भी कहीं ज़्यादा ज़रूरी है, जो हममें से अधिकतर लोग सुबह उठ कर इन दिनों करने हैं यानी फ़ोन पर नज़र डालना… यदि आप उन लोगों में से हैं, जो कभी-भी, कुछ भी खा लेते हैं; जिनके सोने-जागने का का निश्चित समय नहीं है; जो नियमित एक्सरसाइज़ नहीं करते और जो दिनभर एक कुर्सी पर बैठ कर काम करते रहते हैं तो यक़ीनन आपको कब्ज़ की समस्या या तो होगी ही या फिर आगे जा कर हो जाएगी.
सामान्य शब्दों में कहा जाए तो कब्ज़ ऐसी समस्या है, जिसमें नियमित रूप से मल त्यागने यानी पॉटी जाने में समस्या होती है. इसकी वजह से पेट फूलता है, जी मिचलाता है और यदि यह परेशानी लंबे समय तक बनी रहे तो अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं.
वर्ष 2018 में किए गए अपने एक सर्वे में हेल्थ केयर फ़र्म ऐबट ने पाया कि भारत की 22% जनसंख्या कब्ज़ की समस्या से जूझ रही है. आपको बता दें कि यदि कब्ज़ गंभीर हो जाता है तो पाइल्स, फ़िशर, फ़िस्टुला, बाउल ऑब्स्ट्रेक्शन और फ़ेकल इन्कंटीनेंस जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
कब्ज़ क्यों होता है?
जब शरीर में मेटाबॉलिज़्म (यानी भोजन के पचने की क्रिया) हो जाता है तो भोजन बड़ी आंत में जाता है, जहां से इसका बेकार हिस्सा मलद्वार यानी रेक्टम के ज़रिए बाहर निकल जाता है. लेकिन कब्ज़ होने की स्थिति में शरीर इस व्यर्थ पदार्थ को बाहर नहीं निकला पाता. जब यह व्यर्थ पदार्थ शरीर के भीतर ही बना रहता है तो यह शरीर को ज़हरीला बनाता है, यह सड़ता है तो गैस और ऐसिडिटी और अन्य बीमारियों का कारण बनता है.
कब्ज़ के कई कारण हैं, जैसे- आरामतलब और बेढब लाइफ़स्टाइल, एक्सरसाइज़ न करना, नींद न आना, तनाव, खानपान सही न होना, कम पानी पीना वगैरह. कम फ़ाइबर वाला, ज़्यादा शक्कर वाला खाना खाना और जंक व प्रोसेस्ड फ़ूड पर निर्भर रहना भी कब्ज़ के कारणों में से एक है.
कैसे पा सकते हैं कब्ज़ से छुटकारा
गंभीर कब्ज़ से केवल पेट में ही समस्या नहीं होती, बल्कि पूरे शरीर का स्वास्थ्य गड़बड़ा जाता है, जैसे- अपशिष्ट पदार्थ नियमित रूप से बाहर नहीं निकलेगा तो शरीर में नमक का असंतुलन पैदा होता है, जिससे ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है. कभी-कभी गंभीर कब्ज़ की वजह से मलद्वार सूज जाता है, जिससे फ़िशर हो सकता है. यदि आपने लंबे समय तक इस समस्या को इग्नोर किया तो रैक्टल प्रोलैप्स हो सकता है, जिसमें मलद्वार मोशन को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है. तो आख़िर इतनी गंभीर बीमारियों में तब्दील हो जाने वाले कब्ज़ से कैसे बचा जा सकता है? आइए जानते हैं…
• अपने भोजन में फ़ाइबर्स और प्राकृतिक चीज़ों को जगह दें, जैसे- फल, सब्ज़ियां आदि. हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, खट्टे फल, शक्करकंद जैसी चीज़ों को खानपान में शामिल करें. पपीता, सेब, अंजीर, संतरा, केला, तरबूज़ जैसे मौसमी फलों का ज़्यादा से ज़्यादा सेवन करें.
• ड्राइ फ्रूट्स और सीड्स को अपने भोजन में जगह दें. अखरोट, बादाम, अलसी, सूरजमुखी के बीज, कद्दू के बीज, किशमिश मुनक्का आदि का सेवन अपनी दिनचर्या में शामिल करें.
• साबुत और मोटे अनाज, जैसे- गेहूं, ज्वार, बाजरा, ओट्स आदि को अपने खानपान का हिस्सा बनाएं.
• ख़ूब पानी पिएं. कम से कम आठ ग्लास पानी रोज़ाना पिएंगे/पिएंगी तो इससे शरीर को भोजन पचाने में आसानी होगी और व्यर्थ पदार्थों को शरीर के बाहर निकालने में यह शरीर की मदद करेगा.
• प्राकृतिक लेक्सेटिव्स का इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे- सब्ज़ा के बीज, ईसबगोल या फिर अरंडी का तेल. यहां हम आपको सावधान करना चाहेंगे कि यूं तो ये प्राकृतिक चीज़े हैं, लेकिन इन्हें किसी विशेषज्ञ की सलाह पर ही लें.
• रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें, ताकि आपको अच्छी नींद आए. एक्सरसाइज़ नींद लाने में और नींद तनाव कम करने में सहायक होती है. और इसका अंतिम परिणाम होगा आपका आसानी से हल्के हो पाना.
फ़ोटो : फ्रीपिक