बात पर्यावरण के संरक्षण और प्रदूषण को रोकने की करें तो देश की राजधानी दिल्ली के लिए एक अच्छी ख़बर है. ठंड के मौसम में हरियाणा और पंजाब में खेतों में जलाई जानेवाली पराली से दिल्ली-एनसीआर के साथ ही एक बड़े क्षेत्र में वायु प्रदूषण होने लगता है और लोगों का सांस लेना तक मुश्क़िल हो जाता है. अब इस समस्या से नजात दिलाने के लिए इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट ने एक ऐसा कैप्सूल बनाया है, जिसके इस्तेमाल से पराली को जैविक खाद में बदला जा सकता है.
दिल्ली एनसीआर के और उसके आसपास के क्षेत्रों में खेतों में पराली जलाने से होनेवाले प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट ने एक ऐसा कैप्सूल बनाया है, जिसके इस्तेमाल से पराली को जैविक खाद में बदला जा सकता है. वहीं दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि यह एक बेहतर तकनीक है, जो पराली को खाद में बदल देती है. और इस दवा के छिड़काव में जो भी ख़र्च आएगा, वो सरकार उठाएगी.
इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टिट्यूट के माइक्रोबायोलॉजी के साइंटिस्ट डॉक्टर वाई वी सिंह के मुताबिक, इस कैप्सूल को बनाने में 15 साल का समय लगा, लेकिन यह पराली जलाने का एक अच्छा विकल्प है. इसके इस्तेमाल से खेती की ज़मीन ज़्यादा उपजाऊ होगी और वायु प्रदूषण नहीं होगा. ख़ास बात ये भी है कि एक कैप्सूल का मूल्य है महज़ 5 रुपए. और 20 रुपए की यानी कुल चार कैप्सूल के इस्तेमाल से एक हेक्टेयर के खेत की पराली को खाद में बदला जा सकता है. इस कैप्सूल को पानी और अन्य कुछ चीज़ों में घोलकर मिश्रण बनाया जाता है, फिर मशीनों के ज़रिए इस मिश्रण को पराली पर छिड़का जाता है. कुछ ही दिनों के भीतर पराली खाद में बदल जाती है, जिसका इस्तेमाल खेतों में किया जा सकता है.
दिल्ली सरकार हमेशा से ही सर्दियों के मौसम में होनेवाले वायु प्रदूषण के लिए पराली जलाने को एक बड़ा कारण बताती आती है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वैज्ञानिकों से इस कैप्सूल को इस्तेमाल करने की पूरी जानकारी लेने के बाद कहा,‘‘यह एक अच्छी तकनीक है, जिससे पराली को खाद में बदला जा सकता है. इस दवा के छिड़काव में जो भी ख़र्च आएगा वह दिल्ली सरकार उठाएगी.’’ उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार से मांग करेगी कि वह सुनिश्चत करे कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में भी पराली को इसी तरह डीकम्पोज़ करने की प्रक्रिया के इस्तेमाल किया जाए, ताकि वायु प्रदूषण को रोका जा सके. तो उम्मीद की जा सकती है कि इस वर्ष दिल्ली एनसीआर के लोगों को वायु प्रदूषण का सामना नहीं करना पड़ेगा.
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