यदि आप भी उन लोगों में से हैं, जो अपने किचन को नया रंग-रूप देने की तैयारी कर रहे/रही हैं तो यह आलेख आपको कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में बताएगा, जिन्हें ध्यान में रखते हुए ही आपको इस काम को करवाना चाहिए. ताकि आपका किचन आपके लिए और भी सुविधाजनक हो जाए. तो आइए, जानते हैं कि क्या हैं ये बिंदु.
किचन हमारे घर का सबसे अधिक उपोग में आनेवाला हिस्सा है. जहां हर कुकिंग करनेवाले व्यक्ति का एक लंबा समय व्यतीत होता है. यदि किचन ऑर्गैनाइज़्ड रहे तो जहां, खाना पकाने काम सही तरीक़े से होता है, वहीं खाना पकानेवाला व्यक्ति भी व्यवस्थित होकर, शांत मन से खाना पका सकता है.
भारतीय किचन तो यूं भी अपने ढेर सारे मसालों के लिए जाने जाते हैं और कहा जाता है कि ये मसाले हमारे स्वास्थ्य को सही रखने का काम करते हैं. इस हिसाब से देखा जाए तो किचन हमारे स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक चिकित्सा की सबसे छोटी इकाई भी है. अत: यदि आप इसके रेनोवेशन के बारे में सोच रहे/रही हैं तो इन कुछ बातों का ज़रूर ध्यान रखें.
स्टोरेज पर पूरा ध्यान दें
किचन में सामन रखने के लिए अच्छा स्टोरेज होना बहुत ज़रूर है. तो यदि आपको लगता है कि किचन के किसी कोने में अतिरिक्त ड्रॉवर, डिवाइडर या पैन्ट्री पुलाआउट्स जैसी चीज़ लगवाकर उसे स्टोरेज एरिया में बदला जा सकता है तो ऐसा ज़रूर कर लें. इसके दो फ़ायदे होंगे. पहला ये कि आपका स्टोरेज एरिया बढ़ जाएगा और दूसरा ये कि आपके पैसों की बचत होगी. पैसों की बचत यूं होगी कि यदि रेनोवेशन करनवाने के पूरे प्लान में ये शामिल होगा तो आप अच्छी तरह नेगोशिएट कर सकेंगे और यदि कहीं आपने रेनोवेशन के बाद यह काम करवाया तो यह आपको महंगा पड़ेगा.
अप्लायंसेज़ की लोकेशन का रखें ध्यान
किचन घर का सबसे व्यस्ततम हिस्सा होता है. यहां परिवार का हर सदस्य कुछ ना कुछ करता ही है और जो व्यक्ति भोजन पकाने के लिए ज़िम्मेदार होता है, उसका तो अधिकतर समय यहीं बीतता है. यहां सिंक, गैस बर्नर, फ्रिज, माइक्रोवेव, ओटीजी, फ़ूड प्रोसेसर जैसी सभी चीज़ें मौजूद होती हैं. इन अप्लायंसेस की लोकेशन ऐसी होनी चाहिए कि ये एक-दूसरे से पर्याप्त दूरी पर भी हों और इतनी दूर भी न हों कि यहां काम करने पर इनका इस्तेमाल करने में ही आप थक जाएं. अत: अपने दिमाग़ में इस बात का खाका पहले ही बना लें कि आप किस चीज़ को कहां रखना चाहते हैं. इस बात को अपने डिज़ाइनर को भी बता दें. और इस मामले में डिज़ाइनर की सलाह भी ज़रूर लें, क्योंकि वे कई अन्य किचन में काम कर चुके होते हैं, वे आपको व्यावहारिक सलाह देंगे.
काउंटर स्पेस से समझौता न करें
किचन में बड़ा काउंटर स्पेस होना बहुत ज़रूरी है, इससे काम करने में सहजता होती है. यदि काउंटर स्पेस छोटा होता तो किचन में काम करना उलझनभरा हो जाता है. अत: किचन रेनोवेट करवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि यदि आपके काउंटर टॉप को बढ़ाया जा सकता है तो ऐसा ज़रूर करवा लें.
नए अप्लायंसेस पहले ही ख़रीद लें
किचन रेनोवेशन के लिए दे रहे/रही हैं तो नए अप्लायंसेस पहले ही ख़रीद लें, ताकि उसके अनुसार आप कैबिनेट्स और काउंटर टॉप्स बनवाकर इन अप्लायंसेस को सही जगह पर रखवा सकें. बाद में ऐसा करने पर कहीं अप्लायंसेस या स्पेस के आकार में कमीबेशी रह गई तो कुछ काम दोबारा करवाना पड़ सकता है.
रंगों के चुनाव को लेकर रहें सतर्क
पूरे किचन के लुक को लेकर अपने टाइल्स, कैबिनेट्स और काउंटर टॉप्स के रंगों के चुनाव को लेकर आप सतर्क रहें और किसी भी ऐसे रंग का चुनाव न करें, जिससे बाद में आपको पछतावा हो. आप ही एक ही रंग के कई हल्के-गहरे शेड्स के साथ खेलते हुए किचन को रिनोवेट करवा सकते हैं, दो विरोधाभासी रंगों का चयन कर सकते हैं या फिर हल्के रंगों का चयन भी कर सकते हैं. बात का सार यह कि ऐसे रंग या रंगों का चुनाव करें, जिन्हें लंबे समय तक देखने पर आपको सुकून मिलता हो, क्योंकि किचन रेनोवेशन रोज़-रोज़ तो करवाया नहीं जा सकता. एक बार करवाने के कम से कम पांच-सात वर्षों बाद ही आप दोबारा रिनोवेशन करवाएंगे.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट