भारत के लगभग हर घर और आंगन में जो पौधा हमें मिल जाता है वह है तुलसी. तुलसी हम भारतीयों के लिए एक पवित्र पौधा है. अमूमन हर पवित्र चीज़ को बड़ा ही सौम्य माना जाता है, पर डॉ अबरार मुल्तानी की मानें तो तुलसी पवित्र होने के साथ-साथ बेहद पावरफ़ुल भी है.
तुलसी के पौधे को हमारे धर्मशास्त्रों के साथ-साथ आयुर्वेद में भी बहुत सम्मान मिला है. यह कई रोगों को नष्ट करती है, इस पौधे की कई घरों में पूजा भी की जाती है, इसलिए यह आसानी से उपलब्ध एक औषधि है, जिससे इसके ताज़े पत्ते हमें आसानी से आवश्यकता पड़ने पर मिल जाते हैं. तुलसी दो तरह की होती है: एक होती है श्वेत तुलसी और एक होती है कृष्ण तुलसी या काली तुलसी. श्वेत और काली दोनों ही तुलसी के गुणधर्म लगभग लगभग समान होते हैं, किन्तु आयुर्वेद के अनुसार काली तुलसी अधिक प्रभावशाली होती है. इसके सेहत से जुड़े कुछ फ़ायदे निम्न हैं.
* कैंसररोधी और इम्युनिटी बूस्टर गुणों से भरपूर होने के कारण कैंसर के रोगियों को इसके ताज़े पत्तों के 1 से 2 चम्मच रस को मट्ठे के साथ पिलाया जाता है.
* सर्दी-ज़ुकाम-खांसी में इसके पत्तों के एक चम्मच रस को शहद में मिलाकर, एक चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर देने से फ़ायदा होता है.
* तुलसी के बीज पुरुषों को शक्ति प्रदान करते करते हैं, इसलिए सेक्स वीकनेस में इसके बीजों (1-2 ग्राम) को गुड़ में मिलाकर दूध के साथ लिया जाता है.
* आधी चम्मच तुलसी के पत्तों के चूर्ण में आधा ग्राम के करीब काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर गर्म पानी से लेने से हर तरह के बुख़ार में बहुत आराम मिलता है.
* टाइफ़ाइड में एक चम्मच तुलसी के रस में एक चम्मच पुदीने का रस मिलाकर पीने से बहुत आराम होता है.
* तुलसी और पुदीना दोनों ही रक्त के पीएच को एसिडिक से अल्कलाइन बनाते हैं इसलिए यह नसों के ब्लॉकेज को खोलने में लाभदायक है. एक चम्मच पुदीने का रस और एक चम्मच तुलसी का रस मिलाकर रोज़ाना सुबह-शाम पीने से नसों के ब्लॉकेज हटते हैं.
डॉ अबरार मुल्तानी
सिरीज़: किचन क्लीनिक
*पाठकों से औषधीय उपयोग से पूर्व चिकित्सकीय परामर्श अपेक्षित है.