मौसमी फलों के स्वाद का अपना ही अलग मज़ा होता है और मौसमी फलों के स्वाद के साथ-साथ यदि हमें बेहतर सेहत भी मिल जाए तो इससे बेहतर क्या बात हो? हमारे आदिवासी बुज़ुर्ग हर्बल जानकार कहते हैं कि मौसम के बदलाव के साथ छोटी मोटी सेहत से जुड़ी समस्याएं आती रहती हैं और प्रकृति इन समस्याओं के समाधान भी लेकर आ जाती है, मौसमी फल और सब्ज़ियों के रूप में. तो आज डॉक्टर दीपक आचार्य आपको ऐसे ही मौसमी फल जामुन के फ़ायदों के बारे में बता रहे हैं.
अब गर्मियों का टाटा बाय-बाय हो रहा है और बारिश की फुहारें चौखट पर आने को तैयार हैं. सर्दी-खांसी, बुख़ार, दस्त, त्वचा रोग, एलर्जी और पेट की समस्याएं ख़ूब होंगी, इन समस्याओं से बचने का सटीक उपाय है जामुन. आज जामुन की बात होगी. बाज़ार में जामुन आ चुका है, गांव-देहातों में जामुन पेड़ों पर ख़ूब लद चुका है और अगले 15 दिन आप भी ताबड़तोड़ तरीक़े से जामुन ज़रूर खाएं.
क्यों खाना है, ये भी जान लीजिए
जामुन के फल में आयरन और फ़ॉस्फ़ोरस जैसे तत्व प्रचुरता से पाए जाते हैं. जामुन के फलों के साथ-साथ इसके बीजों (गुठली), पत्तियों, छाल और अन्य अंगों के भी जबरदस्त औषधीय गुण हैं और आदिवासी जन तो जामुन के तमाम अंगों को विभिन्न हर्बल नुस्ख़ों के तौर पर रोग निवारण के लिए इन्हें ख़ूब आज़माते भी हैं.
गांव देहातों के हर्बल जानकार मानते हैं कि भोजन के बाद 100 ग्राम जामुन फल का सेवन मौसमी बदलाव से जुड़े कई विकारों में बहुत फ़ायदेमंद साबित होता है. एनीमिया (ख़ून की कमी) को दूर करने में और ख़ून में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए जामुन एकदम सॉलिड है. डांग, गुजरात, के आदिवासी हर्बल जानकार बताते हैं कि जामुन और आंवले के फलों का रस समान मात्रा में मिलाकर पीने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है और जिन्हें एनीमिया है उन्हे काफ़ी फ़ायदा होता है. अब तक कम से कम 20 हर्बल जानकारों के फ़ॉर्मूले में जामुन फल का जिक्र मैंने स्वयं ने देखा है, जो ये बताते हैं कि 15 दिन तक लगातार 100-150 ग्राम जामुन चबाने से ख़ून साफ़ होता है और एनीमिया में भी फ़ायदा होता है, ये स्किन इन्फ़ेक्शन में भी फ़ायदा करता है. जामुन के फलों को आदिवासी आंखों की बेहतर रौशनी और शारीरिक ताक़त के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं.
जामुन खाने के तरीक़े
यूं तो सामान्य फल की तरह जामुन को खाया ही जाता है और खाना भी चाहिए, लेकिन आदिवासी जन पके हुए जामुन को हाथ से रगड़कर बीजों को अलग करके रख देते हैं. प्राप्त हुए पल्प में स्वादानुसार मात्रा में गुड़ मिला दिया जाता है और सेवन किया जाता है. वैसे मॉडर्न साइंस की नज़रों से ये एक लॉजिकल फॉर्मूला है, इतना समझ लीजिए कि फलों में प्रचुर मात्रा में कैरोटिन और लौह तत्व पाए जाते हैं और गुड़ में आयरन काफ़ी होता है. हमारे पातालकोट इलाके में तो मान्यता है कि जामुन का फल गर्भवती महिलाओं को देने से होने वाले बच्चे के होंठ सुन्दर होते हैं और चेहरा ओजवान होता है, मुझे नहीं पता ये कितना सटीक है, लेकिन ये बात तो तय है कि गर्भवती महिलाओं को आयरन देना चाहिए जो कि जामुन में ख़ूब पाया जाता है.
अब बात करते हैं, इसके बीजों की.पातालकोट के आदिवासी मानते है कि जामुन के बीजों के चूर्ण की 1 ग्राम (एक चौथाई चम्मच) मात्रा को रात में सोने से पहले एक कप गुनगुने पानी में घोलकर देने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं. कुछ इसी तरह का फ़ॉर्मूला मेलघाट, महाराष्ट्र, में मैंने डॉक्यूमेंट किया था. बुज़ुर्गों और डायबिटिक्स को बार-बार पेशाब की समस्या में हर्बल जानकार जामुन के बीजों का पाउडर देते हैं. बीजों के 2 ग्राम पाउडर को सुबह शाम भोजन के बाद फांकने या एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर लेने कहा जाता है. मॉडर्न साइंस में भी जामुन की गुठली के इन गुणों पर काफ़ी स्टडी की गई है और परिणाम सन्तोषप्रद भी मिले हैं. वैसे इसे रेगुलर लिया जाए तो भी कोई दिक़्क़त नहीं. एक बात और, इसी फ़ॉर्मूले को प्रोस्टेट की समस्या में भी आजमाया जा सकता है, रिसर्च की जा सकती है.
दांतों के लिए बेहतरीन है
मध्यप्रदेश के बालाघाट के लांजी क्षेत्र में तो लोग सूखे बीजों के पाउडर को बतौर दंत मंजन भी इस्तमाल करते हैं. कहते हैं कि जामुन के बीज मुंह की बदबू, हानिकारक सूक्ष्जीवों को मारता तो है ही, मसूड़ों को मजबूत भी बनाता है. वैसे आपके दोस्त दीपकआचार्य को जामुन की दातुन बड़ी प्रिय है. जंगल में होता हूं तो इसे बटोर लेता हूं, दांतों के लिए जामुन की दातुन एकदम एक नम्बर है. बात दातून की निकली है तो इसके छाल की बात भी हो ही जाए. जामुन की छाल भी मसूड़ों के लिए लाभदायक है. जामुन की छाल का चूर्ण (एक चम्मच) लगभग एक कप पानी में डालकर खौलाया जाए और ठंडा होने पर इससे कुल्ला किया जाए तो मसूड़ों की सूजन, दांत दर्द और मसूड़ों से ख़ून आने की समस्या में काफ़ी आराम मिलता है.
कब्ज़ और गठिया से देता है राहत
जामुन की छाल को बारीक पीसकर इसकी 2 चम्मच मात्रा को पानी के साथ गाढ़ा पेस्ट बनाकर जोड़ दर्द वाले हिस्सों और घुटनों पर दिन में 3 से 4 बार लगाने से गठिया के दर्द से आराम मिलने लगता है. जामुन के फल खाने से भी जोड़ दर्द आराम मिलता है, ये भी तो ऐंटी-इन्फ़्लैमटॉरी होते हैं.
जामुन की गुठली को किडनी की सेहत के लिए भी ख़ास माना जाता है. जामुन की गुठली के चूर्ण (4 ग्राम) को एक कप दही के साथ मिलाकर रोज़ खाने से पथरी में फ़ायदा होता है. लीवर के लिए जामुन का प्रयोग बहुत फ़ायदेमंद होता है. कब्ज़ और पेट के रोगों के लिए जामुन का फल बहुत लाभदायक होता है. यह देश का ज्ञान है, काफ़ी असरदार और कड़क भी, घुमाओ गाड़ी, मारो यू टर्न… कैप्सूल, गोली, सिरप कम करो, ख़त्म करो, बढ़िया खाओ, टनाटन रहो.
कुल मिलाकर बात ये है कि जामुन है एकदम टनाटन चीज़. ख़ूब खाएं, सेहत बनाएं और ध्यान रहे, बीजों को कचरापेटी में फेंकने से घर में मनहूसियत आएगी, बेहतर है इन्हें साफ़ धोकर, सुखाकर पाउडर बनाओ, उपयोग में लाओ और पड़ोसी को भी दे आओ, सब समृद्ध हो जाओगे. ये है एकदम परफेक्ट टोटका. भटको और पकड़ो वो पगडंडी जिधर जाना जनता भूल चुकी है. तो भाया इस मौस में जामुन खाओ, जामुन…क्योंकि प्यार मोहब्बत धोखा है, जामुन खा लो मौक़ा है!
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट