काश पैरेंटिंग का कोई ऐसा तरीक़ा या फिर मैन्युअल आता, जिसके हिसाब से माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश करते. पर अफ़सोस कि ऐसा नहीं है. अत: बहुत ज़रूरी है कि आप पैरेंटिंग के कुछ स्टाइल्स के बारे में जानें और देखें कि आप इनमें से किस तरह के पैरेंट हैं. हां, इसके बाद हम आपको यह भी बताएंगे कि आपको किस स्टाइल से करनी चाहिए पैरेंटिंग.
पैरेंटिंग का कोई एक तयशुदा फ़ॉर्मूला नहीं होता, उसका कोई एक ’फ़िट टू ऑल’ सलूशन भी नहीं होता. लेकिन पैरेंटिंग स्टाइल पर रिसर्च करने वाली नामचीन अमेरिकी क्लिनिकल ऐंड डेवलपमेंटल साइकोलॉजिस्ट डायना बॉमरिन्ड के मुताबिक़, अमूमन पैरेंट्स अपने बच्चों का पालन-पोषण चार तरीक़े से ही करते हैं और यहां हम आपको उन चारों तरीक़ों को बताने के साथ-साथ यह भी बताएंगे कि आपको किस तरह से पैरेंटिंग करनी चाहिए. तो पहले पैरेंटिंग के ये चार तरीक़े जान लेते हैं:
दयालुता के साथ परवरिश करने वाले
इस तरह के पैरेंट्स अपने बच्चों के पैरेंट्स कम और दोस्त ज़्यादा होते हैं. वे बच्चों के साथ वाद-विवाद से बचना चाहते हैं, बच्चा ज़रा भी परेशान हो तो उसकी बात मान लेते हैं. इस तरह के पैरेंट्स अपने बच्चों को ज़्यादा समझाए या गाइड किए बिना, उन्हें वह कर लेने देते हैं, जो वे करना चाहते हैं.
अधिकारपूर्ण तरीक़े से परवरिश करने वाले
इस तरह के पैरेंट्स अपने बच्चों के लिए सपोर्टिव भी होते हैं और उनकी ज़रूरतों को समझने वाले भी होते हैं. वे अपने बच्चों के साथ चर्चा करके उन्हें गाइड करना पसंद करते हैं, उन्हें नैतिकता और तार्किकता सिखाने की कोशिश करते हैं.
बेपरवाही के साथ परवरिश करने वाले
इस तरह के पैरेंट्स अपने बच्चों के साथ ज़्यादा घुलते-मिलते नहीं हैं, उन्हें अपने साथ ज़्यादा शामिल नहीं करना चाहते हैं. वे बच्चों के साथ ज़्यादा संवाद भी नहीं करते और ना ही उन पर कोई नियम-क़ायदे थोपते हैं. उनके व्यवहार में ठंडापन और स्नेह की कमी भी दिखाई देती है, लेकिन वे ऐसा जानबूझ कर नहीं करते हैं, बल्कि वे अपनी ही उधेड़-बुन में फंसे होते हैं.
दबंग तरीक़े से परवरिश करने वाले
इस तरह के पैरेंट्स बच्चों को चीज़ें सिखाने के प्रति बहुत कठोर होते हैं और सोचते हैं कि बच्चों की इस तरह से परवरिश करना, उन्हें पूरी तरह अपने नियंत्रण में रखना ज़रूरी होता है. वे अपने बच्चों के न चाहने पर, न मांगने पर भी अपने सुझाव देते हैं और उन्हें अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं.
तो आपको कौन-सी पैरेंटिंग स्टाइल अपनानी चाहिए?
आइए, अब हम आपको इस सवाल का जवाब दिए देते हैं. जैसा कि हमने ऊपर ही बताया कि पैरेंटिंग का कोई ‘फ़िट टू ऑल’ मॉडल नहीं हो सकता. इसकी वजह यह है कि हर बच्चे का स्वभाव अलग होता है, हर परिवार के सदस्यों का स्वभाव भी अलग होता है और उन सभी की परिस्थितयां भी अलग-अलग होती हैं. लेकिन यदि शोधों की मानें तो अधिकारपूर्ण तरीक़े से बच्चों की परवरिश करने से बच्चे स्वतंत्र, आत्मविश्वासी और समाज के साथ क़दम मिलाकर चलने वाले बनते हैं. लेकिन हम यह बिल्कुल नहीं कह रहे हैं कि पैरेंटिंग का यही एक तरीक़ा कारगर है. बच्चों की परवरिश के दौरान आप अधिकारपूर्ण तरीक़े को व्यापक तौर पर चुन सकते हैं, लेकिन समय-समय पर उनके साथ घटी घटनाओं और परिस्थितियों के मुताबिक़ आपको कभी दयालुता के साथ, कभी थोड़ी बेपरवाही के साथ और कभी दबंगता के साथ भी पेश आना पड़ सकता है. और समय व परिस्थिति के अनुसार, आप पैरेंटिंग के एक से दूसरे स्टाइल में स्विच करते हुए ही अपने बच्चों की सही परवरिश कर सकते हैं. हां, आपको यह भी बता दें कि यदि आपके एक से अधिक बच्चे हैं तो आपको हर बच्चे के साथ उसके स्वभाव के अनुसार भी अपनी पैरेंटिंग का तरीक़ा बदलना पड़ेगा.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट