लापतागंज, श्रीमान श्रीमती फिर से, जीजाजी छत पर कोई है, मेरी हानिकारक बीवी जैसे कई कॉमेडी सीरियल्स में अपने गुदगुदाते अभिनय से सबका दिल जीतनेवाली सुचेता खन्ना पिछले दिनों राजन शाही के नए शो ‘वो तो है अलबेला’ से जुड़ीं. अपने काम को लेकर प्रतिबद्ध और जुनूनी सुचेता ने हमें बताया कि कैसे उनके पर्दे के किरदारों पर उनकी असल ज़िंदगी की छाप रहती है.
कोरोना महामारी के बाद अब चीज़ें धीरे-धीरे सामान्य होने लगी हैं, इस बारे में आपका क्या कहता है?
बेशक महामारी के चलते पिछले दो साल पूरी इंडस्ट्री के लिए बेहद मुश्क़िल भरे रहे. काम पर दोबारा लौटकर काफ़ी अच्छा लग रहा है. मैं शो ‘वो तो है अलबेला’ को लेकर काफ़ी उत्साहित हूं. राजन जी के साथ काम करने मिल रहा है तो मैंने तुरंत शो के लिए हामी भर दी थी. वे एक बेहतरीन नैरेटर हैं. इस शो के लिए हर सीन शानदार ढंग से लिखा और शूट किया गया है. एक कलाकार के लिए इससे ज़्यादा और क्या चाहिए.
‘वो तो है अलबेला’ में अपने किरदार के बारे में बताइए.
इस शो में मेरे किरदार का नाम है इंद्राणी शर्मा, जो कि एक दौर में महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों को लेकर काफ़ी वोकल हुआ करती थी. पर अपने पति की मृत्यु के बाद इंद्राणी के कंधे पर अपनी तीनों बेटियों और सास की ज़िम्मेदारी आ गई है. वह अब पहले की तरह आत्मविश्वासी नहीं रही. अब वह कोई भी फ़ैसला लेने में काफ़ी झिझक महसूस करती है.
आप अपनी भूमिकाओं के लिए तैयारी कैसे करती हैं?
देखिए, मैं जो भी भूमिकाएं निभाती हूं, उसमें अपनी निजी ज़िंदगी के कुछ पहलुओं को शामिल करने की कोशिश करती हूं. मिसाल के तौर पर अगर मैं कॉमेडी रोल कर रही हूं तो मैं अपनी असल ज़िंदगी के मस्ती-मज़ाक और हल्के-फुल्के लम्हों के अनुभवों को अपने किरदार के माध्यम से दोबारा जीती हूं. मुझे लोग और उनकी ऊटपटांग हरक़तें याद रहती हैं, मैं उन सभी को अपनी रील लाइफ़ में यूज़ करती हूं. आप कह सकते हैं कि पर्दे के मेरे किरदारों में कहीं न कहीं, असल ज़िंदगी की सुचेता भी रहती है.
काम को लेकर हर किसी कलाकार का अपना-अपना जुनून होता है. आपका क्या है?
मेरे लिए मेरा हर नया किरदार एक एड्वेंचर की तरह होता है यही कारण है कि मैं जो भी करती हूं दिल से करती हूं. मुझे तब बड़ा मज़ा आता है, जब सीन्स को अच्छे से लिखा गया हो और बारीक़ी से शूट किया गया हो. जब भी ऐसा होता है तब बतौर कलाकार मैं बहुत ही रिलैक्स्ड फ़ील करती हूं. घर जाती हूं और आराम से सोती हूं. दरअसल जब आप पैसा वसूल टाइप परफ़ॉर्मेंस करते हैं, तब अंदर से अच्छा लगता है. आजकल टेलीविज़न इंडस्ट्री में यह वाली फ़ीलिंग रेयर हो गई. यही कारण है कि मैं अपने हर किरदार को पूरे दिल से निभाती हूं और एन्जॉय करती हूं.
आपके अनुसार, क्या एक कलाकार को काम से ब्रेक लेना चाहिए या लगातार पर्दे पर बना रहना चाहिए?
मेरी राय में तो एक कलाकार को काम से कभी ब्रेक नहीं लेना चाहिए. मैंने कई तरह की भूमिकाएं निभाई हैं. कॉमेडी और ऐक्शन से लेकर गंभीर भूमिकाएं तक की हैं. हर चैनल के दर्शक अलग-अलग होते हैं. मुझे जब हर बार नया शो मिलता है, तब नए दर्शक भी मिलते हैं. दर्शकों का प्यार मुझे लगातार काम करते रहने के लिए प्रेरित करता है.
वैसे मुझे पहले लगता था कि टेलीविज़न से ब्रेक लेना चाहिए, ताकि मुझे अपनी रूटीन लाइफ़ से ब्रेक मिले. कोरोना के दौरान ब्रेक मिला, पर वह उतना अच्छा नहीं रहा. दोबारा शुरुआत करते समय लगा कि जैसे सबकुछ एकदम नए सिरे से शुरू हो रहा है. ब्रेक के बाद काम पर लौटने में एक तरह की इनसिक्योरिटी की भावना भी होती है. इसलिए मैं अपने साथी कलाकारों को कभी काम से ब्रेक लेने की सलाह नहीं दूंगी. अगर आपको अलग-अलग तरह के किरदार मिल रहे हैं, जैसा कि इस समय मुझे मिले रहे हैं, तो दिल लगाकर काम करने से बेहतर भला और क्या होगा!