हम चाहें या ना चाहें, बावजूद इसके, हम सभी को कभी न कभी नकारात्मक विचार आते ही हैं. कई बार ये इतने ज़्यादा आते हैं कि हम इनकी गिरफ़्त में आ जाते हैं और यह बात हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुक़सान पहुंचाती है. आज हम आपको यह बताने जा रहें कि कैसे नकारात्मक सोच को नियंत्रित किया जा सकता है, ताकि यह आपकी सेहत पर कोई असर न डालने पाए.
नकारात्मक विचार यानी नेगिटिव थॉट्स के बारे में और कुछ जानने से पहले ये बात अच्छी तरह जान लीजिए कि ये हम में से सभी को आते हैं, चाहे हम कितने ही सफल, सुरक्षित जीवन का आनंद ही क्यों न उठा रहे हों. अब आप की सहज उत्सुकता होगी कि आख़िर ऐसा होता क्यो हैं? तो आपको बता दें कि हमारा दिमाग़ इस तरह डिज़ाइन्ड है कि वह ख़तरों को भांप सके. मनुष्य के क्रमिक विकास पर ध्यान दें तो अपने जीवित रहने के लिए उसे आसपास मौजूद संभावित ख़तरे को महसूस करना ज़रूरी था, ताकि ख़ुद को बचाया जा सके. तो यह आदत हमारे दिमाग़ में बाइ डिफ़ॉल्ट मौजूद है.
लेकिन नकारात्मक विचारों को लेकर एक सच और भी है, जो आपको मालूम होना चाहिए, ताकि आप नकारात्मक विचारों को नियंत्रित कर सकें और वो ये है कि नकारात्मक विचार, सकारात्मक विचारों की तुलना में ज़्यादा सशक्त होते हैं. तो एक नकारात्मक विचार को हटाने के लिए आपको कम से कम पांच सकारात्मक विचारों से अपने मन को भर देना होगा.
आपने यह भी नोटिस किया होगा कि कुछ लोगों को बहुत ज़्यादा नकारात्मक विचार आते हैं. इसकी वजह यह है कि बहुत संभव है कि उनका बचपन या युवावस्था नकारात्मकता के बीच बीता हो, जिसकी वजह से वे ऐसी सोच से भर गए हों और यह बात उनपर अब तक अपना प्रभाव डाले हुए हो.
अब हम आते हैं उस बात पर, जिसका आपको ब्रसब्री से इंतज़ार है और जिसकी वजह से आप यह आलेख पढ़ रहे हैं यानी नकारात्मक विचारों को कैसे रोकें? आइए, जानते हैं इसके तरीक़े…
1. अपनी सोच को तुरंत रोक दें: यह सच है कि हम बाहर की दुनिया में जितने लोगों से बातें करते हैं, उससे कहीं ज़्यादा अपने भीतर बातें करते हैं. अत: बहुत ज़रूरी हो जाता है कि बातों और विचारों की इस तारतम्यता को हम किसी ट्रैफ़िक की तरह नियंत्रित करें. जिस तरह गाड़ी चलाते हुए हम-आप स्टॉप का बोर्ड देख कर तुरंत रुक जाते हैं, बिल्कुल वैसे ही, जब आपके मन में नकारात्मक विचार आएं, एक काल्पनिक बोर्ड के बारे में सोचें और अपनी सोच को तुरंत लगाम दें. इससे आपका ध्यान बंट जाएगा. इसके तुरंत बाद अपनी सोच को अलग दिशा में ले जाने के लिए अपना मनपसंद काम करें, मसलन- संगीत सुनना, डांस, गार्डनिंग, वॉकिंग या एक्सरसाइज़ वगैरह.
2. उत्सुक बने रहें, लेकिन जज न करें: आप स्वीकार करें या न करें पर हम सभी दूसरों को भी और ख़ुद को भी बहुत ज़्यादा जज करते हैं. अपनी धारणाएं बना लेते हैं. और के लिए और ख़ुद के लिए भी कठोरता अख़्तियार कर लेते हैं. नकारात्मकता को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है दयालुता. तो जब भी आपको भीतर कोई नकारात्मक विचार आए, अपने प्रति दयालू बनें. ख़ुद से कहें- ‘मैं अपना पूरा प्रयास करूंगा/करूंगी’ या ‘यह करना संभव है’ या फिर ‘यह (नकारात्मक सोच) बेकार का डर है’. दूसरा तरीक़ा यह हो सकता है कि आप अपने जजमेंट को सकारात्मक रखें. हर नकारात्मक ख़याल का सकारात्मक बिंदु खोजें और ख़ुद से कहें-इसकी यह सकारात्मक बात ही सही होगी. इससे न सिर्फ़ नकारात्मक ख़्याल दूर होगा, बल्कि उसके साथ चिपकी हुई चिंता भी दूर हो जाएगी.
3. आभार व्यक्त करें: हो सकता है कि आप कोई बड़ा काम करने जा रहे/रही हों और नकारात्मक सोच इस बात को लेकर आ रही हो कि आप उसमें सफल होंगे या नहीं. ऐसे समय पर अपने मन में उन सभी चीज़ों को आभार व्यक्त करें, जो आपके पास हैं, भले ही वे कितनी छोटी ही क्यों न हों. हर उस सफलता को लेकर मन में कृतज्ञ महसूस करें, जो आपको मिली हो. इससे आपको जो ख़ुशी और संतुष्टि मिलेगी, उसकी छांह में नकारात्मक सोच ठहर ही नहीं सकेगी. यूं भी जीवन में अपने मिलने वालों, अपनी मदद करने वालों का आभार व्यक्त करना आपको सकारात्मक बनाए रखेगा.
4. अपनी ख़ूबियों पर ध्यान दें: यह हम मनुष्यों की फ़ितरत में शामिल है कि हम हर बात का केवल नकारात्मक सिरा ही पहले देखते हैं. आप यदि चाहें तो इस आदत को बदल सकते हैं. हालांकि यह मुश्क़िल है, पर नामुमक़िन नहीं है. आपने जीवन में कुछ ग़लतियां की होंगी, उन पर फ़ोकस करने की बजाय अपना फ़ोकस इस बात पर रखें कि आख़िर उनसे आपने क्या सीखा. वह सीख आपके जीवन का हिस्सा है, आपकी ख़ूबियों में से एक है. जब भी आपको नकारात्मक विचार आए आप सोच सकते/सकती हैं कि आपने कितना सीखा है! इसके अलावा आपको अपने बारे में कई बातें पसंद होंगी, नेगेटिव थॉट आते ही आप उनके बारे में सोचना शुरू कर दीजिए. इससे आप नकारात्मकता के ट्रैप में नहीं फसेंगे.
5. आवश्यकता हो तो प्रोफ़ेशनल की मदद लें: यूं तो सामन्यत: ऊपर बताई हुई बातों को अमल में लाने से आप नकारात्मक सोच पर धीरे-धीरे नियंत्रण पा लेंगे. लेकिन यदि आपको लगता है कि यह नहीं हो पा रहा है और आप अपने काम या जीवन पर इसका लगातार असर होता देख रहे हैं तो बहुत ज़रूरी है कि आप साइकोलॉजिस्ट की मदद लें. हमार यक़ीन मानिए, अक्सर उनकी मदद बहुत काम आती है, क्योंकि जिन चीज़ों को हम अपने नज़रिए से देख-देख कर हलाकान होते हैं, जब उन्हें दूसरे के नज़रिए से देखते हैं या प्रोफ़ेशनल्स की मदद से सही नज़रिए से देखना शुरू करते हैं तो पता चलता है कि ये तो कोई बड़ी समस्या ही नहीं थी.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट