• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

ख़ूबसूरत: शर्मिला चौहान की नई कहानी

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
September 5, 2021
in ज़रूर पढ़ें, नई कहानियां, बुक क्लब
A A
ख़ूबसूरत: शर्मिला चौहान की नई कहानी
Share on FacebookShare on Twitter

ख़ूबसूरती की परिभाषा सबके लिए अलग होती है और हो सकती है. इस कहानी में भी यह परिभाषा माला के लिए अलग, रूबी के लिए अलग और धवल के लिए भी अलग ही है. लेकिन इन सब परिभाषाओं का सार क्या है, यह तो आप कहानी को पढ़कर ही जान सकेंगे. ख़ूबसूरती के अलग-अलग पहलुओं को समेटती शर्मिला चौहान की यह नई कहानी आपको ज़रूर पसंद आएगी.

मुंबई के सबसे शानदार, महंगे एरिया में कंपनी के ऑफ़िस का होना गर्व के साथ थोड़ी कठिनाई की बात भी थी माला के लिए. पहले ही पढ़ाई करते समय, लोकल ट्रेनों के साथ ज़िंदगी में बड़ी दौड़ कर चुकी थी वो.
“एक-दो साल जाब कर लूं, फिर बैंक से लोन लेकर कार खरीद ही लूंगी.” हमेशा से ही जल्दी आगे बढ़ने की उच्चाकांक्षा रखनेवाली जवान लड़की को ठहराव पसंद ही नहीं था.
“अरे बाप रे…! आज फिर लेट हो गई हूं. लोकल ट्रेन, बस का चक्कर है ही बेकार. देखो क़िस्मत वाले लोग, शान से अपनी कार में आते हैं.” अपने बाजू से कार में जाती लड़की को देख, मन ही मन चिढ़कर माला ने बस स्टॉप से जल्दी क़दम बढ़ा लिए.

परिवार की आर्थिक स्थिति कभी अच्छी नहीं रही. पिताजी कपड़े की मिल में काम करते थे. तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी माला, पढ़ने में बचपन से अच्छी थी. मिल के कामगारों के बच्चों के साथ खेलना, उनके साथ घुलना-मिलना पसंद नहीं था उसे.
चॉल में रहने के कारण, सबके साथ गाना-नाचना, बातचीत करने और पूजा-पाठ का सबसे बड़ा उत्सव, गणेशोत्सव होता था. मिल में और चॉल में गणपति उत्सव के समय दस दिन, अलग अलग कार्यक्रम होते थे. विसर्जन के दिन पूरा परिवार पंडाल में ही रहता.
“मां, मेरे लिए घर में खाना बना दे, मैं वहां नहीं जाऊंगी खाना खाने,” हर साल माला की एक ही ज़िद रहती.
“क्यों नहीं जाएगी तू? सब परिवार आते हैं दर्शन और खाने को, तू कोई स्पेशल है क्या? ज़रा ज़मीन पर पैर रखना सीख. अपने बाप की कमाई पर शर्म आती है ना तेरे को, जब ख़ुद कमाना, तब दिखाना इतने नखरे,” माला की मां, अपनी छोटी बेटी के व्यवहार, स्वभाव से परेशान हो जाती थी.

इन्हें भीपढ़ें

grok-reply-1

मामला गर्म है: ग्रोक और ग्रोक नज़र में औरंगज़ेब

March 24, 2025
इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

February 27, 2025
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025
democratic-king

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024

भगवान ने बुद्धि के साथ सुंदरता भी ख़ूब दी थी माला को. रंग गेहुंआ, बढ़िया क़द-काठी के साथ तीखे नैन-नक़्श. बाल तो इतने लंबे, काले, मुलायम कि जैसे किसी शैम्पू का विज्ञापन हो. अब इससे ज़्यादा क्या चाहिए किसी को, ख़ुद को श्रेष्ठ समझने के लिए?

समय के साथ, माला की दीदी का विवाह हो गया. भाई भी काम करने लगा. माला ने अपनी पढ़ाई पूरी की, उस स्थिति में भी उसने मुंबई के कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की.

माला की ऊंची महात्वाकांक्षा का साथ क़िस्मत ने भी दिया. मुंबई के कॉलेज की ही एक रईस लड़की रूबी से माला का दोस्ताना इतना बढ़ा कि रूबी के पापा की कंपनी में इंटरव्यू के लिए माला को बुलाया गया.

“पापा को बोल दिया है मैंने, तुम्हारी घर की स्थिति भी बता दी है. अच्छा इंटरव्यू देना, तुमको जॉब मिल जाएगा,” रूबी ने समझा दिया.

माला को इस बात का बुरा लगा कि रूबी ने उस कंपनी में इंटरव्यू के पहले ही उसके घर की स्थिति बता दी. कहीं ना कहीं बात दिल में और चुभती, लेकिन इंटरव्यू के दो दिन बाद ही नौकरी का जॉइनिंग लेटर मिल गया और अब माला सब कुछ भूलकर इस नई दुनिया में, अपनी जगह बनाने के लिए तैयार हो रही थी.
अपनी सुंदरता, काम सीखने की ललक और बड़े पदों के लोगों से जल्दी मधुर संबंध बनाने के स्वभाव ने, चार-छह महीनों में माला को कंपनी का जाना पहचाना चेहरा बना दिया.
“तुम कहां रहती हो माला?” लंच टाइम में कंपनी की एक सहकर्मी ने माला से पूछा.
“बस यहीं आसपास ही,” अपने चॉल का पता बताने की बिल्कुल इच्छा नहीं थी माला की.
अब तो दिमाग़ में एक ही बात घूमती कि किस तरह एक सिंगल बेडरूम वाला फ़्लैट किराए पर लिया जाए, लेकिन अभी तो पैसे इतने नहीं मिलते थे कि इतना किराया दे सकती.
“बाबा, आपके पास कुछ पैसे हों तो हम मुंबई में एक फ़्लैट लें?” एक रात खाना खाते समय माला ने अपने पिताजी से कहा.
“मेरे पास इतने पैसे कहां से आएंगे बेटा? तेरी दीदी की शादी, तेरी पढ़ाई कितनी मुश्क़िल से हुई है. भूल गई क्या तू, कितनी बार तो हमने एक समय ही खाना खाया,” अपनी इस बेटी के इस सवाल पर बाप हतप्रभ रह गया.

“तेरा भाई काम कर रहा है तो अब दो समय खाना ठीक से मिल रहा है. यह घर, यह चॉल हमारी पहचान है. इसे ना हम छोड़ सकते हैं, ना इससे ज़्यादा हमारी औकात है अभी,” बुढ़ापे में, बेटी की बेतुकी बातें, मां को परेशान कर रहीं थीं. वे आगे बोलीं,‘‘अब तेरी भी शादी कर देने का टाइम है. बिरादरी से अच्छे रिश्ते आ रहें हैं.”
मां की बात पर नाक मुंह सिकोड़कर माला ने उत्तर दिया,‘‘नहीं, मैं अभी शादी नहीं करूंगी. अपना फ़्लैट लूंगी, कार लूंगी और फिर सोचूंगी,” यह कहते हुए खाने की थाली सरका कर उठ गई थी माला.

पिछले कुछ दिनों से कंपनी का काम संभालने की ज़िम्मेदारी रूबी के भाई धवल ने संभाल ली थी. रूबी के पापा की तबियत ठीक नहीं थी और इतनी बड़ी कंपनी की ज़िम्मेदारी धवल ने संभाल ली.

ऑफ़िस के स्टाफ़ से धवल को परिचित कराने के लिए एक छोटी-सी वेलकम पार्टी रखी गई थी. पहली बार माला ने धवल को देखा तो देखती रह गई. रूबी के विपरीत, गोरा-चिट्टा, हैंडसम लड़का था धवल. पार्टी के बाद से ही अपने केबिन को अपने अनुसार बनवाने का काम धवल ने आर्किटेक्ट को दे दिया.

दो पीढ़ियों के बीच काम करने का अंदाज़ अलग-सा था. धवल एकदम आधुनिक ढंग से काम करना पसंद करता था. उसने सभी एम्प्लॉईज़ के मनोरंजन के लिए एक रीक्रिएशन रूम बनवाने की पहल की. उसे ख़ुद के लिए “सर” का संबोधन बिल्कुल पसंद नहीं था. वह ख़ुद सभी सीनियर लोगों को नाम से बुलाता था.

माला ने उसे सिर्फ़ दो-तीन, बार देखा था.
“माला, इस काम को और भी कम स्पेस में, कम ख़र्च में किया जा सकता है. मुंबई में जगह बेशक़ीमती है. थोड़ा समय लो, लेकिन काम पर्फ़ेक्ट करके लाओ,” केबिन में चार लोगों के सामने कहा था धवल ने.
“सर, आपको मेरा नाम याद है?” आश्चर्य से पूछ लिया था माला ने.
“माला, पहले तो मेरा नाम सर नहीं धवल है. दूसरी बात, मुझे नाम कभी भूलते नहीं,” इस अंदाज़ से कहा धवल‌ ने की, माला सारी रात सो नहीं सकी.

“क्या लड़का है, अब तो कंपनी का मालिक भी है.” उसका मन ऊंचे ख़्वाब देखने लगा. कमा-कमाकर कितना भी कर ले वो, लेकिन कहां तक पहुंच पाएगी? पर इन अमीरों की बात निराली होती है. रूबी की ही तरह धवल की भी अलग अलग कारें, उसके एक से एक ब्रांडेड कंपनी के कपड़े देखकर, माला को उनकी और उनके जैसे अमीरों की ज़िंदगी से ईर्ष्या होने लगी थी.

घर में मां-बाबा और भाई से, आने-जाने की तकलीफ़ का बखान करके आख़िरकार माला ने, ऐसे एरिया में वन रूम किचन किराए पर ले लिया, जो उसके घर और आफ़िस के बीच था. किराया इतना कि उसकी तनख़्वाह में खींचतान कर दे सके. पर घर में कभी अपनी कमाई के पैसे देने का उसने सोचा ही नहीं उसने. भाई है ना… मां-बाबा का ध्यान वही रखेगा.

“आजकल तुम टिफ़िन नहीं लातीं?” ऑफ़िस में उसके एक दोस्त ने पूछा.
“हां, आजकल मैंने दोपहर का खाना बंद किया है. मोटी होती जा रही हूं और दिनभर बैठकर ही तो काम करना होता है,” कह तो दिया माला ने परंतु भूख तो लगती थी. ख़ुद सुबह खाना बनाकर टिफ़िन लाने की फूर्ति नहीं थी. सुबह चाय-ब्रेड या चाय के साथ पराठा खाकर आती थी. घर जाकर कुकर में दाल चावल बनाकर खाती. रोज खाते समय मां की याद तो बहुत आती थी, लेकिन अपने बड़े सुनहरे भविष्य की चाहत में सब भूल जाती थी.

ऑफ़िस का रंग-रूप बदल गया था, धवल ने एकदम आधुनिक ढंग से बनवाया था. सभी की सुविधाओं का ध्यान रखा गया था. इस बीच कई बार माला ने महसूस किया कि उसके लंबे बाल, उसकी आधुनिकता पर धब्बा थे. ऑफ़िस में आने-जानेवाली, काम करनेवाली सभी लड़कियों के बाल‌ एकदम ख़ूबसूरत ढ़ंग से कटे रहते थे.

“ये पैसा भी कमाल करता है, पैसे ख़र्च करके लोग अपने चेहरे को कितना बदल लेते हैं,” अक्सर कुछ लड़कियों को देखकर सोचती थी माला. उसका बड़ा मन होता था कि किसी अच्छे बड़े ब्यूटी पार्लर में जाकर, अपने शरीर के रखरखाव पर ख़र्च करे, लेकिन जितना कमाती थी उतना तो घर किराए, आने-जाने और खाने में ख़त्म हो जाता था.

ख़ैर, धवल के उन्मुक्त और सहयोगी स्वभाव का जादू माला पर इस कदर छा गया कि अब वो सिर्फ़ धवल की पसंद-नापसंद के अनुसार कपड़े पहनती, तैयार होती. बालों की चोटी बनाना बंद करके, ऊपर कसकर बांधकर आती.

आज तो माला बहुत ख़ुश हो रही थी, क्योंकि कल एक ऑफ़र कूपन में उसे एक बड़े ब्यूटी पार्लर में हेयर स्टाइलिस्ट से बाल कटवाने का मौक़ा मिला. आज उसे थोड़ी देर भी हो गई. ख़ूब सज-संवर कर वो आज धवल को एकदम आधुनिक ढंग की दिखना चाहती थी. पैंट और हलके रंग की शर्ट, खुले सुंदर लहराते बाल, हल्का-सा मेकअप. ख़ुद ही अपनी ख़ूबसूरती पर रीझे जा रही थी माला.

ऑफ़िस के मेनगेट के अंदर क़दम रखा तो आश्चर्यचकित रह गई. बहुत सुंदर सजावट, सारे खुले मैदान में शामियाना लगा हुआ था.
“शनिवार रविवार की छुट्टी थी और इतनी सजावट हो गई, ऐसा क्या हो गया?” मन ही मन सोचती ऑफ़िस के अंदर आ गई.
आज रूबी को ऑफ़िस में देखकर दूसरी बार आश्चर्य हुआ माला को. रूबी को तो पापा-भाई के कंपनी बिज़नेस में बिल्कुल रुचि नहीं है.

“हेलो रूबी! आज तुम ऑफ़िस में कैसे?” माला ने रूबी को देखकर पूछ बैठी. पारंपरिक परिधान में रूबी बड़ी प्यारी लग रही थी.
“हेई माला, ऑफ़िस तो हमारा ही है इसलिए मेरा आना कोई आश्चर्य की बात तो है नहीं, लेकिन तुमने बाल इतने छोटे कब कटवा लिए, मेरे लिए तो यही आश्चर्य की बात है!” रुबी ने अपनी पुरानी दोस्त को सपाट स्वर में उत्तर दिया.
माला को अब एहसास हुआ कि रूबी इस कंपनी के मालिक की बेटी है. नौकरी लगने के दो-तीन महीने बाद से ही माला ने उसे फ़ोन करना बंद कर दिया था. शायद रूबी की नाराज़गी की यही वजह थी. माला अपने भविष्य को संवारने की प्लानिंग में इतनी डूब गई थी कि उसने पढ़ाई के बाद तुरंत जॉब दिलानेवाली अपनी सहेली रूबी के टच में बने रहने और उसे याद करने का समय तक नहीं निकाला.

“क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगा, तुम नाराज़ तो नहीं हो, मैंने तो यूं ही पूछ लिया,” माला ने मीठी आवाज़ में बात संभाली.
“नाराज़ और तुमसे, बिल्कुल नहीं और आज के दिन तो बिल्कुल भी नहीं,” रूबी ने हंसते हुए कहा.
“आज तो तुम्हारा जन्मदिन भी नहीं है, फिर आज ऐसी क्या बात है, हमें भी तो बताओ?” माला ने मनुहार की.

“आज मेरे भाई धवल की सगाई हो रही है. मेरे लिए बहुत ख़ुशी का दिन है. भाई ने ऐसी लड़की को पसंद किया जिसका कोई नहीं है. यूं तो अनाथ आश्रम में पली-बढ़ी है मेरी भाभी, लेकिन स्वभाव, व्यवहार में बहुत प्यारी, दिल से प्रेम करने वाली है… और पता है…” इसके आगे तो माला के कानों ने सुनने से ही इनकार कर दिया.

सामने से धवल और उसकी होनेवाली पत्नि आ रहे थे. दोनों हाथों में हाथ लिए, जीवन की नई राह पर चलने से पहले अपनी कंपनी के सभी एम्प्लॉईज़ से मिलकर सभी का आशीर्वाद ले रहे थे. उस लड़की के लंबे बालों की गूंथी चोटी, उसके कमर से नीचे लटक रही थी. माला के क़दम थम से गए, अनजाने ही उसके हाथ अपने कटे हुए बालों को सहलाने लगे.

फ़ोटो: पिन्टरेस्ट

Tags: Book clubfictionKahaaniKhoobsuratNai KahaniSharmila Chauhanshort storyकहानीख़ूबसूरतछोटी कहानीनई कहानीफ़िक्शनबुक क्लबशर्मिला चौहान
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

Butterfly
ज़रूर पढ़ें

तितलियों की सुंदरता बनाए रखें, दुनिया सुंदर बनी रहेगी

October 4, 2024
त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
क्लासिक कहानियां

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
ktm
ख़बरें

केरल ट्रैवल मार्ट- एक अनूठा प्रदर्शन हुआ संपन्न

September 30, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.