• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

लोकतंत्र का शतरंज: हिमांशु कुमार की कहानी

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
August 8, 2023
in ज़रूर पढ़ें, नई कहानियां, बुक क्लब
A A
लोकतंत्र का शतरंज: हिमांशु कुमार की कहानी
Share on FacebookShare on Twitter

इन दिनों लोकतंत्र का शतरंज किस तरह खेला जा रहा है, कैसे केवल अफ़वाह या नासमझी के आधार पर अपने ही देश के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है और किस तरह सत्ता उसे भुनाते हुए सही करार दे रही है इस बात को दर्शाती सामयिक कहानी. 

थानेदार दयानन्द बोला, ‘‘मैं तो टाइट हो लिया भाई अब होर दारू ना गेरियो मेरे गिलास में.’’
‘‘अजी सब ते ज्याद्दा मेहनत तो तम करो अर पीवैं हम? यो कहां का इन्साफ़ है?’’ मोटे वाले गऊ सेवक ने कहा.
‘‘भाई धरम के काम में मेहनत तो करनी पड़ैगी, इस काम कू सरकारी डियूटी समझ के नी करता भाई…’’ थानेदार भावुक हो गया और दोनों हाथों के बीच डन्डे को मुट्ठियों में रगड़ते हुए, उन सब को बारी-बारी देखते हुए वो बोला, ‘‘साले कटुए, साले गांधी की गलती से यहां पड़े हुए हैं. हमारी मां है गाय. इसे काट्टेगें, तो सालों को मैंई काट दूंगा.‘‘

‘‘अजी म्हारे रैहते आप क्यूं तकलीफ करो हम ही नी पहुंचा देंगे क्या इन्हें कब्रिस्तान?’’ इस बार लम्बा वाला गो-संरक्षक बोला, उसकी आंखे गांजे से लाल हो रही थीं.

इन्हें भीपढ़ें

grok-reply-1

मामला गर्म है: ग्रोक और ग्रोक नज़र में औरंगज़ेब

March 24, 2025
इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

February 27, 2025
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025
democratic-king

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024

चिलम का लम्बा कश खींचकर उसने अपने बराबर वाले पहलवान टाइप गऊसेवक को पकड़ा दी.
‘‘बम भोले!’’ यह बोलकर उसने इतना लम्बा कश लगाया कि चिलम में से एक लम्बी लौ बाहर लपलपाने लगी.
तभी एक सिपाही ने थानेदार साहब के रूम में झांकते हुए थोड़ी परेशानी के साथ आकर बताया, ‘‘अजी यो ट्रक वाला ना मान रा. बार-बार कह रा है, पैसा ले लो मुझे जान दो.’’

‘‘इसकी तो साले की भैन की… एक बार बोल दिया पच्चीस से कम की बात भी मत करियो. साला सुबह से दस हजार पे अटका हुआ है,’’ पहलवान टाइप गो-संरक्षक ग़ुस्से से चिल्लाया.

’’एक काम करो बे तुम दोनों, चार सिपाही ले जाओ और इसकी सारी गाय नहर के पार उतार आओ और ट्रक कबाड़ी को दे दियो. कमसकम लाख देगा,’’ लम्बे वाले ने अपने साथ बैठकर झूम रहे दोनों गो-संरक्षकों को हुकुम दिया.

उस प्रांत में सरकार ने गो-संरक्षकों के नाम पर हज़ारो नौजवानों की एक फ़ौज तैयार कर ली थी. जब देश के मुखिया ने इशारे में बताया कि नकली गो-संरक्षक एक समस्या हैं, तब उसके असिस्टेंट यानी नंबर दो ने पहले से तैयार योजना के तहत अपनी पार्टी के लिए नौजवानों की फ़ौज तैयार करने का कार्यक्रम लॉन्च कर दिया. इस कार्यक्रम में पूरे प्रांत में अपनी पार्टी के वफ़ादार युवकों को गो-संरक्षक के पद पर नियुक्त कर दिया गया. इन युवाओं को बाक़ायदा पहचान पत्र जारी किए गए. यह सब एक तरह के प्राइवेट सैनिक थे, जिनकी पीठ पर सत्ता का हाथ था. गोरक्षा तो कहने के ही लिए थी, क्योंकि उस प्रांत में तो ज़्यादातर भैंसे ही पाली जाती थीं.

इन गो-संरक्षकों का असली काम पार्टी की जीत सुनिश्चत करना था. हर गो-संरक्षक सीधे स्थानीय थानेदार के साथ काम करता था इसलिए किसी की ठुकाई, पिटाई, मकान कब्ज़ा करना जैसे कामों में भी किसी गो-संरक्षक को कोई परेशानी नहीं होती थी. पूरे प्रांत में गो-संरक्षकों के आतंक के कारण मुखिया की पार्टी तीन बार से लगातार चुनाव जीत रही थी. पार्टी के बड़े नेता मुस्कुराते हुए बताते थे कि यही हमारे मुखिया का प्रसिद्ध मॉडल है, ऐसे ही तो वे बार-बार अपने प्रांत में चुनाव जीतकर पूरे देश के मुखिया बने थे.

पूरे प्रांत में गो-संरक्षकों के आंतक का हाहाकार मचा हुआ था. पहले तो इन्होंने दलित लड़कियों को खेतों में खींच कर बलात्कार करने शुरू किए और बाद में शाम के बाद सड़कों पर शराब और गांजे में डूबे गो-संरक्षकों का राज हो जाता था.

“ये सब हमने अपने एक और प्रांत से सीखा,” एक दिन उस प्रांत के मुखिया ने गर्व से बताया. ‘‘वहां हमने आदिवासियों के भले के लिए एक विशेष कार्यक्रम चलाया, जिसमें अपने लोगों को विशेष पुलिस अधिकारी बनाया. बिल्कुल वैसे ही, जैसे अपने ये गो-संरक्षक हैं. उसके बाद उनको कह दिया जो पार्टी के हितों के ख़िलाफ़ हो उसे या तो ठोंको या अन्दर करो. साले बड़े-बड़े तुर्रम खां पत्रकार और मानवाधिकार वाले वह प्रांत छोड़ कर भाग गए. वही प्रयोग देश के नंबर दो ने हमारे प्रांत में दोहरा दिया और आज देखिए निष्कंट राज कर रहा हूं. किसी माई के लाल में दम नहीं है जो चूं भी कर सके.’’

श्रोता पार्टी कार्यकर्ताओं ने जोश में आकर कहा, ‘‘देश की जय….’’ यह पिछले साल राजधानी का वाकया था.

तभी थाने के बाहर दो मोटरसाइकलें रुकने की आवाज़ आई. चार गो-संरक्षक हड़बड़ाते हुए दीवार के साथ पड़ी बेंच पर बैठ गए. ये चारों बहुत ग़ुस्से और उत्तेजना में थे. थानेदार ने अपने सामने बैठे लड़कों को खड़ा होने का इशारा किया.

अभी-अभी थाने में दाख़िल हुए लड़कों ने थानेदार के पूछने का इन्तज़ार भी नहीं किया और उनमें से एक ने बोलना शुरू कर दिया, ‘‘तम यहां बैठ के मजे मारन लाग रे, अर वहां पाकिस्तानी आतंकवादी ट्रेनिंग दे रे. पन्द्रह अगस्त पै बम फोडांगे ये मुल्ले मुझे लग रा.’’
‘‘पूरी बात बतावैगा या यूं ई बोलता रै गा,’’ थानेदार ने तैश में पूछा.
‘‘अरै वो मदरसा नी है क्या बड़े से गेट वाला हरे से रंग का?’’
‘‘हां, तो क्या हो गिया वहां?’’ थानेदार ने उस ग़ुस्साए गो-संरक्षक से पूछा.
‘‘हुब्बुल वतनी की बातें चल री हैं वहां मदरसे के अन्दर और क्या?’’
‘‘अबे ये हुब्बुल वतनी क्या बला है?’’ थानेदार ने चिंतित होकर पूछा.
‘‘मुझे तो लगै अल कायदा टाइप कुछ होगा.’’
‘‘अबे और क्या देखा तुमने वहां?’’ थानेदार ने चिल्लाकर पूछा.
‘‘देखा तो क्या! साले मुल्ले अंदर से चिल्ला रहे थे. गेट भी बन्द कर रक्खा था भीतर से.’’
‘‘हम्म, इनकी तो…’’ थानेदार का चेहरा ग़ुस्से से लाल हो गया, ‘‘और कुछ भी तो सुना होगा तुमने वहां?’’
‘‘हां जी, सुना क्यूं ना? पूरा याद है इसै,’’ उसने नई उम्र के गो-संरक्षक को आगे किया, ‘‘सुना दे बे पूरा आतंकवादी ट्रेनिंग वाला गाणा.’’

नई उम्र वाले गो-संरक्षक ने अटक-अटककर याद करते हुए पूरा गीत सुनाया:
‘‘लब पे आती हे दुआ बन के तमना मेरी….
हो मेरे दम से यु ही मेरे वतन की ज़ीनत
जिस तरह फूल से होती हे चमन की ज़ीनत
…हो मेरा काम गरीबों की हिमायत करना….
दर्दमंदों से ज़ैफ़ो से महोबत करना …
मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको
…नेक राह हो जो उस पर चलाना मुझको…’’

‘‘बस करो ये आतंकवादी गाणा,’’ थानेदार ज़ोर से दहाड़ा, ‘‘फ़ोर्स तैयार करो!’’ थानेदार ने कमरे से बाहर आकर ललकार लगाई.

पन्द्रह अगस्त के लिये दो ट्रक फ़ोर्स थोड़ी देर पहले ही थाने पहुंची थी. आनन-फानन में पूरे क़ाफ़िले ने कूच कर दिया. थानेदार की जीप के आगे दोनों मोटरसाइकलों पर चार गो-संरक्षक रास्ता दिखा रहे थे. मदरसे से कुछ दूर सारी गाड़ियां रोक दी गईं.

थानेदार ने फ़ोर्स को फैलने का इशारा किया. थानेदार मदरसे के गेट के पास पहुंचकर अन्दर झांककर जायज़ा लेने की कोशिश करने लगा था. तभी मदरसे के भीतर से जोर की आवाज़ आई, ‘‘यौमे आज़ादी ज़िंदाबाद!’’

भीतर से सैकड़ों लोगों ने ज़ोरदार नारा लगाया, ‘‘ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद!’’

‘‘मारो सालों को…’’ कहकर एक गो-संरक्षक ने अपनी कमर से कट्टा निकाल कर मदरसे की दिशा में फ़ायर कर दिया. थानेदार हड़बड़ा कर एक तरफ़ भागता चला गया और पूरी ताक़त से चिल्लाया, ‘‘फ़ायर!’’

स्पेशल फ़ोर्स ने मदरसे के गेट पर फ़ायरिंग शुरू कर दी. क़रीब एक मिनट तक गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा इलाक़ा दहल गया. मदरसे के फाटक के पीछे पहले तो कुछ देर ख़ामोशी रही, फिर यकायक कोहराम सा मच गया.

थानेदार ने सिपाहियों को गेट तोड़ने का हुकुम दिया. गेट तोड़ने के बाद अन्दर देखा तीन छात्र मारे जा चुके थे. क़रीब अस्सी दूसरे लोगों, जिसमें शिक्षक और स्टाफ़ के मेंबर शामिल थे, को गोलियां लगी थीं.

थानेदार ने रात को ही प्रेस को बुलवा लिया. एसपी साहब ने मीडिया को एक वक्तव्य दिया, जिसमें लिखा था:
‘‘पुलिस को प्राप्त ख़ुफ़िया जानकारी के मुताबिक़,आज आतंकवादियों के विरुद्ध एक साहसिक अभियान में हमारे जांबाज़ अफ़सर दयानन्द सिंह ने अपनी जान पर खेलकर आतंकवादियों की नापाक साज़िश को विफल कर दिया. पुलिस को जानकारी मिली थी कि देश की एक बड़ी यूनिवर्सिटी और दूसरे प्रांत से प्रशिक्षण प्राप्त कुछ आतंकवादी यौमे आज़ादी नामक एक आतंकी अभियान शुरू करने की फ़िराक में थे. इस अभियान के लिए इन तत्वों ने ‘हुब्बुल वतनी’ नामक एक आतंकी संगठन का गठन किया था. जिसे विफल कर दिया गया.”

दिल्ली में मानवाधिकार संगठनों ने इस कांड को सरकारी आतंकवाद कहा और जंतर मंतर पर इसके विरुद्ध एक प्रदर्शन आयोजित किया. लेकिन मुखिया के असिस्टेंट के इशारे पर हनुमान दल, महादेव सेना और राष्ट्रीय गो-संरक्षण समिति के कार्यकर्ताओं ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जमकर तुड़ाई की… और लोकतन्त्र का शतरंज चलता रहा.

हां, यहां आपको यह बताना बहुत ज़रूरी है कि हुब्बुल वतनी यानी देशभक्ति; यौमे आज़ादी यानी स्वतन्त्रता दिवस. और वह गीत जो गाया जा रहा था सदमार्ग पर चलने की प्रार्थना करता हुआ है और जानेमाने शायर अल्लामा इक़बाल का लिखा हुआ है.

फ़ोटो साभार: पिन्टरेस्ट

 

Tags: fictionhimanshu kumarLoktantra ka Rathnew storyshort storystoryकहानीनई कहानीफ़िक्शनलोकतंत्र का रथशॉर्ट स्टोरीहिमांशु कुमार
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

Butterfly
ज़रूर पढ़ें

तितलियों की सुंदरता बनाए रखें, दुनिया सुंदर बनी रहेगी

October 4, 2024
त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
क्लासिक कहानियां

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
ktm
ख़बरें

केरल ट्रैवल मार्ट- एक अनूठा प्रदर्शन हुआ संपन्न

September 30, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.