हाल ही में सुष्मिता सेन ने अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट के ज़रिए अपने बॉयफ्रेंड रोहमन शॉल से ब्रेकअप का ख़ुलासा किया, जिसमें उन्होंने लिखा,‘‘हमने दोस्तों की तरह शुरुआत की और दोस्त बने रहे. हमारा रिश्ता ख़त्म हो गया है, पर प्यार अब भी बचा हुआ है.’’ आज हम इसी बारे में बात कर रहे हैं कि जीवन के अंत की ही तरह, शादियों या रिश्तों का अंत भी गरिमामयी क्यों नहीं हो सकता?
स्विट्ज़रलैंड में एक ऐसे सुंदर ताबूत का निर्माण किया गया है, जो स्पेस कैप्सूल की तरह नज़र आता है और जो बड़ी गरिमामयी ढंग और सलीके से आपके जीवन को समाप्त कर देता है. आपको करना बस ये होगा कि हाथ में क्रूस लें, ताबूत का ढक्कन उठाएं, इसके भीतर चले जाएं और आंखें बंद कर लें. बाक़ी का काम यह मशीन कर लेगी.
इसके निर्माताओं का दावा है कि एक मिनट से भी कम समय में आपकी मौत हो जाएगी, वो भी दर्दमुक्त. अब चूंकि मुर्दा लोग बोल नहीं सकते इसलिए अपना वादा तोड़ने के लिए कंपनी पर कोई केस दर्ज होने की संभावना भी नहीं है.
शादियों के अंत पर यह लागू हो तो?
पर गरिमामय और सलीकेदार तरीक़ा केवल मानसिक रूप से बीमार लोगों जीवन के अंत के लिए ही आरिक्षत क्यों रहे? कई शादियांऔर रिश्ते भी तो अंत के ऐसे कगार पर पहुंच जाते हैं, जहां उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है, वापसी संभव नहीं होती… भले ही हम इसे स्वीकार करने से कतराएं.
एक रिश्ता जो ख़त्म होने की कगार पर है, ऐसा हो जाता है जैसे कोई 85 वर्षीय वृद्ध कैंसर से जूझ रहा हो और उसके पास कोई देखभाल करनेवाला ही न हो. वहां भविष्य की कोई संभावना ही नहीं होती. ऐसे रिश्ते से सम्मानजनक विदाई एक अच्छा विकल्प है, लेकिन तब भी हम उसी रिश्ते से चिपके रहते हैं, क्योंकि हमारी संस्कृति में तलाक़ को असफलता की तरह देखा जाता है.
सांस्कृतिक रूढ़ियां यहां भी हैं!
अपने परिवार के बुज़ुर्गों और धर्म-प्रमुखों से इस बारे में तर्क-वितर्क करना कठिन (और व्यर्थ भी!) है, जो शादी की सफलता को उसमें बसी ख़ुशी की बजाय उसकी लंबी उम्र से आंकते हैं. वे आपकी ख़ुशियों के बारे में क्यों सोचेंगे? जबकि उनमें वे आत्मसंतुष्ट पाखंडी लोग ही शामिल हैं, जो ख़ुद भी शादी के बाद दुख से भरा जीवन जी रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ‘हम तब तक साथ रहेंगे, जब तक मौत हमें अलग नहीं कर देती’.
इसे यूं समझिए, जैसे मुर्गी के दड़बे में बंद लोग काम पर लगे हुए हों. शादीशुदा लोगों का काम है, दूसरे शादीशुदा लोगों की शादी को बचाए रखना और यह तरीक़ा बहुत प्रभावी भी है. आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में तलाक़ की दर सबसे कम है.
यदि आप इतने साहसी हैं तो…
लेकिन वो लोग, जो इस बात को महसूस करने जितने साहसी हैं कि उनकी शादी अब आख़िरी सांसें ले रही है, मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि उनके ऊपर इस बात की ज़िम्मेदारी है कि उन्हें ख़ुद के लिए और इस शादी के टूटने से प्रभावित होनेवाले दोनों पक्षों के लोगों के लिए इसे समाप्त करने का तरीक़ा आसान और दर्दरहित रखना चाहिए.
आख़िरकार ऐसी बहुत सी चीज़ें होंगी, जिन्हें आपने साथ में संजोया होगा- परिवार, बच्चे (यदि हों), एक-दूसरे के नेक इरादे वाले रिश्तेदार, दोस्त, हंसी-मज़ाक, छुट्टियां और कई तरह के जश्न. इन सब चीज़ों को एक झटके के साथ बाहर क्यों फेंका जाए और इस रिश्ते को किसी त्याग दिए गए श्मशान की तरह क्यों माना जाए? जैसा कि पहले के समय में चर्च उन दुष्टों को दंड देने के लिए किया करते थे, जिन्होंने अपनी सीमाओं का उल्लंघन किया है.
रिश्तों की समाप्ति यूं क्यों न हो?
क्या हम शादियों और रिश्तों को अच्छी तरह समाप्त करने के बारे में नहीं सोच सकते? ये भी तो हो सकता है कि जिस तरह शादी करने के लिए, एक होने के लिए समारोह आयोजित किए जाते हैं, बिल्कुल उसी तरह शादी को समाप्त करने के लिए भी कोई रिवाज़ बना दिया जाए. इसे सही तरीक़े से अंजाम देने के लिए कुशलता की ज़रूरत होगी. क्या होगा यदि तलाक़ लेने जा रहा जोड़ा, एक-दूसरे के बारे में अच्छी बातों को यादकर दोबारा एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाए?
क्या इससे शादी को समाप्त करने के इस रिवाज़ का उद्देश्य ही ख़त्म नहीं हो जाएगा? कई लोग इस बात से डरते हैं और इसीलिए वे एक-दूसरे को छोड़ने के लिए कटुता को ज़रूरी मानते हैं, ताकि अलग होने को जायज़ ठहरा सकें. लेकिन सच तो यह है कि यदि ऐसा होता है तो इसका अर्थ शायद ये है कि वे अभी अलग होने के लिए तैयार ही नहीं है.
लेकिन ज़्यादातर मामलों में इसका संदेश सीधा और साफ़ होता है कि यहां से वापसी का कोई बिंदु नहीं है. ऐसे मामलों में यदि विदाई को कूटनीतिक रखा जाए तो यह जीवन के लिए आसान हो सकती है. यह बात दिल तोड़नेवाली भी हो सकती है, लेकिन यह आंखें खोलनेवाली भी तो हो सकती है.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट