• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

कोई भी सभ्यता विकसित नहीं हो सकती, जब तक धर्मांधता की समाप्ति न हो जाए: स्वामी विवेकानंद की जयंती पर विशेष

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
January 12, 2022
in ज़रूर पढ़ें, नज़रिया, सुर्ख़ियों में
A A
कोई भी सभ्यता विकसित नहीं हो सकती, जब तक धर्मांधता की समाप्ति न हो जाए: स्वामी विवेकानंद की जयंती पर विशेष
Share on FacebookShare on Twitter

इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर के कई बड़े फ़ायदे होने के बावजूद यह बड़ा सच है कि इसके चलते युवाओं में किताबें पढ़कर किसी को गहराई से जानने की इच्छा में कमी आई है, क्योंकि वे किसी भी व्यक्ति के बारे में विकीपीडिया से जानकारी जुटाकर मान लेते हैं कि उन्हें उसके बारे में सबकुछ पता है. यही बात स्वामी विवेकानंद के बारे में भी सही है. हिंदू धर्म के लोग उन्हें बात-बात पर कोट तो करते हैं, लेकिन धार्मिक कट्टरता को लेकर उनकी विचारधारा को ज़्यादा नहीं जानते. यही वजह है कि हम स्वामी विवेकानंद की जयंती पर संवाद प्रकाशन की किताब ‘विवेकानंद की खोज में’, जिसे डॉक्टर अजीत जावेद ने लिखा है और जिसका अनुवाद राघवेंद्र कृष्ण प्रताप ने किया है, से इस संदर्भ में उनकी की सोच को आपके सामने रख रहे हैं.

 

विवेकानंद ने धर्मों की अनम्यता को अस्वीकार किया था, परंपरानिष्ठा, धर्मांधता, पंथभेद और कट्टरता का विरोध किया था. उन्होंने इनको, न केवल समाज के स्वास्थ्य के लिए घातक, वरन् देश और संपूर्ण विश्व के लिए, भयानक रोग स्वीकार किया था.
उक्त विचारधाराओं की ज़ोरदार निंदा करते हुए, उन्होंने कहा था :
“संप्रदायवादिता और धर्मांधता ने इस सुंदर पृथ्वी को लंबे समय से अपने हाथों में दबोच रखा है. उन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है, अनेक बार मानवीय रक्त से स्नान कराया है, सभ्यता का विनाश किया है और सभी देशों को निराशा में ढकेल दिया है. यदि ये राक्षस यहां नहीं होते, मानव समाज आज के समाज से बहुत उन्नत हो गया
अमांधता को एक भयानक अवधारणा क़रार देने वाले और इसका व्यवहार करने वाले को पागल की श्रेणी में रखने वाले, विवेकानंद ने अपना मत प्रकट करते हुए कहा था:

इन्हें भीपढ़ें

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

February 27, 2025
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025
democratic-king

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024
Butterfly

तितलियों की सुंदरता बनाए रखें, दुनिया सुंदर बनी रहेगी

October 4, 2024

“प्रत्येक धर्म अपने सिद्धांत बनाता है और केवल इन्हीं को सत्य स्वीकार करता है. और यह केवल इतना नहीं करता, परंतु विश्वास करता है कि जो इन सिद्धांतों में विश्वास नहीं करता, उसे एक भयानक नारकीय स्थान प्राप्त होगा. कुछ लोग तो तलवार
से दूसरों को इस धर्म में विश्वास करने को विवश करते हैं. यह केवल बुराई के द्वारा नहीं होता, वरन् मस्तिष्क की एक बीमारी के कारण होता है, जिसे धर्मांधता कहते हैं… ऐसे लोग वैसे ही गैर-ज़िम्मेदार होते हैं, जैसे दुनिया के दूसरे पागल होते हैं. धर्मांधता का रोग सभी रोगों की तुलना में अधिक भयानक है. मानवीय प्रकृति की सभी बुराइयां, इसी से प्रारंभ होती हैं. इससे क्रोध उत्तेजित हो जाता है, स्नायु गहरे तनाव में आ जाते हैं और मानव नृशंस सिंह बन जाता है.
विवेकानंद के अनुसार एक धर्मांध व्यक्ति उन्मादी होता है, जो सब कुछ विध्वंस कर सकता है, परंतु किसी प्रकार का कोई निर्माण नहीं कर सकता.
“प्रत्येक समाज में धर्मांध व्यक्ति होते हैं और महिलाएं अपनी आवेगी प्रकृति के अनुरूप, बहुधा इस हो-हल्ले में जुड़ जाती हैं. प्रत्येक धर्मांध व्यक्ति, जो उठ कर किसी वस्तु की निंदा करता है, उसका अनुसरण करने वाले उसे मिल जाते हैं. किसी वस्तु को नष्ट करना
बहुत सरल होता है. एक उन्मादी व्यक्ति किसी वस्तु को नष्टकर सकता है, परंतु बना कुछ भी नहीं सकता.

धर्मांध व्यक्तियों का उद्देश्य धर्म नहीं होता
विवेकानंद के मतानुसार, धर्मांध व्यक्तियों का वास्तविक उद्देश्य धर्म नहीं होता, वरन धर्म का दुरुपयोग करके शक्ति प्राप्त करना होता है और इस उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए वे हत्याएं करने से भी नहीं हिचकते.
‘‘धर्मांध लोगों के संबंध में विचार करो वे बड़े नीरस दिखते हैं और उनका संपूर्ण धर्म दूसरों से विवाद करने और संघर्ष करने में व्यतीत होता है, विचार करो, उन्होंने अतीत में क्या किया है और यदि उन्हें शक्ति मिल जाए, तो अभी वे क्या करेंगे. वे सारे संसार को कल ही ख़ून के जल-प्लवन में डुबो देंगे, यदि उससे उन्हें शक्ति प्राप्त हो जाए.’’
कोई भी सभ्यता विकसित नहीं हो सकती, जब तक धर्मांधता, रक्तपात और नृशंसता की समाप्ति न हो जाए. कोई भी सभ्यता अपना सिर उठा नहीं सकती जब तक हम एक-दूसरे के प्रति दयालुता और धार्मिक विश्वास से नहीं देखेंगे… हमारे धर्म और धारणाएं कितनी भी भिन्न-भिन्न क्यों न हों.”

कट्टर धर्मावलंबी बनने से बेहतर है नास्तिक होना
उन्होंने कहा था कि हम कट्टर धर्मावलंबी बने, इसके स्थान पर हमें नास्तिक बन जाना चाहिए: “धर्म के विषय पर दो विरोधी किनारे हैं, एक कट्टर अविलंबी और दूसरा नास्तिक. नास्तिकों में कुछ अच्छाई भी है, परंतु कट्टरपंथी लोग तो अपने संकीर्ण अहं के लिए ही जीवित रहते हैं.”
एक धार्मिक कट्टरपंथी दूसरे धर्मों और उनके धर्मावलंबियों से घृणा करता है. वह अपनी निष्ठा में अनम्य होता है और उसे बदलना असंभव है. विवेकानंद ने कहा था, “मैं आप पर विश्वास करूंगा यदि आप कहें कि मैं किसी मगर का एक दांत उसके मुंह से बिना कोई आघात पाए हुए, निकाल कर ला सकता हूं, परंतु मैं यह विश्वास नहीं
कर सकता कि कोई कट्टरपंथी विचारधारा रखने वाला मनुष्य बदला जा सकता है.’’
कट्टरपंथ अज्ञानता और अपने धर्म की शुद्धता के मिथ्या विश्वास में जन्म लेता है:
“प्रत्येक धर्म यह दावा करता है कि उसकी विशेष पुस्तक ईश्वर की आधिकारिक वाणी है और दूसरी अन्य पुस्तकें मिथ्या और दुर्बल विश्वसनीयता पर आरोपण है और दूसरे धर्मों का अनुसरण करना अज्ञानी होना एवं आध्यात्मिक रूप में नेत्रहीन होना है.

“ऐसी कट्टरता सभी वर्गों के पुरातनपंथी कारकों की विशेषता होती है, उदाहरण के लिए वेदों के पुरातनपंथी अनुयायी यह दावा करते हैं कि संसार में वेद ही ईश्वर के प्रामाणिक कथन हैं; और ईश्वर ने वेदों के माध्यम से ही अपने को अभिव्यक्त किया है, इतना ही नहीं… सृष्टि का अस्तित्व वेदों के कारण ही है.सष्टि के पूर्व भी वेदों का
अस्तित्व था. प्रत्येक वस्तु इसीलिए अस्तित्व में है, क्योंकि वह वेदों में है. एक गाय का अस्तित्व इसीलिए है, क्योंकि उसका नाम वेदों में उपस्थित है. वेदों की भाषा ही ईश्वर की मूल भाषा है और शेष सभी भाषाएं उसकी बोलियां हैं और ईश्वर की भाषा नहीं हैं.
वेद के प्रत्येक शब्द और अक्षर का उच्चारण शुद्धता से किया जाना आवश्यक है और प्रत्येक ध्वनि को इसका शुद्ध स्वर प्राप्त होना चाहिए और इसके परिशुद्ध रूप से थोड़ा-सा भी विचलन भयानक अक्षम्य पाप होता है.”

कट्टरता ने लुक-छिप कर मृत्यु प्रदान की है
कट्टरता की कठोर निंदा करते हुए, उन्होंने कहा था :
“कट्टरता ने क्या किया है? अपने प्रत्येक पदक्षेप में इसने उर्वर खेतों और शांतिपूर्ण परिवारों में लुक-छिप कर मृत्यु प्रदान की है. इसने बच्चों को उनके अभिभावकों से और अभिभावकों को बच्चों के हाथों से छीन लिया है और आज इसका मरियल हाथ, साथी नागरिकों और पड़ोसियों के विरुद्ध गोपनीयता से उठ रहा है.”
धर्मांध, कट्टर और पुरातनपंथियों के लिए, धर्म मात्र एक व्यापार है, जिसका परिणाम प्रतिस्पर्धा, आपसी संघर्ष और स्वार्थपरता होती है. इस प्रकार वे बलपूर्वक एक संकीर्ण और आत्मकेंद्रित दृष्टिकोण प्राप्त करते हैं, जिससे वे आध्यात्मिकता से दूर चले जाते हैं. जबकि एक आध्यात्मिक व्यक्ति का प्रेम सभी लोगों को अपने में सम्मिलित
कर लेता है.
उनके मतानुसार, एक वास्तविक रूप में आध्यात्मिक मनुष्य, ईश्वर में आस्था रखे बिना ही, दूसरों की भलाई करता है.
“यदि किसी मनुष्य ने किसी दर्शन की उपलब्धि न की हो, वह ईश्वर में विश्वास न रखता हो, न कभी विश्वास किया हो, अपने पूरे जीवन में एक बार भी प्रार्थना न की हो, परंतु यदि उसके अच्छे कार्यों ने उसे उस स्थिति में पहुंचा दिया हो कि वह दूसरों के लिए अपना जीवन बलिदान कर सकता हो, वह उसी स्तर पर पहुंच गया है, जिस स्थान
पर एक धार्मिक व्यक्ति अपनी प्रार्थनाओं द्वारा और एक दार्शनिक अपने ज्ञान द्वारा पहुंचेगा.”
उनके विचारानुसार, वे सभी जो वास्तविक आध्यात्मिक प्रकृति प्राप्त कर चुके हैं, कभी भी उस रूप के संबंध में विवाद नहीं करते, जिसमें अलग-अलग धर्मों की अभिव्यक्ति की जाती है और न ही इस बात पर किसी से झगड़ते हैं कि वह एक दूसरी भाषा बोलता है.

धार्मिक संघर्ष के पीछे आर्थिक संघर्ष होता है
‘‘धर्म के संबंध में कभी भी, किसी से झगड़ा मत करो. धर्म के संबंध में किए गए सारे विवाद और संघर्ष यही बताते हैं कि वहां आध्यात्मिकता अनुपस्थित है. धार्मिक झगड़े केवल धर्म की ऊपरी व्यर्थ भूसी के लिए होते हैं. जब निर्दोषिता और आध्यात्मिकता नहीं होती, झगड़े शुरू हो जाते हैं, उसके पहले नहीं.’’
धार्मिक संघर्षों की व्याख्या करते हुए उन्होंने दृढ़तापूर्वक घोषित किया था: ‘‘प्रत्येक धार्मिक संघर्ष के पीछे एक आर्थिक संघर्ष होता है. मनुष्य नामक पशु के भीतर कुछ धार्मिक प्रभाव होता है, परंतु वह आर्थिक व्यवस्था द्वारा संचालित होता है.’’ जब किसी भी धर्म ने घृणा, शत्रुता या युद्ध का उपदेश नहीं दिया, तब कौन है, जो इन लोगों को प्रेरित करता है? विवेकानंद ने इसके लिए एक ही शब्द कहा था,‘राजनीति.’

फ़ोटो: गूगल

Tags: Dr. Ajit JavedHeadlinesJayanti specialNarendranathNarendranath DuttPerspectiveRaghavendra Krishna Pratapreligious fanaticismSamvad PrakashanSwami VivekanandaSwami Vivekananda's birth anniversarythoughts of Vivekananda on religious fanaticismtranslationअनुवादजयंती विशेषडॉक्टर अजीत जावेदधार्मिक कट्टरताधार्मिक कट्टरता पर विवेकानंद के विचारनज़रियानरेन्द्रनाथनरेन्द्रनाथ दत्तराघवेंद्र कृष्ण प्रतापसंवाद प्रकाशनसुर्ख़ियांस्वामी विवेकानंदस्वामी विवेकानंद की जयंती
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
क्लासिक कहानियां

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
ktm
ख़बरें

केरल ट्रैवल मार्ट- एक अनूठा प्रदर्शन हुआ संपन्न

September 30, 2024
Bird_Waching
ज़रूर पढ़ें

पर्यावरण से प्यार का दूसरा नाम है बर्ड वॉचिंग

September 30, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.