कहते हैं आत्महत्या करना कायरों का काम है. पर कई बार हत्याएं आत्महत्याओं में तब्दील की दी जाती हैं. एक कवि कहता है भले ही लोग कहें कि उसने आत्महत्या की है, पर यक़ीन मानना वह इतना कायर नहीं है. बेशक, हत्या और आत्महत्या में फ़र्क़ होता है.
देखना
एक दिन मैं भी उसी तरह शाम में
कुछ देर के लिए घूमने निकलूंगा
और वापस नहीं आ पाऊंगा!
समझा जाएगा कि
मैंने ख़ुद को ख़त्म किया!
नहीं, यह असंभव होगा
बिल्कुल झूठ होगा!
तुम भी मत यक़ीन कर लेना
तुम तो मुझे थोड़ा जानते हो!
तुम
जो अनगिनत बार
मेरी कमीज़ के ऊपर ऐन दिल के पास
लाल झंडे का बैज लगा चुके हो
तुम भी मत यक़ीन कर लेना
अपने कमज़ोर से कमज़ोर क्षण में भी
तुम यह मत सोचना
कि मेरे दिमाग़ की मौत हुई होगी!
नहीं, कभी नहीं!
हत्याएं और आत्महत्याएं एक जैसी रख दी गई हैं
इस आधे अंधेरे समय में
फ़र्क़ कर लेना साथी!
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