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ओए अफ़लातून
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मौली घर चली: आम ज़िंदगी की एक ख़ास-सी कहानी

अमरेन्द्र यादव by अमरेन्द्र यादव
November 29, 2022
in बुक क्लब, समीक्षा
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Mauli-Ghar-Chali_Shilpa-Sharma
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नए रिश्ते बनें और पुराने रिश्ते जस के तस रहें, ऐसा हो सकता है क्या? ख़ासकर जब नया रिश्ता सास-बहू का हो! घर में एक बहू के आने से हर रिश्ते के समीकरण को बदल जाते हैं. किंडल पेन टू पब्लिश प्रतियोगिता के तहत किंडल पर प्रकाशित लेखिका शिल्पा शर्मा के लघु उपन्यास में इन्हीं बदलते रिश्तों को समझा, समझाया गया है.

पुस्तक: मौली घर चली
लेखिका: शिल्पा शर्मा
प्रकाशक: किंडल
मूल्य: 49 रुपए
पृष्ठ संख्या: 51
रेटिंग: 4/5 स्टार

कहने को तो कोविड महामारी के दौरान दुनिया क़रीब दो साल तक डरी, सहमी और रुकी रही. पर असल में न तो दुनिया रुकती है, न ही उसके वाशिंदे. शिल्पा शर्मा का लघु उपन्यास मौली घर चली महामारी और लॉकडाउन के दौरान बंद-बंद सी ज़िंदगी की सामान्य गति से चलती कहानी है. मौली, उसके पिता विलास, मां शांता, पति संकल्प, ससुर पांडुरंग, सास बिंदु, देवर कल्पेश के आपसी रिश्तों से गुंधी यह कहानी आम लोगों के, आम जीवन, आम समस्याओं को रोचक अंदाज़ में बयां करती है. लॉकडाउन के दौरान लोवर मिडल क्लास द्वारा झेली गई मुसीबतों, और मुसीबतों से निकलने, निपटने की उनकी जद्दोजहद को रियलिस्टिक ढंग से पेश करती है यह किताब. न तो मौली की ज़िंदगी की समस्याएं अनूठी हैं और न ही उनके समाधान के तरीक़े अलग. पिता के बचपन के दोस्त के बेटे से शादी के बाद मौली को पति के साथ रह पाने के लिए अपने हिस्से की मुसीबतों और विरह वेदना से गुज़रना पड़ता है. जब पति का साथ मिलता है तो घरेलू खटपट उसका इंतज़ार करती है. पर मौली आज के ज़माने की लड़की है, वह अपनी समस्याओं को न केवल हल करना जानती है, बल्कि परिवार को साथ लेकर चलने का हुनर भी उसके पास है. कभी बेचारी-सी लगने वाली मौली, कभी बेहद फ़र्म और आत्मविश्वास से भरी नज़र आती है. यह मौली की समझदारी ही है कि कहानी एक सुखद मोड़ पर पहुंचती है.
लेखिका शिल्पा शर्मा का यह लघु-उपन्यास यानी नॉवेला एक सिटिंग में पढ़ने जैसा है. आम घटनाओं से शुरू होकर एक सामान्य कहानी, जब रफ़्तार पकड़ती है तो आगे क्या होगा, जानने के चक्कर में हम पूरी किताब पढ़ जाते हैं. यूं तो कहानी में बहुत ज़्यादा टि्वस्ट ऐंड टर्न्स नहीं हैं, पर कहानी कहने का तरीक़ा, सधी हुई भाषा और बेवजह की भूमिका बनाने के बजाय सीधे मुद्दों की बात करने का लेखिका का अंदाज़ रोचक और अलहदा है. अगर आप झटपट कुछ अच्छा और सार्थक पढ़ना चाहते हैं तो मौली के साथ उसके घर चलें और जानें, आख़िर मौली के घर चलने को इतना बड़ा मुद्दा क्यों बनाया गया है.

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Tags: Mauli Ghar Chali by Shilpa SharmaShilpa SharmaShilpa Sharma BookShilpa Sharma Booksकिंडलमौली घर चलीशिल्पा शर्माशिल्पा शर्मा की किताब
अमरेन्द्र यादव

अमरेन्द्र यादव

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