बावजूद इसके कि हमारा देश जनसंख्या के मामले में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है, विडंबना ये है कि हमारे यहां आज भी ‘सेक्स’ बेहद दबा-ढंका विषय है. जिसके बारे में बातें केवल कानाफूसी की तरह की जाती हैं. यही वजह है कि हमने यहां सेक्स से जुड़े उन सामान्य सवालों और उनके जवाबों को जगह दी है, जिन्हें हर युवक/युवती को जानना चाहिए…
ये सवाल बहुत सामान्य से हैं, हर किशोरवय के मन में आते हैं और इनके सही जवाब आपको सुलझा हुआ व्यक्तिगत व सेक्शुअल जीवन जीने का अवसर देते हैं, जबकि यदि इनके जवाब आपको ग़लत स्रोतों से प्राप्त हों तो आप कुंठित हो सकते हैं. आपके साथ ऐसा न हो, आप सेक्शुअल जीवन को सहजता से ले सकें इसके लिए इन सवालों और इनके जवाबों को ज़रूर पढ़ें.
क्या सेक्स की शुरुआत की कोई तयशुदा उम्र है?
भारत में सहमति से सेक्स की उम्र 18 वर्ष है. पर यहां बहुत ज़रूरी है कि आप ‘सहमति से’ शब्द पर ग़ौर से ध्यान दें. सहमति से सेक्स की उम्र 18 वर्ष है, इसका यह क़तई मतलब नहीं है कि आपने इससे देर से अपने सेक्स जीवन की शुरुआत की या इससे ज़्यादा उम्र होने के बावजूद अब तक नहीं की है तो आप ख़ुद पर कोई दबाव महसूस करें. दरअसल तो किसी दबाव में सेक्शुअल संबंध कायम किए जाने चाहिए और ना ही ऐसा करने के लिए किसी दूसरे पर कोई दबाव डाला जाना चाहिए. आपको सेक्शुअल संबंध केवल उसी व्यक्ति से कायम करने चाहिए, जो इसकी सहमति दे. अट्ठारह की उम्र के बाद सेक्शुअल जीवन की शुरुआत करने के लिए पार्टनर की सहमति से ज़्यादा न तो कोई भी और बात महत्वपूर्ण है और ना ही ज़रूरी.
क्या पहली बार सेक्स करने के दौरान दर्द होता है?
यदि आप दोनों सही तरीक़े से आगे बढ़ें तो ऐसा होना नहीं चाहिए. फ़ोरप्ले में लंबा समय बिताएं, साथ का लंबे समय तक आनंद उठाएं और अपने शरीर को सेक्स का लुत्फ़ उठाने के लिए रिलेक्स्ड कर दें तो ऐसा बिल्कुल नहीं होगा. लेकिन यह बात भी बिल्कुल सच है कि सेक्स का पहला अनुभव वैसा बिल्कुल नहीं होता है, जैसा कि फ़िल्मों में दिखाया जाता है. और यह सोचना बिल्कुल सही नहीं है कि पहली बार सेक्स के दौरान केवल महिलाओं को ही दर्द या परेशानी होती या हो सकती है कई बार पुरुषों को भी दर्द होता है. इसकी वजह अनुभवहीनता होती है.
वर्जिनिटी क्या है? क्या पहली बार सेक्स के दौरान ख़ून आना ज़रूरी है?
महिलाओं की योनी में हाइमन होता है, जो एक झिल्लीनुमा, सपाट अवरोध होता है. यह खेलकूद या सामान्य गतिविधियों के दौरान भी टूट सकता है. कई पुरुषों और महिलाओं को लगता है कि पहली बार सेक्स के दौरान हाइमन के टूटना और ख़ून निकलना ही वर्जिनिटी का सबूत है, लेकिन यह एक दकियानूस सोच है. क्योंकि हाइमन एक लचीली और चटक जाने जैसी झिल्ली है, जिसके चटकने पर कुछ युवतियों को ख़ून आता है और कुछ को नहीं भी आता है. ख़ून का आना या न आना दोनों ही बातें बिल्कुल सामान्य हैं.
क्या सेक्शुअल संतुष्टि पाने में पीनिस का आकार मायने रखता है?
सेक्शुअल संतुष्टि पाने में पीनिस का आकार कतई मायने नहीं रखता. मायने ये बात रखती है कि अपने सक्शुअल मिलन को लेकर आप दोनों साथी कितने उत्साहित हैं. यदि आप अपने साथी के साथ फ़ोरप्ले कर सकते हैं, उसकी सेक्शुअल इच्छाओं को प्राथमिकता दे सकते हैं, जानते हैं कि कहां छूने से उसे आनंद मिलता है तो पीनिस का आकार चाहे जो भी हो, आप उसे पूरी तरह संतुष्ट कर सकते हैं.
एक दिन में कितनी बार सेक्स किया जाना चाहिए?
कितनी बार सेक्स किया जाना चाहिए, इस सवाल का कोई सही जवाब नहीं हो सकता. यह बात इस बात पर निर्भर करती है कि आपका साथी कितनी बार सहमति से सेक्स के लिए तैयार है. सहमति से आप दोनों जितनी बार चाहें, कर सकते हैं. हां, यह इतना अधिक भी न हो कि इससे आप दोनों ख़ुद को चोट पहुंचा लें या आपके कामकाज पर असर पड़ने लगे.
क्या महिलाओं को हर बार ऑर्गैज़्म आता है?
सच्चाई ये है कि जहां सेक्स के दौरान पुरुष हर बार चरम पर पहुंचते हैं, बहुत सी महिलाओं को हर बारऑर्गैज़्म नहीं आता, लेकिन बावजूद इसके यदि यह एक सहमति से किया गया सेक्स है तो महिलाएं इस प्रक्रिया को पसंद करती हैं. हां, पुरुष साथी कई ऐसी चीज़ें कर सकता है, जिससे ऑर्गैज़्म की संभावना बढ़ जाए. अपने साथी से पूछें उसे किसमें आनंद मिलता है, उन्हें उस तरह से प्लेशर दें. इसके अलावा वाइब्रेटर या अन्य तरीक़ों से भी ऑर्गैज़्म पाया जा सकता है. और एक बात यह भी है, जिसे सेक्शुअल रिश्तों में शामिल महिला और पुरुष को अच्छी तरह समझना चाहिए कि सेक्स का मतलब हर साथी का हर बार चरम पर पहुंचना नहीं होता, इसका असली अर्थ एक-दूसरे के साथ का आनंद उठाना भी होता है.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट