आपको अपना बचपन तो याद होगा ही कि किस तरह आपके माता-पिता, दादा-दादी या नाना-नानी आपको कहानी सुनाया करते थे और हर रात आप इस बात का इंतज़ार करते थे कि कब सोने जाएं और कहानी सुनें. यदि आपका बचपन भी ऐसा बीता है तो आपको बता दें कि अनजाने ही इन कहानियों ने आपकी भाषा, समझ और व्यक्तित्व को गढ़ने में अहम् भूमिका निभाई है, जिसके बारे में आज के शोध भी तस्दीक करते हैं. तो अब, जबकि आप माता-पिता की भूमिका में हैं हम आपसे यही कहने जा रहे हैं कि अपने बच्चों को कहानियां सुनाइए और उनके व्यक्तित्व को गढ़ने की ज़िम्मेदारी उठाइए.
हम सभी बचपन में अपने बड़ों से कहानियां सुनते हुए बड़े हुए हैं. हम सभी ने अपने माता-पिता, दादा-दादी और नाना-नानी से ‘एक और कहानी सुना दो ना!’ की ज़िद भी की है. आज जहां एक ओर विज्ञान ये कहता है कि इन कहानियों ने हमारे विकास में अमूल्य योगदान दिया है, वहीं दूसरी ओर तकनीक की गिरफ़्त में आ चुकी आज की पीढ़ी का भी इस बारे में जानना बहुत ज़रूरी है कि किस तरह ये कहानियां बच्चों के विकास में योगदान देती हैं, ताकि वे भी अपने बच्चों को कहानियां सुनाएं और अपने बच्चों को भावनाओं, कल्पनाशीलता और जिज्ञासा को व्यक्त करने का गुण सहज ही सिखा दें. तो आइए नज़र डालते हैं कि बच्चों को कहानियां सुनाने के क्या फ़ायदे हैं…
बच्चे अपनी संस्कृति को समझते हैं: जब बच्चे छोटे होते हैं और हम उन्हें कहानियां सुनाते हैं तो उन्हें अपने परिवार, संस्कृति और परिवेश को समझने में मदद मिलती है. ख़ुशी-ग़म, सुख-दुख, भला-बुरा समझने में उन्हें मदद मिलती है. भले ही उस समय वे बोल नहीं सकते हों, लेकिन शब्दों, आवाज़ों और उनके उतार-चढ़ाव को वे बख़ूबी समझ लेते हैं.
वे सोचना और समझना सीखते हैं: जब आप उन्हें छोटी-छोटी कहानियां सुनाते हैं तो वे उसमें से अच्छा या बुरा, हीरो या विलेन जैसी चीज़ों को समझना सीखते हैं. उन्हें आप कहानियों के ज़रिए वैल्यूज़ सिखा सकते हैं, जैसे- ईमानदारी, सच बोलना, विनम्र होना, कृतज्ञ होना, साहस, अपनी सहज बुद्धि का उपयोग करना, परोपकार, दूसरों की मदद करना वगैरह. इन बातों के बीच आप कहानियों के माध्यम से बचपन से ही बच्चों के भीतर गहरे रोप सकते हैं.
उनकी शब्दावली बढ़ती है: जब आप कहानियों में नए-नए शब्दों का इस्तेमाल करते हैं तो बच्चे आपसे उनके अर्थ पूछते हैं, इस तरह बच्चों का शब्द ज्ञान और शब्दावलियां सीखना सहजता से हो जाता है. यदि आप कहानियां सुनाते हुए उन्हें उससे जुड़ी कहावतें भी बताते जाएं तो बच्चों का भाषा का ज्ञान बढ़ता जाता है.
वे ख़ुद को अच्छी तरह अभिव्यक्त कर पाते हैं: जब बच्चों की शब्दावली मज़बूत होती है तो वे ख़ुद को अच्छी तरह अभिव्यक्त कर पाते हैं. अपनी बातें दूसरों को समझा पाते हैं और इस तरह उनमें आत्मविश्वास आता है. वे दूसरे लोगों से खुलकर बात कर पाते हैं और अपने दोस्त बना पाते हैं.
उनकी कल्पनाशीलता और रचनात्मकता बढ़ती है: जो बच्चे कहानियां सुनते हैं उनके भीतर रचनात्मकता बढ़ती है, वे कल्पनाशील होते हैं और उनमें आउट ऑफ़ बॉक्स सोचने का कौशल विकसित होता है. साथ ही साथ, उनकी याददाश्त भी बढ़ती है.
बच्चे रहमदिल बनते हैं: जो बच्चे कहानियां सुनते हुए बड़े होते हैं, वे जागरूक होते हैं और भावनात्मक भी. वे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना भी सीखते हैं और दूसरे लोगों के प्रति करुणा या रहमदिली का भाव भी उनमें ज़्यादा होता है.
विश्लेषण करना सीखते हैं: जो बच्चे अपने अभिभावकों या दादा-दादी/नाना-नानी से कहानियां सुनते हुए बड़े होते हैं, वो परिस्थितियों और चीज़ों के विश्लेषण करने का गुण भी अपने भीतर विकसित कर लेते हैं. क्योंकि कहानियों में उन्होंने कहानी के पात्रों को अलग-अलग स्थितियों से गुज़रते और उसके अनुसार फ़ैसले लेते सुना होता है. इस तरह कहानी सुनने वाले बच्चों के लिए उनके जीवन में आई कठिन परिस्थितियों का विश्लेषण करना और कोई फ़ैसला लेना आसान हो जाता है.
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