जिस तरह की हमारी लाइफ़स्टाइल है उसमें तनाव होना आम बात है. आजकल बच्चे हों या बड़े सभी किसी न किसी तरह के तनाव से जूझ रहे हैं. अपने जीवन की समस्याओं से हम सभी को ख़ुद जूझना होगा, लेकिन तनाव से जूझना उतना भी कठिन नहीं है, जितना कि हम सोचते हैं. तनाव होने पर यदि अपनी सांसों की लय पर ध्यान दिया जाए और प्राणायाम किया जाए तो कुछ ही दिनों में आप तनाव में कमी महसूस करेंगे/करेंगी और कुछ और अभ्यास किया तो तनाव पर क़ाबू पाना भी सीख लेंगे/लेंगी. आइए, जानें यह कैसे हो सकता है.
जब भी हम तनाव यानी टेंशन में होते हैं सांस लेने की सामान्य प्रक्रिया में बदलाव आता है और यदि हम तनाव के समय सांस लेने की इस प्रक्रिया को सामान्य बना सकें तो तुरंत ही हम तनाव से थोड़ी राहत पा सकते हैं. और वहीं यदि गहरी सांसें लेने यानी डीप ब्रीदिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें तो तनाव का स्तर बहुत कम हो जाता है.
इसी तरह रोज़ाना प्राणायाम, जो सांस लेने या सांसों को नियंत्रत करने के लिए किया जाता है, को अपने रूटीन का हिस्सा बना लें तो धीरे-धीरे आप पाएंगे/पाएंगी कि तनाव आपको छू भी नहीं पाएगा. प्राणायाम शब्द संस्कृत के दो शब्दों प्राण और आयाम से मिल कर बना है. जहां प्राण का अर्थ होता है जीवन शक्ति, जो हमें जीवित रखती है और आयाम का अर्थ होता है दिशा देना. कुल मिला कर प्राण शक्ति को सही दिशा देने की प्रक्रिया ही प्राणायाम है. यहां हम आपको बता रहे हैं कि कैसे अपनी सांसों की लय पर ध्यान देकर आप तनाव को कम या ख़त्म कर सकते/सकती हैं.
लंबी-गहरी सांसें लें
हम-आप सामान्यत: जिस भी लय से सांस लेते और छोड़ते हैं, तनाव होने पर सांसों को लेने और छोड़ने की गति उससे कहीं ज़्यादा बढ़ जाती है. ऐसे में जब भी आपको तनाव महसूस हो दो पल रुक जाएं और 10-12 लंबी-गहरी सांसें लें यानी डीप ब्रीदिंग करें. ऐसा करने पर आपको बेहतर महसूस होगा. आप स्वयं पर नियंत्रण पा सकेंगे/सकेंगी.
तनाव के समय डीप ब्रीदिंग करने से यदि आप तुरंत बेहतर महसूस कर सकते/सकती हैं तो सोचिए, डीप ब्रीदिंग को रूटीन का हिस्सा बना कर आप इससे कितना ज़्यादा लाभ पा सकते/सकती हैं? सुबह के समय रोज़ाना 10 मिनट का समय निकाल कर डीप ब्रीदिंग का अभ्यास करें. इससे आपका दिमाग़ रिलैक्स होगा और तनाव का स्तर कम होगा. यही नहीं डीप ब्रीदिंग से अनिद्रा की समस्या भी दूर होती है.
कैसे काम करता है गहरी सांसें लेना
जब हम एक निश्चित लय में लंबी-गहरी सांस लेते हैं तो हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन पहुंचती है, जिसकी वजह से हमें ऊर्जा मिलती है. क्योंकि ऑक्सिजन ही तो हमारी प्राणवायु है. जब पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु लंबे समय तक शरीर के भीतर पहुंचती है तो वह हमारे रक्त में मिल कर शरीर के हर अंग को ऊर्जा देती है. इसी तरह सांस छोड़ने पर दूषित वायु बाहर निकल जाती है. इससे हमारा पूरा शरीर दिल, दिमाग़, फेफड़े और लीवर सभी स्वस्थ होने लगते हैं. जिससे शरीर और मन स्ट्रेस फ्री यानी तनावमुक्त महसूस होता है.
इसी तरह यदि हम प्राणायाम की बात करें तो सांस लेते समय हम तीन क्रियाएं करते हैं, जिन्हें पूरक, कुम्भक और रेचक कहा जाता है. पूरक क्रिया में हम अपनी नाक से सांस भीतर लेते हैं, कुम्भक में सांस को भीतर रोके रखा जाता है और रेचक क्रिया में हम सांस को बाहर की ओर छोड़ते हैं. कई प्राणायाम में पूरक और रेचक क्रिया ही की जाती है तो कई में कुम्भक को भी शामिल किया जाता है. प्राणायम करने से न सिर्फ़ शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और तनाव को कम करने में भूमिका निभाता है. प्राणायाम मन को स्थिर करता है, जिससे तनाव से छुटकारा मिल जाता है. दरअसल, प्राणायाम शरीर और मन के बीच के संबंध को मज़बूत करता है. अत: तनाव कम करना चाहते हैं तो प्राणायाम को भी अपने रूटीन में शामिल करें.
तनाव दूर करेंगे भ्रस्त्रिका और अनुलोम विलोम प्राणायाम
जिस तरह हमने बताया कि डीप ब्रीदिंग यदि आप तनाव के समय भी करेंगे/करेंगी तो भी आपको तुरंत ही तनाव से राहत मिलेगी, वही बात भ्रस्त्रिका और अनुलोम-विलोम प्राणायाम के लिए भी सही है. अत: हम तो यह कहेंगे कि यदि एक बार आपने डीप ब्रीदिंग करना शुरू कर दिया तो भ्रस्त्रिका और अनुलोम विलोम प्राणायाम को भी अपने रूटीन का हिस्सा बनाएं. ये दोनों प्राणायाम तनाव को दूर रखने में बेहद करागर हैं.
भ्रस्त्रिका प्राणायाम तो एक तरह से लंबी, गहरी, लयबद्ध सांस लेना ही है. इसमें आप जितनी लंबी (फ़र्ज़ कीजिए तीन सेकेंड लंबी) सांस लेते हैं, उतने ही लंबे समय में सांस (यानी इस केस में तीन सेकेंड) छोड़नी भी होती है. यह ध्यान रखें कि सांस लेते और छोड़ते समय जो आवाज़ होती है, वह सामान्य है.
अनुलोम विलोम प्राणायाम में नाक के एक छेद यानी एक नॉस्ट्रल को बंद कर के सांस ली जाती है और दूसरे नॉस्ट्रल से सांस छोड़ी जाती है. फिर जिस नॉस्ट्रल से सांस छोड़ी गई है, वहां से सांस ली जाती है और दूसरे नॉस्ट्रल से छोड़ी जाती है. इस प्रक्रिया को दोहराते रहा जाता है.
हमारी इस पूरी चर्चा का सार यह है कि यदि आप तनाव से मुक्ति चाहते/चाहती हैं तो सांसों की लय पर ध्यान दें, उन्हें नियंत्रित करें, तनाव ख़ुद ब ख़ुद नियंत्रण में रहेगा.
फ़ोटो : फ्रीपिक