आयुर्वेद में भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है, यह तो आपको भी पता होगा- सात्विक, राजसिक और तामसिक. इनमें से सात्विक भोजन को हमारे ऋषि-मुनियों ने अपने खानपान का आधार बनाया, क्योंकि यह स्वस्थ और ऊर्जावान रहने में सहायक है. यहां हम सात्विक भोजन व उसके फ़ायदे के बारे में बता रहे हैं.
अहिंसा और सादगीभरे जीवन को वरीयता देने वाले हमारे प्राचीन योगियों ने जिस भोजन को अपनाया, वह सात्विक भोजन शाकाहारी होता है और केवल पौधों और डेयरी प्रोडक्ट्स से मिली चीज़ों से तैयार किया किया जाता है. इसमें फल, सब्ज़ियां, अनाज, फलियां, ड्राई-फ्रूट्स वगैरह शामिल हैं.
सात्विक भोजन में ऐसे पदार्थों को शामिल किया जाता है, जो सुपाच्य हों, पाचन को बढ़ावा देते हों, मेटाबॉलिज़्म और इम्यूनिटी को बढ़ाते हों. जिन चीज़ों को हम अपने भोजन के लिए इस्तेमाल करते हैं, उनमें यदि ये गुण हों तो ये आपको संतुलित मन और शरीर ही नहीं देते, बल्कि ये आपकी त्वचा, बालों और संपूर्ण सेहत पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं.
यहां एक बात बता देना ज़रूरी है कि सात्विक भोजन में लहसुन और प्याज़ को शामिल नहीं किया जाता है, बावजूद इसके कि वे पूरी तरह से वनस्पति पर आधारित भोजन पदार्थ हैं. प्याज़ और लहसुन ही नहीं, बल्कि इस श्रेणी के कुछ और पौधों की भी सात्विक भोजन में मनाही है. इसकी वजह यह बताई गई है कि इस श्रेणी के पौधे टेंशन, डिप्रेशन, मूड स्विंग्स जैसी चीज़ों को उकसाने वाले होते हैं, जिससे शरीर और मन के संतुलन में बाधा पहुंचती है.
जैसा कि हमने ऊपर ही बताया कि आयुर्वेद भोजन पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटता है: सात्विक, राजसिक और तामसिक. सात्विक भोजन वह है, जिसमें ताज़ी, रसभरी, स्वादिष्ट, सुपाच्य और पकी हुई शाकाहारी चीज़ों को शामिल किया जाता है, जो ऊर्जा प्रदान करती हैं और सेहतमंद बनाती हैं.
वहीं राजसिक भोजन पदार्थों में नमकीन, कड़वा, बहुत मीठा, मसालेदार, तासीर में गर्म और सूखा चीज़ों को शामिल किया जाता है, जिन्हें खाने पर क्रोध, ईर्ष्या, नकारात्मक भावनाएं जन्म लेती हैं और यह सुपाच्य भी नहीं होता अत: सेहत के लिए बहुत फ़ायदेमंद भी नहीं होता.
तीसरी श्रेणी में आता है तामसिक भोजन. यह ऐसे भोजन पदार्थों को कहा जाता है, जिनकी अपनी दुर्गंध होती है, जिसे छुपाने के लिए बहुत अधिक तेल-मसालों का इस्तेमाल होता है और जिन्हें पचाना शरीर के लिए बहुत मुश्क़िलभरा होता है. इसमें मांस-मदिरा जैसे भोजन पदार्थ शामिल हैं.
भोजन के इन प्रकारों के बारे में जानने के बाद, आइए अब जानते हैं कि सात्विक भोजन के क्या फ़ायदे हैं:
सुपाच्य होता है
चूंकि सात्विक भोजन को अलग-अलग पौष्टिक पदार्थों को उबाल कर या भाप में कुछ औषधीय मसालों के साथ कम तेल या घी में पकाया जाता है, इन्हें धीमी आंच पर पकाया जाता है तो इनमें मौजूद न्यूट्रिशन बरक़रार रहता है. ये पोषक तत्व आसानी से शरीर में अवशोषित हो जाते हैं और शरीर को ऊर्जा देते हैं, मेटाबॉलिज़्म बढ़ाते हैं और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखते हैं. इस तरह आपके शरीर को सेहत बख़्शते हैं.
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
सात्विक भोजन हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिसकी वजह से हम मौसमी बीमारियों की चपेट में नहीं आने पाते हैं, जैसे- सर्दी, खांसी वगैरह. यही नहीं, चूंकि सात्विक भोजन हमारे मेटाबॉलिज़्म को ठीक बनाए रखता है, हमारा वज़न नहीं बढ़ता है और वज़न के बढ़ने से होने वाली बीमारियों से भी हम बचे रहते हैं.
मानसिक स्वास्थ दुरुस्त रखता है
नियमित रूप से सात्विक भोजन किया जाए तो आप मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं, आपकी याद्दाश्त और किसी भी चीज़ पर फ़ोकस करने की क्षमता में इज़ाफ़ा होता है. मूड स्विंग्स नहीं होते हैं, सकारात्मक विचार आते हैं और चित्त प्रसन्न बना रहता है.
सुंदरता बढ़ाता है
सात्विक भोजन शुद्ध और पौष्टिक होता है, क्योंकि यह उबाल कर या कम घी, तेल व मसालों में पकाया जाता है. इससे इसके पौष्टिक तत्व इसमें बने रहते हैं और वे हमारे संपूर्ण स्वास्थ को तंदुरुस्त बनाते हैं, जिसमें हमारी त्वचा व बाल भी शामिल हैं. साथ ही, चूंकि इसमें चीनी और तेल का प्रयोग न के बराबर होता है यह डायबिटीज़ और हार्ट पेशेंट्स के लिए बेहतरीन होता है.