हमारे देश में लंबे समय तक पितृसत्तात्मकता रही है. अब समय बदल रहा है. युवतियां पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं, वे अपने निर्णय लेना जानने लगी हैं, जबकि लड़कियों में तेज़ी से आए इस बदलाव को समाज की पिछली पीढ़ी के पुरुषों और महिलाओं के अलावा इस पीढ़ी के पुरुष भी बहुत तेज़ी से अपना नहीं पा रहे हैं. यही वजह है कि रिश्तों में समस्याएं पहले से ज़्यादा आने लगी हैं. यहां हम आपको कुछ कारण बता रहे हैं, जिनकी वजह से ऐसा होता है. समय रहते यदि पार्टनर्स, कपल्स और पति-पत्नी इनपर काम कर लें तो रिश्तों में प्यार बना रहेगा.
नियंत्रण की चाहत
कौन-से कपड़े पहनने हैं, क्या खाना है, क्या ख़रीदना है यानी घर की छोटी से छोटी चीज़ से लेकर बड़ी से बड़ी चीज़ तक… इन छोटी-बड़ी बातों में यदि कपल में से कोई एक हर बार अपनी ही बात मनवाना चाहता/चाहती है और न माने जाने पर आप दोनों के बीच झगड़े होते हैं या वह मुंह फुलाकर बैठ जाती/जाता है और यह पैटर्न बार-बार रिपीट होता है तो समझ लें कि समस्या गंभीर है. और इसे सुलझाया जाना नितांत ज़रूरी है. आप दोनों साथ बैठ कर बात करें (लड़ना नहीं है!) फिर चाहे फ़ैसला ये हो कि एक बार आपकी और अगली बार उनकी बात मानी जाएगी या किचन और कार के बारे में आप और निवेश और ट्रैवल के बारे में वो निर्णय लेंगे या फिर आप दोनों सिक्का उछालकर यह तय करेंगे कि आपको क्या करना है, पर इस फ़ैसले को आप दोनों को ही मानना होगा. इस तरह यह समस्या दूर की जा सकती है. हां, इसे दूर करने के आपके अपने इनोवेटिव तरीक़े भी हो सकते हैं.
तालमेल और अनुकूलता का न होना
यदि आप और आपके साथी के बीच सही तालमेल और अनुकूलता नहीं है तो इसे लाना भी तो आप दोनों की ही ज़िम्मेदारी है. कोई तो ऐसी चीज़ होगी जो आप दोनों को एक सूत्र में बांधती होगी, जैसे- लॉन्ग ड्राइव पर जाना, फ़िल्में देखना, गाने गुनगुनाना, गार्डनिंग, ट्रैवलिंग या फिर ऐसा ही कुछ और. सप्ताह में एक दिन अपने साझा शौक़ के नाम रखें, क्योंकि यदि यह कॉम्पैटिबिलिटी नहीं होगी तो धीरे-धीरे आप दोनों एक-दूसरे के प्रति रूखे हो जाएंगे और आप दोनों के बीच दूरियां बढ़ जाएंगी. अत: यदि आप दोनों के बीच कॉम्पैटिबिलिटी नहीं है तो ये एक बड़ी समस्या है, जिसका आपको समय रहते समाधान कर लेना चाहिए, अन्यथा यह बड़ी समस्या बन सकती है.
मी टाइम का न मिलना
जिस तरह अनुकूलता होना ज़रूरी है, बिल्कुल उसी तरह एक कपल के बीच दोनों पार्टनर्स को मी टाइम मिलना भी बहुत ज़रूरी है. आपके और आपके साथी की जो हॉबीज़ एक-दूसरे सेअलग हैं या फिर उन्हें जो भी करने से ख़ुशी मिलती है, उसके लिए सप्ताहभर या 15 दिनों में एक बार उन्हें मी टाइम दीजिए… बिना कोई सवाल किए. और फिर देखिए कि आपके रिश्ते में किस तरह फ्रेशनेस लौट आती है. मी टाइम हर व्यक्ति को उसके हक़ की तरह मिलना चाहिए, ताकि उसे अपनी तरह बिताकर वह व्यक्ति तरोताज़ा हो सके, ऊर्जावान महसूस कर सके. यदि आप दोनों एक-दूसरे को मी टाइम नहीं देते हैं तो अंतत: यह आपके रिश्ते के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
निजता का हनन करना
भले ही आप दोनों पार्टनर हैं या कपल हैं, लेकिन हर व्यक्ति की निजता का सम्मान बहुत ज़रूरी है, ख़ासतौर पर आज के दौर में. यदि आप अपने साथी की निजता का सम्मान नहीं करेंगे तो आपके रिश्ते की उम्र बहुत लंबी नहीं रहेगी. कपल्स को आपस में एक-दूसरे की अनुमति के बिना फ़ोन को चेक करना, मैसेजेस चेक करना जैसी आदतों से बचना चाहिए. यदि आप अपने साथी पर भरोसा करते हैं तो आपको इस बात की ज़रूरत ही नहीं महसूस होनी चाहिए कि आप उन पर शक़ करते हुए उनके फ़ोन को टटोलें. साथ ही, अपने कामकाजी साथी से उसके क्रेडिट, डेबिट कार्ड्स के डीटेल्स भी न मांगे.
सम्मान न देना या ईमानदार न रहना
हर व्यक्ति के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए. इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वो आपसे उम्र में बड़ा है या छोटा, अमीर है या ग़रीब, लड़का है या लड़की. यह बात गांठ बांध लेंगे तो किसी भी तरह के रिश्ते निभाने में समस्या नहीं आएगी. यदि दोनों पार्टनर्स में से किसी एक को भी दूसरे को सम्मान देने की आदत नहीं है तो आपका रिश्ता कितना आगे बढ़ेगा यह कहा नहीं जा सकता. अत: अपनी आदत सुधारें और अपने साथी को सम्मान देना सीखें. और जब बात कपल्स की हो रही है तो इस रिश्ते में ईमानदारी नहीं है तब तो यह रिश्ता बिल्कुल नहीं टिकेगा.
यदि आपने ऊपर बताई हुई समस्याओं को अपना अहं बीच में न लाते हुए अच्छी तरह काम किया और समय रहते सुलझा लिया तो रिश्ते अपनी उम्र को पूरा ज़रूर करेंगे.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट