बचपन में, जब आप नर्सरी में पढ़ते रहे होंगे, तब आपको जो तीन जादुई शब्द सिखाए गए थे, वे ताउम्र आपके काम आने वाले हैं. जी हां, वर्कप्लेस पर भी. ये शब्द हैं- थैंक यू, प्लीज़ और सॉरी. हम कहना ये चाहते हैं कि विनम्र रहना, शिष्टाचार का पालन करना और समय-समय पर इन जादुई शब्दों का इस्तेमाल करते रहना ऑफ़िस में भी आपकी राह आसान करेगा और आपको सब का फ़ेवरेट बना देगा.
हम सभी अपने ऑफ़िस में कभी न कभी दूसरों से मदद लेते हैं, काम से जुड़ी किसी बात पर हमारी अपने कलीग्स से कहासुनी भी हो जाती है और कई बार बात ज़्यादा ही बढ़ जाती है. स्थितियां चाहे जो हों, विनम्र बने रहना और ऑफ़िस शिष्टाचार का पालन करना हमेशा ही हमारे पक्ष में काम करता है. यदि आप किसी से मदद मांगना चाहते हैं तो प्लीज़ शब्द आपके बहुत काम आएगा और जो व्यक्ति आपकी मदद करता है, उसे थैंक यू कहना भी. यदि आपसे कोई गलती हो गई है तो सॉरी कहने में कोई संकोच न करें.
सोसाइटी फ़ॉर ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट (SHRM) एचआर मैगज़ीन के एक आलेख में कैथी गरशीक, जो जर्नलिस्ट हैं, लिखती हैं कि ऑफ़िस में ’थैंक यू’ या ‘आइ एम सॉरी’ कहना न सिर्फ़ लोगों के साथ काम करना आसान बनाता है, बल्कि इसके नतीजे बहुत चौंकाने वाले होते हैं. ये शब्द यदि इस तरह कहे जाएं कि सुनने वाले व्यक्ति को लगे कि आपने दिल से कहा है तो इन्हें कहने के परिणाम बहुत सकारात्मक हो सकते हैं.
एक ‘प्लीज़’ लोगों को आपकी मदद के लिए प्रेरित करता है
यदि आप किसी से सहयोग चाहते हैं तो वर्कप्लेस पर यह शब्द प्लीज़ आपकी राह को भी आसान बनात है और जिससे आप मदद मांग रहे हैं उसे इस बात के लिए प्रेरित भी करता है कि वह आपकी मदद करें. आख़िरकार विनम्रता और शिष्टाचार ही अनजान लोगों को एक-दूसरे की मदद करने की प्रेरणा देते हैं. और यदि यही एटिकेट हम अपने कलीग्स के प्रति रखेंगे तो वे हमारी मदद क्यों नहीं करेंगे? कई बार ऑफ़िस में हमें अलग-अलग विभागों से काम करवाने पड़ते हैं और इसके लिए पद में हमसे छोटे या बड़े लोगों के साथ कोऑर्डिनेट करना पड़ता है. यदि आप इस बात की चिंता छोड़े के कि सामने वाला आपसे ऊपर के पद पर है या नीचे, अपनी बातचीत में कहीं प्लीज़ शब्द का इस्तेमाल कर देगें तो इसका प्रभाव आपको तुरंत ही दिखाई देगा. सामने वाल व्यक्ति तुरंत ही आपकी बात सुनेगा और मदद करने को तत्पर हो जाएगा.
एक ‘थैंक यू’ ढेर सारी ख़ुशी देता है
जब आप थैंक यू कहते हैं तो आप किसी का आभार प्रगट करते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया में कृतज्ञता यानी ग्रैटीट्यूड पर किए गए एक अध्ययन के बारे में इस आलेख में बताया गया है कि 10 सप्ताह तक तीन समूहों के लोगों पर किए गए अध्ययन से पता चला कि जो लोग अपने जीवन में हुई बातों के प्रति कृतज्ञ रहे, वे ख़ुश भी रहे और स्वस्थ भी. लोगों के तीन समूहों में से पहले समूह से कहा गया कि वे 10 सप्ताह तक केवल उन बातों के बारे में लिखें, जिनके प्रति वे शुक्रिया का नज़रिया रखते हैं, दूसरे ग्रुप से कहा गया कि वे केवल उन बातों को लिखें जो उन्हें परेशान करती हैं और तीसरे ग्रुप से कहा गया कि वे उन बातों के बारे में लिखें, जिन्होंने उन्हेंने प्रभावित किया (इसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही बातें शामिल हों). फिर इनका विश्लेषण करने पर पाया गया कि जिन लोगों ने आभार प्रगट किया वे न सिर्फ़ बहुत आशावान और ख़ुश थे, बल्कि वे ऊर्जावान भी थे. अब सोचिए, यदि आप किसी को वर्कप्लेस पर आपकी मदद करने के लिए एक थैंक यू कह कर आभार प्रगट करेंगे तो वह तो ख़ुश होगा ही आप भी ऊर्जावान बन रहेंगे. और आपका कामकाज बेहतर हो जाएगा.
एक ‘सॉरी’ बिगड़ती बात को बना देता है
गलती किसी से भी हो सकती है. और जब जाने-अनजाने गलती हो जाए तो उसे समय रहते सुधार लेना सबसे अच्छी बात होती है. यदि ऑफ़िस में कलीग्स के साथ आपके व्यवहार में या फिर आपसे काम में किसी तरह की लापरवाही हुई है तो स्थिति तनावपूर्ण होने से पहले, उसे संभालने के लिए आपकी ओर से सॉरी कहा जाना बेहद ज़रूरी है. हम सभी गलतियों से सीख कर ही आगे बढ़ते हैं, लेकिन यदि हमारी किसी गलती की वजह से ऑफ़िस कलीग्स को ठेस पहुंची हो या फिर ऑफ़िस का कोई नुक़सान हुआ हो तो आगे बढ़ कर इस बात की माफ़ी मांग लेना आपके करियर को परेशानी से बचा ले जाएगा. सही समय पर माफ़ी मांगना या सॉरी कह देना एक ऐसी स्किल है, जो करियर को आगे बढ़ाने में मदद करती है.
फ़ोटो: फ्रीपिक