‘मोहब्बत और जंग में सब जायज़ है’ क्या होता है दुनिया के बादशाहों के यह कहने का मतलब? जानें, क्या फ़र्क़ है उनकी मोहब्बत और हमारी मोहब्बत में? पढ़ें, जानेमाने चिकित्सक, लेखक और विचारक डॉ अबरार मुल्तानी का नज़रिया.
लगभग विश्व के हर बादशाह ने यह डायलॉग कभी न कभी ज़रूर कहा है. यह डायलॉग एक छलावा है जो वे आम लोगों की तरफ़ उछालते हैं. आवाम को लगता है कि अगर बादशाह जंग में सब कुछ कर सकता है तो हम भी मोहब्बत में सबकुछ करने को आज़ाद हैं. लेकिन यहां वे एक बात भूल जाते हैं कि हर जंग के पीछे प्रेम ही छुपा होता है. किसी चीज़ से प्रेम के बिना आप किसी अन्य से नफ़रत नहीं कर सकते. मैं जानता हूं आपको यह वाक्य अटपटा लगा होगा क्योंकि प्रेम शब्द का महिमामंडन ही इतना कर दिया गया है. हम इस शब्द के साथ नकारात्मकता बर्दाश्त ही नहीं कर सकते. बादशाह का प्रेम किसी और सल्तनत के लिए या अपनी ही सल्तनत और तख़्त को बचाने के लिए होता है. जब प्रेमी और प्रेमिका यह सोचते हैं कि प्रेम में सब जायज़ है और वे अपने परिवार के ख़िलाफ़ जाकर प्रेम विवाह कर लेते हैं तो वहीं उनके माता पिता और भाई यह सोच रहे होते हैं कि अब परिवार की आबरू बचाने वाली जंग में सब कुछ जायज़ है.
हमसे शासकों ने कई छलावे किए हैं और मैं मानता हूं कि सबसे बड़ा छलावा यही है कि वे ‘मोहब्बत और जंग में सबकुछ जायज़’ ठहराने को हमारे अवचेतन में सही साबित कर चुके हैं. जब वे जंग में इंसानियत का क़त्लेआम मचाते हैं तो हमें यह लगता है कि हम भी मौक़ा मिलने पर प्रेम में सबकुछ करने के लिए स्वतंत्र कर दिए गए हैं. जबकि उनका मासूम प्रेम अपने प्रेमी या प्रेमिका से कोई क़यामत नहीं लाता है. हम आम लोग प्रेम को केवल यही तो मानते हैं. जबकि शासकों को किसी और चीज़ से प्रेम होता है. उनका प्रेम उनसे क्रूरता की हद तक नफ़रत करने के लिए प्रेरित करता है. उनके प्रेम ने कई जंगें करवाई और अनगिनत मासूमों का क़त्लेआम करवाया.
हमारी मासूम मोहब्बतों में ‘सबकुछ जायज़ है’ का मतलब बस इतना है कि थोड़ा सा झूठ बोल लिया, कोई वादा महबूबा से कर लिया जिसे निभाने का कोई इरादा नहीं था… बस. जबकि बादशाह की नफ़रत में क्या क्या जायज़ था-हज़ारों लोगों का क़त्ल, कई लोगों की ग़ुलामी, कई औरतों के बलात्कार, कई मासूम बच्चों के क़त्ल…कोई इन्तहा ही नहीं.
तो दोस्तों याद रखें बादशाह जब कहता है कि मोहब्बत और जंग में सब जायज़ है तो वह कहता है उसकी तख़्त की मोहब्बत और उसे बचाने की जंग में सबकुछ जायज़ है उसका हमारी मोहब्बत से कोई लेना देना नहीं होता. आप उससे यह कहें कि हम हमारी मोहब्बत में ईमानदारी से काम लेंगे आप भी अपनी जंग में ईमानदार रहना.
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