क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जो दूसरों का मन रखने के लिए या अपने सामने आए हर अवसर का लाभ उठाने आपको दिए गए हर काम को करने की हामी भर ही देते हैं, फिर चाहे इसके लिए आपका मन हो या न हो? और बाद में काम की अधिकता से परेशान हो उठते हैं? यदि आपका जवाब ‘हां’ है तो यह बहुत ज़रूरी है कि आप ‘ना’ कहने की अहमियत को समझें. समय पर ‘ना’ कहने से न सिर्फ़ आपका जीवन आसान होता है, बल्कि आपकी सेहत पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ता है.
हम मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं और एक-दूसरे के साथ रह कर, एक-दूसरे की मदद कर के ही आगे बढ़ते हैं और ख़ुश रहते हैं. हम हमेशा अपने परिजनों, दोस्तों, ऑफ़िस कलीग्स वगैरह को ख़ुश रखना चाहते हैं और यही वजह है कि जब कोई हमसे किसी काम के लिए कहता है तो उसे सीधे-सीधे मना करना हमें अच्छा नहीं लगता. और उनका मन रखने के लिए हां कह कर हम उस काम को बेमन से करते चले जाते हैं.
पर बात कवल यहीं नहीं रुकती. बेमन से काम करने की वजह से आपके व्यवहार में बदलाव आता है और आपको पता भी नहीं चलता कि धीरे-धीरे कब आप चिड़चिड़े होने लगे हैं, अपने ऊपर दबाव महसूस करने लगे हैं और आपके काम की गुणवत्ता यानी क्वालिटी प्रभावित होने लगी है. लगातार ऐसा महसूस करते रहने का नकारात्मक असर आपके स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. यही वजह है कि हम आपको सलाह देंगे कि जो काम ग़ैरज़रूरी हैं उन्हें करने से मना करें. अपनी सेहत को दुरुस्त रखने और अपने परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताने के लिए ‘ना’ कहना सीखें.
#1 ना कहने का फ़ायदा: आप ख़ुश रहते हैं
अपनी किताब दि पावर ऑफ़ नो में लेखक जेम्स अल्चर कहते हैं,‘‘जब आप किसी ऐसी चीज़ को करने की हामी भर देते हैं, जिसे आप नहीं करना चाहते तो आप उस काम के प्रति नफ़रत से भर जाते हैं; जो व्यक्ति आपको यह काम देता है, उसके प्रति चिड़चिड़े हो जाते हैं और इस तरह आप ख़ुद को तकलीफ़ पहुंचाते हैं.’’ जबकि यदि आप किसी ग़ैरज़रूरी काम को करने से इनकार कर देते हैं तो आप अपने मनपसंद काम के लिए समय निकाल सकते हैं, जिससे आपको ख़ुशी मिलेगी.
#2 ना कहने का फ़ायदा: आप संभावित शोषण से बच पाते हैं
आपने ये तो सुना होगा कि ‘नहीं’ एक छोटा और अपने आप में पूरा वाक्य है. सही जगह पर और सही तरीक़े से इसका इस्तेमाल करके आप अपने संभावित शोषण से बच सकते हैं. ना कहने में साहस लगता है और सुनने वाले को यह कठोर भी लग सकता है, लेकिन इस तरह आप अपने लिए एक सीमा तय कर सकते हैं और उस बचे हुए समय का अपने लिए, अपने हिसाब से सदुपयोग कर सकते हैं.
#3 ना कहने का फ़ायदा: आपको ख़ुद को समझने में मदद मिलती है
यदि आप किसी काम को करने से मना करते हैं तो आपको अपने बारे में पता चलता है, मसलन: आपकी सोच क्या है, आप किन नैतिक मानदंडों में भरोसा करते हैं; आपकी पसंद क्या है; आपको कौन सी चीज़ें नापसंद हैं; आप अपने ख़ाली समय में क्या करना चाहते हैं; आपके शौक़ क्या हैं वगैरह. और ख़ुद को जान पाना, फिर अपने मन की कर पाना इन दोनों ही बातों से आपको सुकून मिलता है. एक ग़ैरज़रूरी काम को ‘ना’ कह कर आप मन का सुकून पा सकते हैं.
#4 ना कहने का फ़ायदा: लोग आपकी क़द्र करना शुरू कर देते हैं
यदि आप हर बात में हां कह कर काम को अपने ऊपर लाद लेते हैं तो वह व्यक्ति जो आप को काम देता रहता है, उसे आपकी अहमियत का एहसास ही नहीं होता. साथ ही, आप काम के बोझ तले दबा हुआ और तनावग्रस्त महसूस करने लगते हैं. वहीं, जब आप किसी काम को करने से विनम्रता के साथ मना कर देते हैं और सामने वाले व्यक्ति को यह एहसास दिला देते हैं कि आपकी प्राथमिकता कुछ और है तो धीरे-धीरे वह व्यक्ति आपके समय की और आपकी क़द्र करना शुरू कर देता है. एक बार आप साहस कर के किसी को ‘ना’ कह कर देखिए आपको ‘नहीं’ की शक्ति का एहसास ख़ुद ब ख़ुद हो जाएगा.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट