साबुत मूंग में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें पोटैशियम और आयरन जैसे तत्व होते हैं, जो ब्लड प्रेशर और मसल्स कैम्प को नियंत्रित करते हैं. ऐंटिऑक्सिडेंट्स से भरपूर साबुत मूंग एक लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला भोजन है, जो शरीर में ब्लड शुगर लेवल को सही रखता है. साबुत मूंग के एक ख़ास फ़ायदे के बारे में हमें जानकारी दे रहे हैं डॉक्टर दीपक आचार्य.
मूंग से जुड़ी इस जानकारी को गांठ बांधकर रख लें. हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए आदिवासी इलाक़ों में महिलाओं को एक ख़ास चीज़ खाने की खूब सलाह दी जाती है, वो चीज़ है साबुत मूंग यानी खड़ी या अक्खी मूंग. बुज़ुर्ग इस बात को तय करते हैं कि प्रेग्नेंट महिला हफ़्ते में दो से तीन बार क़रीब दो मुट्ठी उबली हुई मूंग ज़रूर कन्ज़्यूम करें. पातालकोट में बुज़ुर्ग जानकार बताते हैं कि मूंग प्रेग्नेंसी के दौरान ताक़त देने का काम करती है. अक्सर बातचीत के दौरान मैं सोचता रहता था कि मूंग के सेवन को लेकर बुज़ुर्ग इतनी गंभीरता से अपनी बात क्यों रखते हैं?
चलिए, अब थोड़ा आधुनिक विज्ञान के तथ्यों पर ग़ौर करते हैं. मॉडर्न मेडिसिन एक्स्पर्ट्स का कहना है कि प्रेग्नेंसी के दौरान फ़ोलेट की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों का सेवन अत्यंत महत्वपूर्ण है. आपने भी देखा होगा कि अधिकांश प्रेग्नेंट महिलाओं को फ़ॉलिक ऐसिड टेबलेट्स प्रेस्क्राइब की जाती है. माता के गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत और सम्पूर्ण विकास के लिए फ़ोलेट बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. फ़ोलेट की कमी बर्थ डिफ़ेक्ट के लिए भी उत्तरदायी हो सकती है.
मज़े की बात ये है कि एक कप उबली या अंकुरित मूंग में दिनभर के लिए आवश्यक फ़ोलेट का 80% हिस्सा प्राप्त हो जाता है. इनमें आयरन, प्रोटीन और फ़ाइबर भी ख़ूब पाए जाते हैं, जिन्हें बेहतर प्रेग्नेंसी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता रहा है.
हालांकि, प्रेग्नेंसी के दौरान अंकुरित मूंग को फ्राई करके या उबालकर ही उपयोग करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि अंकुरित मूंग में बैक्टीरिया संक्रमण की गुंजाइश बनी रहती है. तो ध्यान इस बात का रखा जाए कि मूंग को अंकुरित करें या उबाल लें, उसके बाद उसे फ्राय करके ही खाएं या खाने के लिए दें.
काम की जानकारी है, सोचा आप सब से साझा किया जाना चाहिए, ये हमारे देश का ज्ञान है, आदिवासियों का पारंपरिक ज्ञान. बाय द वे, यही मूंग, इसी तरह से सेवन किया जाए तो डायबिटीज़, हाई बीपी और LDL को क़ाबू करने में मददगार होती है, है ना ये बड़े काम की चीज़?
अब करना क्या है? अपने दोस्त दीपक आचार्य की बात को साझा करें, ताकि हम स्वस्थ भारत के निर्माण में मददगार बन जाएं. भटको तो सही, कहां दवा-दारू के चक्कर में अटके हुए हो… भई, समाधान रसोई में ही है, अच्छा खाएं, स्वस्थ रहें.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट