आज के दौर की पढ़ी-लिखी और जागरूक भारतीय महिलाओं में से लगभग सभी ने मेन्स्ट्रुअल कप के बारे में सुन तो रखा ही होगा. लेकिन इसे इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या अब भी उतनी नहीं है, जितनी कि होनी चाहिए. इसकी कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन हमें पूरा भरोसा है कि माया माधवन* की यह आपबीती जान कर आप ज़रूर मेन्स्ट्रुअल कप के इस्तेमाल को तरजीह देंगी. और एक बार आपने इसे अपनाया तो आप पीछे मुड़ कर नहीं देखेंगी.
‘‘मैं बिल्कुल आम-सी, साधारण, कामकाजी भारतीय महिला हूं. ये अलग बात है कि मुझे नई चीज़ों को आज़माने का शौक़ है. बाज़ार में कोई भी नया प्रोडक्ट आता है तो मैं उसे एक बार आज़मा कर ज़रूर देखती हूं. मेन्स्ट्रुअल कप के बारे में मैंने पहली बार आज से सात साल पहले सुना था, लेकिन मैं इसे अपनाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी. मुझे लगा कि यूं भी पीरियड्स के दौरान कितना दर्द होता है, मूड स्विंग्स होते ही हैं. ऐसे में कोई चीज़ अपनी वजाइना में इन्सर्ट करना कितना मुश्क़िल और दर्दभरा होता होगा.
‘‘पीरियड्स के दौरान पैड के इस्तेमाल से मुझे एलर्जी होती थी, थाइज़ के आसपास रैशेज़ और खुजली तो हर बार होती ही थी. ऐसे में किसी नई चीज़ के इस्तेमाल से हो सकने वाले परिणामों को झेलने की क्षमता मुझमें नहीं थी. मेन्स्ट्रुअल कप के बारे में जानने के कोई दो वर्ष बाद मेरी एक डिस्टेंट कज़न से मेरी फ़ोन पर बातचीत हुई. वह कज़न ईको-फ्रेंडली चीज़ों को बढ़ावा देने पर बेहतरीन काम कर रही थी. उसने बातों-बातों में मुझे बताया कि वह अब सैनेटरी पैड्स और टैम्पन्स का इस्तेमाल छोड़ चुकी है. इसकी जगह अब उसने मेन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल शुरू कर दिया है और वह इसके नतीजों से बेहद ख़ुश है.
‘‘मेरी कज़न वह पहली महिला थी, जिससे मैंने मेन्स्ट्रुअल कप के इस्तेमाल के फ़ायदों के बारे में जाना. उसने बताया कि इसका इस्तेमाल आसान है. उसने कहा कि यदि आप एक बार इसे सही तरीक़े से यूज़ कर लोगे तो आप इसे इतना कंफ़र्टेबल पाओगे कि किसी भी तरह के पैड्स का इस्तेमाल छोड़ दोगे. मेरी ईको-फ्रेंडली कज़न यह बताने से भी नहीं चूकी कि पांच दिन के पीरियड्स में आप सालभर में 60 पैड्स इस धरती पर फेंक कर उसे पलूटेड करती हो और क्या आपको पता है कि एक मेस्ट्रुअल कप को आप कम से कम पांच सालों तक इस्तेमाल कर सकती हो? यानी धरती पर एक महिला यदि इसे इस्तेमाल करे तो पांच सालों में 300 पैड्स लैंडफ़िल में नहीं जाएंगे. इससे धरती पर पलूशन कितना कम हो जाएगा?
‘‘अगर मैं आपसे सच कहूं तो उससे बात करने के बाद भी मैंने तीन महीनों का समय लिया ख़ुद को मेन्स्ट्रुअल कप के इस्तेमाल के लिए तैयार करने में. और इसकी सबसे बड़ी वजह सिर्फ़ यही थी कि मैं अपनी ओर से धरती को कम पलूट करूंगी. मैंने ऑनलाइन मेन्स्ट्रुअल कप के बारे में काफ़ी वीडियोज़ देखे. पर मैं इसे ऑनलाइन मंगाना नहीं चाहती थी. अत: आसपास की बड़ी मेडिकल शॉप में इसके बारे में पूछताछ की. मुझे तब आश्चर्य हुआ जब एक बड़ी मेडिकल शॉप में मौजूद स्टाफ़ को मेन्स्ट्रुअल कप के बारे में पता ही नहीं था. मुझे कम से कम तीन बार बहुत ज़ोर से ‘मेन्स्ट्रुअल कप’ कह कर उन्हें समझाना पड़ा कि यह क्या है. आसपास मौजूद दूसरे कस्टमर्स, जिनमें एक महिला और दो पुरुष थे, मुझे घूरकर देख रहे थे.
‘‘बहरहाल मैंने दूसरी शॉप का रुख़ किया और गनीमत थी कि उन्हें इसके बारे में पता था. मैं मेन्स्ट्रुअल कप ले कर घर लौटी और सोचा कि अभी पीरियड्स आने में कुछ दिन हैं तो मैं अगले दिन इसे इन्सर्ट करने की प्रैक्टिस कर लूंगी. पर वाह री किस्मत! दूसरे दिन जब उठी तो पाया कि परीयड्स पदार्पण कर चुके हैं. मैंने मेन्स्ट्रुअल कप के पैक पर लिखे निर्देशों के मुताबिक़ इसे स्टरलाइज़ किया और जब वह ठंडा हुआ तो इन्सर्ट करने की कोशिश की.
‘‘पहले से वीडियोज़ देख कर यह तो जान चुकी थी कि इसे अलग-अलग फ़ोल्ड्स में इन्सर्ट किया जा सकता है और हर महिला को किसी अलग तरह का फ़ोल्ड इन्सर्ट करने में आसान लग सकता है. एक-दो तरीक़े से ट्राइ करने के बाद भी वह सही से इन्सर्ट नहीं हुआ. मैं हिम्मत हारने ही लगी थी कि अपनी कज़न का कहा हुआ वो वाक्य याद आया कि यदि एक बार आप इसे सही तरीक़े से यूज़ करना सीख लोगे तो… मैंने गहरी सांस ली, ख़ुद को रिलैक्स किया और अबकि ‘सी’ या जिसे ‘यू’ फ़ोल्ड भी कहते हैं, उसमें इसे इन्सर्ट करने की कोशिश की. और यह बहुत ही आसानी से अंदर स्लाइड कर गया. इसकी टिप अब भी थोड़ी बाहर ही थी, पर टिप से खींचने पर भी यह फ़िट महसूस हुआ. तो मैंने राहत की सांस ली और सोचा कि अब देखते हैं, क्या होता है.
‘‘लगभग एक घंटे बाद मैं स्नान के लिए गई और बाहर निकली तो पूजा घर में दीप जलाने का सोचा. मैं पूजा घर की ओर बढ़ी ही थी कि मुझे याद आया- ओह, आज तो पीरियड्स शुरू हुए हैं (आज भी हमारे यहां पीरियड्स के दौरान पूजा की मनाही है!). पहली ही बार में मेन्स्ट्रुअल कप मुझे इतना कंफ़र्टेबल महसूस करा देगा कि मुझे याद भी नहीं रहेगा कि मेरे पीरियड्स हैं, ये तो मैंने सपने भी नहीं सोचा था. पर यह याद आते ही मैं डर भी गई- लगा तो लिया है इसे, पर ये तो पता ही नहीं चल रहा कि यह अंदर है तो ये निकलेगा कि नहीं? कहीं अंदर तो नहीं पहुंच गया? मैं घबरा कर वॉशरूम में पहुंची और इसे निकालने की कोशिश करने लगी. मैंने इसे खींच कर निकालना चाहा तो निकला ही नहीं. मेरी सांस अंदर की अंदर और बाहर की बाहर. फिर याद आया एक वीडियो में देखा था कि नीचे की ओर से इसे पिंच किया जाए (चोंटी काट जाए) तो यह आसानी से निकल आता है. वैसा किया तो पलभर में यह बाहर निकल आया.
‘‘चूंकि यह ऐसी जगह है, जहां नई चीज़ को इस्तेमाल करना आसान नहीं है और अब इसे दोबारा इन्सर्ट करना होगा यह सोच कर मैं फिर परेशान थी, लेकिन इस बार इसे इन्सर्ट करना भी आसान था, क्योंकि इसका तरीक़ा मुझे पता चल गया था. किस फ़ोल्ड में इन्सर्ट करना है यह तो मालूम था ही, पर इस बात का भी अंदाज़ा लग गया था कि अपनी बॉडी को रिलैक्स रखना होगा, बॉडी स्टिफ़ हुई तो यह आसानी से अंदर नहीं जाएगा.
‘‘इसे एक बार इन्सर्ट करने के बाद आठ से दस घंटों तक आपको किसी बात की फ़िक्र नहीं होती. यह बात मुझे मेन्स्ट्रुअल कप के पहले दिन के इस्तेमाल में ही समझ आ गई थी. लग ही नहीं रहा था कि पीरियड्स चल रहे हैं, क्योंकि एक बार सही से इन्सर्ट होने पर मेन्स्ट्रुअल कप कहां है, आपके शरीर में है भी कि नहीं यह भी हमें महसूस नहीं होता. और सबसे अच्छी बात थी कि दिन में एक बार भी खुजली या रैश का एहसास नहीं हुआ. हां, एक काम की बात और…यदि इस बीच आप सुसू या पॉटी के लिए जाती हैं, तब भी इसे निकालने की ज़रूरत नहीं होती, क्योंकि यह आपकी वजाइना के इतने भीतर पहुंच जाता है, जहां इन क्रियाओं की वजह से यह बिल्कुल गंदा नहीं होता.
‘‘इसकी एक और ख़ास बात यह है कि मेन्स्ट्रुअल कप से ज़रा भी लीकेज नहीं होता. हालांकि आपको पहले तो विश्वास ही नहीं होता और फिर जब आपको इस बात का विश्वास हो जाता है कि ज़रा भी लीकेज नहीं होगा तो आप पीरियड्स के दौरान रात के समय अपने अन्डरवियर को उतार कर भी सो जाएं तो भी इस बात को लेकर निश्चिंत रहते हैं कि बेडशीट पर किसी तरह के दाग़-धब्बे नहीं आने वाले. पांच दिन बीत जाने पर भी न खुजली, न रैशेज़, न हर तीन-चार घंटे में पैड बदलने जैसी झंझट.
‘‘यही नहीं, यह ईकोनॉमिक भी तो है लगभग 500 रुपए में एक मेस्ट्रुअल कप आता है (ये क़ीमत अलग-अलग ब्रैंड के लिए अलग भी हो सकती है), जो कम से कम पांच और ज़्यादा से ज़्यादा 10 वर्षों तक (जैसा इसके पैकेट पर लिखा हो) इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे कैरी करना भी आसान है. इस्तेमाल करने से पहले एक बार स्टरलाइज़ करना है, फिर पांच दिन इस्तेमाल कीजिए और रखने से पहले भी स्टरलाइज़ कर लीजिए. बस, यही इसकी देखरेख का तरीक़ा है.
‘‘इसे इस्तेमाल करते रहने के कुछ समय बाद मुझे इस बात की भी जानकारी हुई कि जिन महिलाओं को लेटेक्स या सिलिकॉन से एलर्जी है, उन्हें इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. मेन्स्ट्रुअल कप के साइज़, इस्तेमाल के तरीक़े वगैरह की जानकारी तो इंटरनेट पर बहुतायत से उपलब्ध है, लेकिन मैं आपको अपना फ़र्स्टहैंड एक्स्पीरियंस इसलिए बता रही हूं, ताकि आपके मन के भीतर इसके इस्तेमाल को लेकर जो भी डर हैं, वो निकल सकें.
‘‘मैं पिछले साढ़े चार वर्षों से मेन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल कर रही हूं इसलिए आपको यह भी कहूंगी कि यदि आप इसके इस्तेमाल को लेकर डर रही हैं तो किसी गायनाकालॉजिस्ट या फिर दोस्त की सलाह लें, अपना डर मिटाएं. पर मेन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल ज़रूर करें. इससे आप न सिर्फ़ ख़ुद का, बल्कि इस धरती का भी बहुत भला करेंगी. और इसके इस्तेमाल का एहसास आपको बहुत अच्छा लगेगा, ये मेरा वादा है!’’
*आग्रह पर नाम बदला गया है
Comments 2