‘नाम गुम जाएगा’ गुलज़ार साहब की लिखी यह कविता स्वरकोकिला लता मंगेशकर की हमेशा-हमेशा के लिए पहचान बन गई. किनारा फ़िल्म के इस गीत को हम कविता के स्वरूप में ही लिख रहे हैं.
नाम गुम जाएगा
चेहरा ये बदल जाएगा
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
वक़्त के सितम कम हंसी नहीं
आज है यहां कल कहीं नहीं
वक़्त से भरे अगर मिल गए कहीं
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
जो गुज़र गई कल की बात थी
उम्र तो नहीं एक आस थी
रात का सिला अगर फिर मिले कहीं
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
दिन ढले जहां रात पास हो
ज़िंदगी की राह ऊंची कर चलो
याद आए गर कभी जी उदास हो
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
हूं…नाम गुम जाएगा
चेहरा ये बदल जाएगा
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
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