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मेरा चीज़ किसने हटाया: बेशकीमती सबक रूपी मोतियों की छोटी-सी माला

सर्जना चतुर्वेदी by सर्जना चतुर्वेदी
April 3, 2022
in बुक क्लब, समीक्षा
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मेरा चीज़ किसने हटाया: बेशकीमती सबक रूपी मोतियों की छोटी-सी माला
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मुसीबत और अच्छे दिनों में हमारा व्यवहार यह तय करता है कि हमारी ज़िंदगी कैसी होगी. डॉ स्पेंसर जॉनसन ने अपनी किताब ‘मेरा चीज़ किसने हटाया’ में इसी बात को रोचक तरीक़े से समझाया है. अगर आपको भी लगता है कि आपकी ज़िंदगी कष्टों से भरी है तो एक बार यह किताब पढ़कर देखें.

पुस्तक: मेरा चीज़ किसने हटाया
लेखक: डॉ स्पेंसर जॉनसन
प्रकाशक: मंजुल प्रकाशन
मूल्य: 250
कैटेगरी: सेल्फ़ हेल्प
उपलब्ध: amazon.in
रेटिंग: 4.5/5 स्टार
समीक्षक: सर्जना चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार

यह किताब सेल्फ़ हेल्प कैटेगरी की मैनेजमेंट की प्रसिद्ध किताब हू मूव्ड माय चीज़ का हिंदी अनुवाद है. हम सभी की ज़िंदगी में बदलाव के दौर आते रहते हैं, लेकिन बदलाव की इस प्रक्रिया की रफ़्तार तय होती है. ऐसे में जब हम इसे समझ नहीं पाते हैं और अचानक कोई बड़ा बदलाव एक झटके के रूप में हमारे सामने होता है, तो हमें समझ भी नहीं आता है कि हमसे कहां ग़लती हो गई और प्रतिक्रिया के रूप में तुरंत हम परिस्थितियों, संबंधित लोगों को दोष देने में जुट जाते हैं. जबकि ऐसी ही परिस्थिति में हमारे बीच कोई व्यक्ति ऐसा भी होता है जो अपनी ग़लतियों को स्वीकार करके अपनी ज़िंदगी में आई चुनौती को समय रहते पहचान जाता है और अपने हालात और व्यवहार में बदलाव करके अपने लक्ष्य को हासिल कर लेता है. यही मैसेज चार किरदारों स्निफ़ और स्करी नामक दो चूहों और दो छोटे लोग हेम और हॉ की कहानी के माध्यम से दिया गया है. जो हर दिन चीज़ की तलाश में रहते हैं.
स्निफ़ और स्करी समय पर आने वाली मुसीबत को पहचान लेते हैं और बिना थके, बिना परेशान हुए रोज़ाना उतनी ही मेहनत करते हैं, तो ऐसे में जब एक जगह चीज़ ख़त्म होता है, तो वह दूसरी जगह तलाश में जुट जाते हैं. वहीं हेम और हॉ को बड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद जब चीज़ का एक बड़ा भंडार मिल जाता है, तो वे वहीं आराम से रहने लगते हैं और इस बारे में सोचना भी बंद कर देते हैं कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब यह चीज़ ख़त्म हो जाएगा. ऐसे में जब एक दिन सारा चीज़ ख़त्म हो जाता है, तो वे संकट से घिर जाते हैं और परेशान हो जाते हैं. ऐसे में हॉ जहां नए चीज़ की तलाश में नई राह तलाशने लगता है, तो वहीं दूसरी ओर हेम शिकायत करता है, सोचता है कि कोई किसी दिन दोबारा वहां उस चीज़ को रख देगा. संघर्ष की यह छोटी-सी गाथा बेहद रोमांचकारी है. 92 पेज की इस किताब में जीवन के बेहद महत्वपूर्ण संदेश को बहुत कम शब्दों में पिरो दिया गया है.

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सर्जना चतुर्वेदी

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