आदर्श रूप से देखें तो पत्रकारिता एक ज़िम्मेदारी और चुनौतीभरा पेशा है. यह चुनौतियां और ज़िम्मेदारियां दोगुनी हो जाती हैं, जब आप इस क्षेत्र में अपना नाम बनाने के लिए संघर्ष कर रहीं एक महिला हों. डीडी न्यूज़ की समाचार संपादक संगीता अग्रवाल देश की जानी-मानी 20 महिला पत्रकारों के ज़रिए मीडिया में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा कर रही हैं.
पुस्तक: मीडिया में महिलाओं की भूमिका
लेखक: संगीता अग्रवाल
प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
मूल्य: 199 रुपए
कैटेगरी: नॉन-फ़िक्शन
उपलब्ध: amazon.in
रेटिंग: 3/5 स्टार
समीक्षक: सर्जना चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार
भारत में पत्रकारिता की दुनिया में आज़ादी के बाद कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं. प्रिंट पत्रकारिता के संग शुरू हुआ यह सफ़र रेडियो, टेलीविज़न के बाद अब डिजिटल मीडिया के दौर में पैर पसार चुका है. ऐसे में जब हम बात लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में कार्य करने वाली महिला पत्रकारों की बात करते हैं, तो उनके लिए चुनौतियां इस क्षेत्र में भी कम नहीं हैं. ग्लैमर और चकाचौंध से भरे इस क्षेत्र में महिलाओं के संघर्ष के बारे में इसमें बताया गया है. यह किताब उन्हीं महिला पत्रकारों के जीवन, संघर्ष और क़ामयाबी के सफ़र की कहानी है. ख़ास बात यह है कि भले ही इस किताब को डीडी न्यूज़ हिंदी में समाचार संपादक के पद पर कार्यरत संगीता अग्रवाल ने अपने शब्दों में पिरोया है, लेकिन इसमें अनुभव महिला पत्रकारों के साक्षात्कार के रूप में ही दिए गए हैं.
प्राइम टाइम की मशहूर एंकर अंजना ओम कश्यप ने बताया है कि वह कैसे एक सामाजिक कार्यकर्ता से पत्रकार बनीं. वहीं वरिष्ठ पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने निष्पक्षता को ही पत्रकारिता का मूल मंत्र बताया, साथ ही बताया कि कैसे घर में मिली लैंगिक समानता से भरी परवरिश ने कैसे उन्हें हर चुनौती के लिए तैयार रहना सिखाया. जेल सुधार विशेषज्ञ, मीडिया शिक्षक और पत्रकार डॉ. वर्तिका नंदा ने जेल में किए गए सुधार कार्यों और उससे मिले जीवन के महत्वपूर्ण सबक लेखिका के संग साझा किए. खोजी पत्रकारिता के लिए मशहूर पत्रकार शीला रावल अंडरवर्ल्ड तक से ख़बरें निकालने के लिए चर्चित रही हैं, वह कहती हैं कि खोजी पत्रकारिता में आने के लिए सबसे ज़रूरी गहरा रिसर्च करना है. वरिष्ठ पत्रकार और सीएनएन के लिए भारत में रहकर काम करने वाली सुहासिनी हैदर ने युद्ध क्षेत्र में रिपोर्टिंग के अपने अनुभवों को साझा किया है. भारतीय टेलीविजन की दुनिया की सबसे पुरानी महिला कैमरा पर्सन आर. जयश्री पुरी कहती हैं कि अगर आप अपने काम से प्यार नहीं करते हो, तो आप चाहे किसी भी क्षेत्र में हो क़ामयाब नहीं हो सकते. इसी तरह पत्रकारिता में लगभग 50 साल बिता चुकीं वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका मृणाल पांडे प्रमाणिकता बहाली, सूचनाओं की साइबर स्पेस से बिना पड़ताल चोरी और कट पेस्ट की बढ़ती प्रवृत्ति पर रोक को ज़रूरी मानती है. सरल हिंदी भाषा में लिखी गई यह किताब पत्रकारिता के विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए अच्छी किताब है. इसमें 20 महिला पत्रकारों के जीवन की चुनौतियों और क़ामयाबी की इबारत लिखने तक का लेखा जोखा है.