हाल के दिनों में ख़ुद से शादी करने वाली ख़बर चर्चा में रही. उसको लेकर अलग-अलग लोगों की अपनी-अपनी राय है. बहरहाल हम ख़ुद से शादी तो नहीं, ख़ुद से दोस्ती करने के फ़ायदों और तरीक़ों पर बात करना चाहते हैं. वरिष्ठ पत्रकार सर्जना चतुर्वेदी बता रही हैं, भले ही आप हों यारों के यार, लेकिन बहुत ज़रूरी है ख़ुद से करना दोस्ती और प्यार.
दोस्ती… निस्वार्थ प्रेम से भरा ख़ूबसूरत रिश्ता.. इस रिश्ते के बंधन में बंध आप भी अपने दोस्तों पर जान छिड़कते होंगे. आप उनकी हर समस्या को दूर करते होंगे, लेकिन अपनी समस्याओं को सुलझाने में हैरान-परेशान हो जाते होंगे. ऐसा नहीं है कि आपके पास उस समस्या का हल नहीं होगा, बल्कि दिक़्क़त यह है कि आप ख़ुद के दोस्त नहीं बन पाए और समाधान भी नहीं ढूंढ़ पाए. दरअसल आपको ज़रूरत है ‘सेल्फ़ फ्रेंडशिप’ यानी ख़ुद से दोस्ती की. अपने आप से की गई दोस्ती न सिर्फ़ आपको समस्याओं से निजात दिलाएगी, बल्कि ख़ुद को पहचानकर आगे बढ़ने के अवसर भी मुहैया कराएगी.
निशिता अपनी दोस्त प्रिया की किसी भी प्रॉब्लम को चुटकियों में सुलझा देती है, क्योंकि उसे पता है कि प्रिया को कब गुस्सा आता है और उसे कैसे ख़ुश किया जा सकता है. लेकिन जब बात ख़ुद निशिता की आती है तो उसे समझ में नहीं आता कि क्या करना और क्या नहीं. ऐसे में उसके लिए कशमकश की अजीब सी स्थिति आ जाती है. हम भी निशिता से अलग नहीं हैं, क्योंकि हम भी कई बार उसी स्थिति से गुज़रते हैं, जिससे वह गुज़र रही है.
दरअसल हम अपनों को तो समझ लेते हैं लेकिन ख़ुद को समझने में पीछे रह जाते हैं. आखिर जिस शख्स को हम रोज़ आईने में निहारते हैं, वह ख़ुद के लिए भी तो महत्व रखता है. ऐसे में यदि जि़ंदगी में सफलता पाने के साथ-साथ आकर्षक व्यक्तित्व पाना है तो ख़ुद को समझना बेहद ज़रूरी है.
महान कवि और लेखक ऑस्कर वाइल्ड ने कहा है कि,’विजेता अपनी कमज़ोरियों को जानते हुए अपना ध्यान अपनी ताक़त पर लगाते हैं, जबकि हारने वाले अपनी ताक़त को जानते हुए अपनी कमज़ोरियों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं.’
इसलिए व्यक्ति को अपनी समस्याओं को समझते हुए उसके मुताबिक हल करने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि जो इंसान ख़ुद को जानता है वही सफलता प्राप्त करता है. दरअसल दुश्मन को जानना किसी छोटी लड़ाई को जानना हो सकता है, जबकि ख़ुद को जानना एक युद्ध को जीतने से कमतर नहीं है. अमूमन लोग अपनी रणनीति दूसरों के हिसाब से बनाते हैं, लेकिन उनमें विजेता वही बनते हैं जो रणनीति अपने हिसाब से बनाता है.
जब भी उसे समय मिला,
वो सागर के सीने में सिर रखकर सो गया
सयानी नदियां आईं हंसती रहीं,
और एक दिन वो दरिया समंदर बन गया.
ख़ुद को जानना और प्यार करना चाहते हैं, तो ये टिप्स अपनाएं
वैसे तो ख़ुद को जानने का हर इंसान का अपना अलग नज़रिया होता है, लेकिन ये कुछ टिप्स हैं, जिनकी मदद से आप ख़ुद का आकलन कर सकते हैं और जीवन की राह पर आगे बढ़ते चले जा सकते हैं.
तरीक़ा#1 ज़िंदगी की टाइमलाइन बनाएं, उस पर नज़र दौड़ाएं
सोशल नेटवर्किंग साइट फ़ेसबुक पर तो टाइमलाइन आपने बनाई ही होगी, लेकिन कभी अपनी ज़िंदगी की टाइमलाइन बनाई है. जीवन की टाइमलाइन बनाकर ख़ुद को बेहतर बनाया जा सकता है. इसके लिए एक पेपर पर अपने जीवन के उन लक्ष्य को लिखें, जिन्हें जीवन में पाने की चाह है. इसके अलावा अब तक जीवन में जो कुछ पाया या नहीं पाया उन्हें लिखें और छोटे-छोटे दिशायुक्त लक्ष्य निर्धारित करें.
तरीक़ा#2 बना लें ख़ुद को एक कोरी स्लेट
जिस तरह से बचपन में स्लेट पर ग़लत लिखा हुआ मिटा देते थे और फिर से सही लिखने की कोशिश किया करते थे. उसी तरह अब की हुई ग़लतियों को भूलकर, सारी बुराईयां मिटाकर जीवन को साफ़ स्लेट की तरह बनाने का प्रयास करें.
तरीक़ा#3 जिएं सिर्फ़ अपने और अपनों के लिए
जीवन में हमारे आसपास ऐसे कई लोग हैं, जिनमें कुछ हमारे लिए अच्छा सोचते हैं और कुछ ख़राब. हमें सिर्फ़ उन लोगों की परवाह करनी चाहिए जो हमारे अपने हैं, क्योंकि अपने बारे में बुरा सोचनेवालों की परवाह करने से सिर्फ़ हमारी ऊर्जा नष्ट होगी. जो हमारे बारे में अनुचित बोलते हों, उन्हें तवज्जो न दें, वैसे भी ‘यू आर नॉट फ़ॉर एवरी वन इन दिस वर्ल्ड.’ कहावत भी है कि जब आपसे लोग जलने लगें तो समझो कि आप तरक़्क़ी कर रहो हो.
तरीक़ा#4 आत्मचिंतन ज़रूरी है
आपके बारे में बहुत से लोगों की बहुत-सी धारणाएं होंगी, कभी अकेले में ख़ुद को समय देकर सोचें कि क्या वाक़ई इसमें कुछ सच्चाई है. इससे ख़ुद की कमियों और अच्छाइयों का पता चलेगा. दिलचस्प है कि वैदिक ग्रंथों में भी आत्मचिंतन को काफ़ी महत्व दिया गया है.
तरीक़ा#5 कभी ख़ुद से भी बात हो जाए
दोस्तों के साथ अक्सर हम अपनी समस्याएं साझा करते हैं, उनकी शरारतों पर मुस्कुराते हैं, लेकिन इसी तरह कुछ वक़्त हम अपने लिए भी निकाल लें तो बेहतर है. कभी-कभी वीकएंड पर अकेले भी जाया जा सकता है.
तरीक़ा#6 सवाल पूछें और डायरी में लिखें
स्कूल और कॉलेज टाइम में तो कई एग्ज़ाम क्रैक किए होंगे, आसंर शीट भरी होंगी, लेकिन कभी ज़िंदगी की किताब लिखने की ख़्वाहिश मन में पाली है. यदि नहीं तो पालिए और ख़ुद से सवाल पूछकर और उनके जवाब देकर ख़ुद को संतुष्ट कीजिए.
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