अज्ञेय की सबसे ज़्यादा कोट की जानेवाली लघु कविताओं में प्रमुख है ‘सांप’. कविता में सांप को माध्यम बनाकर अज्ञेय ख़ुद को सभ्य कहनेवाले मनुष्यों पर करारा प्रहार कर रहे हैं.
सांप!
तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना
भी तुम्हें नहीं आया।
एक बात पूछूं (उत्तर दोगे?)
तब कैसे सीखा डंसना
विष कहां पाया?
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