ताजमहल, जिसे विश्व के सात आश्चर्यों में एक माना जाता है, जिसे भारत के गौरव से जोड़कर देखा जाता है, उसी ताजमहल के बारे में अलग-अलग लेखकों व कवियों ने अपने-अपने तरीक़े व नज़रिए से लिखा है. किसी ने उसकी सुंदरता का बखान किया है तो किसी ने ऐसी इमारत बनाने के औचित्य पर ही सवाल खड़ा किया है. हिंदी के महान कवियों में शामिल रहे सुमित्रानंदन पंत ताजमहल के विद्रुप रूप का दर्शन करा रहे हैं.
हाय! मृत्यु का ऐसा अमर, अपार्थिव पूजन?
जब विषण्ण, निर्जीव पड़ा हो जग का जीवन!
संग-सौध में हो शृंगार मरण का शोभन,
नग्न, क्षुधातुर, वास-विहीन रहें जीवित जन?
मानव! ऐसी भी विरक्ति क्या जीवन के प्रति?
आत्मा का अपमान, प्रेत औ’ छाया से रति!!
प्रेम-अर्चना यही, करें हम मरण को वरण?
स्थापित कर कंकाल, भरें जीवन का प्रांगण?
शव को दें हम रूप, रंग, आदर मानन का
मानव को हम कुत्सित चित्र बना दें शव का?
गत-युग के बहु धर्म-रूढ़ि के ताज मनोहर
मानव के मोहांध हृदय में किए हुए घर!
भूल गए हम जीवन का संदेश अनश्वर,
मृतकों के हैं मृतक, जीवतों का है ईश्वर!
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