सिनेमाई पर्दे पर ट्रैजिडी क्वीन के नाम से मशहूर मीना कुमारी की असल ज़िंदगी भी किसी ट्रैजिडी से कम नहीं थी. आइए हम उनकी ज़िंदगी से जुड़े 10 ऐसे तथ्यों के बारे में जानते हैं, जिनके बारे में ज़्यादातर लोगों को नहीं पता.
मीना कुमारी की ज़िंदगी का अंत बेहद दुखदाई था, पर बहुत कम लोगों को पता है उनकी ज़िंदगी की शुरुआत भी कम दर्दनाक नहीं थी. आइए, जानें उनकी ज़िंदगी की कुछ ऐसी ही बातें…
1. मीना कुमारी का मूल नाम था महजबीं बानो बख़्श. महजबीं को ‘बेबी मीना’ का नाम फ़िल्म निर्देशक विजय भट्ट ने दिया था.
2. पैदा होते ही महजबीं को आर्थिक तंगी से जूझ रहे पिता अली बख़्श अनाथालय की सीढ़ियों पर छोड़ आए थे. लेकिन बहुत देर तक उनका दिल पत्थर न बना रह सका. थोड़ी ही देर में बेटी को वापस लाने के लिए अनाथालय गए, लेकिन ये देखना किसी सदमे से कम न था कि नन्ही महजबीं बानो के पूरे शरीर पर चींटियां रेंग रही थीं.
3. जब बेबी मीना छह साल की थी, अपनी फ़िल्म जेलर के लेखक कमाल अमरोही के साथ निर्देशक सोहराब मोदी, बेबी मीना के पिता अली बक्श के घर से पहुंचे. उस वक़्त कौन जानता था कि आज बतौर बाल-कलाकार कमाल अमरोही के सामने आने वाली बेबी मीना कल मीना कुमारी के रूप में उनकी जीवन-संगिनी बनेंगी.
4. मीना कुमारी की नानी हेमसुंदरी मुखर्जी, जो कि पारसी थिएटर का प्रमुख नाम थीं, का टैगोर परिवार से कनेक्शन था. हेमसुंदरी के पहले पति जदुनंदन, रबिंद्रनाथ टैगोर परिवार से थे.
5. जिस समय मीना कुमारी ने कमाल अमरोही से शादी की, वो 19 साल की थीं और कमाल थे 34 बरस के. मीना कुमारी कमाल अमरोही को चन्दन कहती थीं और कमाल उन्हें मंजू पुकारते थे.
6. मीना कुमारी की तन्हाई की आवाज़ उनकी निजी डायरियों में क़ैद है, जिनकी वसीयत वे गुलज़ार के नाम कर गई हैं.
7. बहुत कम लोग जानते हैं मीना कुमारी गायिका भी थीं. ‘बहन’ फ़िल्म में सफ़दर सीतापुरी के लिखे गीत ‘तोरा कजरा लगाऊं मोरी रानी…’ से शुरुआत करने के साथ उन्होंने गुलज़ार के लिखे गीत तक को अपने सुरों में बांधा था.
8. पति के प्रताड़ित किए जाने के बावजूद मीना कुमारी का कहना था कि वे अपने पति के नाम के सिंदूर के साथ ही जीवन से विदा होंगी. उन्होंने जीवनभर पति के नाम का सिंदूर लगाए रखा.
9. एक कार ऐक्सिडेंट में चोटिल होने के चलते मीना कुमारी के बाएं हाथ की दो उंगलियां काटनी पड़ी थीं.
10. ट्रैजिडी क्वीन की सबसे यादगार फ़िल्मों में एक पाकीज़ा उनकी मृत्यु के बाद रिलीज़ हुई थी. इस फ़िल्म की शूटिंग का एक दिलचस्प वाक़या है. मुंबई के एक स्टूडियो में लालबहादुर शास्त्री को बुलाया गया था. कई नामी सितारों की मौजूदगी में जैसे ही मीना कुमारी ने लाल बहादुर शास्त्री को माला पहनाई. शास्त्री जी ने पूछा,‘यह महिला कौन हैं?’ उनका सवाल सुनकर वहां मौजूद लोग हैरान रह गए. हालांकि बाद में शास्त्री जी ने अपने भाषण में इस बात को स्वीकार करते हुए मीना कुमारी से कहा,‘माफ़ कीजिएगा. मैंने आपका नाम पहली दफ़ा सुना है…’