ज्ञान प्रकाश विवेक की ग़ज़ल संग्रह ‘गुफ़्तगू आवाम से है’ की ग़ज़लें अपने संग्रह के नाम के मुताबिक आवाम की बात करती हैं और आवाम की वस्तुस्थिति को इस तरह सामने रखती हैं कि हर पाठको बेहद अपनी सी लगती हैं.
अमीरे-शहर की हमने कई उपलब्धियां देखीं
कि मुर्दा जिस्म देखे और ज़िन्दा वर्दियां देखीं
जलाकर रख दिए हमने पुराने लैम्प रस्तों पर
दीयों को धमकियां देते हुए जब आंधियां देखीं
उन्होंनें कार पर शीशा चढ़ाया, आंख पर चश्मा
उन्होंने इस तरह आकर हमारी बस्तियां देखीं
दरख़्तों के पुजारी आए थे जो प्रार्थना करने
यही अफ़सोस कि हाथों में उनके आरियां देखीं
बड़े उत्साह से इस बार हमने बीज डाले थे
बहुत सूखी हुईं इस बार हमने क्यारियां देखीं
वो बस्ते में किताबें-कापियां रखता-हटाता था
कि इक बच्चे की हमने इस क़दर सरगर्मियां देखीं.
इलस्ट्रेशन: पिन्टरेस्ट
ग़ज़ल संग्रह: गुफ़्तगू आवाम से है
प्रकाशक: वाणी प्रकाशन