अपने धर्म से प्यार तो अच्छी बात है, पर हम दूसरे धर्मों ने नफ़रत क्यों करने लगे हैं?
हम तेज़ी से धार्मिक कट्टरता के युग में प्रवेश कर रहे हैं. धार्मिक कट्टरता का अर्थ सिर्फ़ इतना नहीं रहा...
डॉ. अबरार मुल्तानी एक प्रख्यात चिकित्सक और लेखक हैं. उन्हें हज़ारों जटिल एवं जीर्ण रोगियों के उपचार का अनुभव प्राप्त है. आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार करने में वे विश्व में एक अग्रणी नाम हैं. वे हिजामा थैरेपी को प्रचलित करने में भी अग्रज हैं. वे ‘इंक्रेडिबल आयुर्वेदा’ के संस्थापक तथा ‘स्माइलिंग हार्ट्स’ नामक संस्था के प्रेसिडेंट हैं. वे देश के पहले आनंद मंत्रालय की गवर्निंग कमेटी के सदस्य भी रहे हैं. मन के लिए अमृत की बूंदें, बीमारियां हारेंगी, 5 पिल्स डिप्रेशन एवं स्ट्रेस से मुक्ति के लिए और क्यों अलग है स्त्री पुरुष का प्रेम? उनकी बेस्टसेलर पुस्तकें हैं. आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए लिखी उनकी पुस्तकें प्रैक्टिकल प्रिस्क्राइबर और अल हिजामा भी अपनी श्रेणी की बेस्ट सेलर हैं. वे फ्रीलांसर कॉलमिस्ट भी हैं. उन्होंने पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक महाविद्यालय से आयुर्वेद में ग्रैजुएशन किया है. वे भोपाल में अपनी मेडिकल प्रैक्टिस करते हैं. Contact: 9907001192/ 7869116098
हम तेज़ी से धार्मिक कट्टरता के युग में प्रवेश कर रहे हैं. धार्मिक कट्टरता का अर्थ सिर्फ़ इतना नहीं रहा...
रमज़ान रहमत का महीना है. यह शिफा का भी महीना है. आध्यात्मिक यात्रा की चोटी पर ले जाने का एक...
जब किसी एक समूह, जाति, देश या धर्म के लोग ख़ुद को श्रेष्ठ समझने लगते हैं, तब वे जाने अनजाने...
परीक्षा वह बला है, जो सिर पर आते ही अच्छे से अच्छा विद्यार्थी तनावग्रस्त हो जाता है. परीक्षाओं के इस...
आध्यात्म हो, दर्शन या विज्ञान सबने इस सच्चाई को माना है कि दुनिया में कुछ भी स्थिर नहीं है. हर...
अगले कुछ महीनों में देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. उन चुनावों की तैयारियां शुरू...
अभी हमने दीप जलाकर मनाए जानेवाले पर्व दिवाली का स्वागत किया था. दिवाली के इतिहास की बात न करते हुए...
यूएई में खेला जा रहा टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप में मेज़बान भारत (यह वर्ल्ड कप भारत में खेला जानेवाला था,...
साइनसाइटिस के बारे में आपने बहुत सुना होगा. क्या है साइनस को होनेवाली यह समस्या और कैसे आयुर्वेद के द्वारा...
क्राइम फ्री सोसायटी के लिए अक्सर दलील दी जाती है कि सख़्त नियम होने ज़रूरी हैं? आपको क्या लगता है...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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