सबकी बात न माना कर: कुंवर बेचैन की कविता
दुनिया के शोर-शराबे के बीच हमें ख़ुद से भी बात करते रहनी चाहिए. कवि कुंवर बेचैन की कविता ‘सबकी बात...
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दुनिया के शोर-शराबे के बीच हमें ख़ुद से भी बात करते रहनी चाहिए. कवि कुंवर बेचैन की कविता ‘सबकी बात...
जहां स्वार्थ है, वहां कभी भी सच्ची ख़ुशी नहीं आ सकती और जैसे ही हम नि:स्वार्थ भावना से काम करने...
तो आपका ध्यान भी बहुत जल्दी बंट जाता है? आपको लगता है आपकी याददाश्त कमज़ोर हो रही है? आप अपना...
फ़िल्में बनाना ही नहीं सबकुछ नहीं होता, फ़िल्म की टीम उसके प्रमोशन में जी जान लगा देती है. जब फ़िल्म...
क़ैसर-उल ज़ाफ़री के ये शेर इंतज़ार करते आदमी के अंदर भरी कड़वाहट को शब्द देते हैं. यूं बड़ी देर से...
आप अपने फ़िगर पर नाज़ करती हैं और उसका जश्न मनाती हैं तो आपको बता दें कि बॉडीकॉन ड्रेसेस यह...
बच्चों का काम पर जाना, हमारे ही क्या किसी भी समय की सबसे बड़ी विडंबना है. राजेश जोशी की कविता...
इतिहास अपने आप को ख़ुद ही करेक्ट कर लेता है, बशर्ते हमें उसकी दुखती रगों को बार-बार नहीं छेड़ना चाहिए....
होली रंगों और ख़ुशियों का त्यौहार है, पर सभी के नसीब में ख़ुशियों के रंग नहीं होते. कहानी ‘होली’ एक...
हमें पता है कि पिछली बार आपने महामारी के आने के पहले ही रंगों, गुलाल और पानी वाली होली खेली...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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