नाम गुम जाएगा: गुलज़ार की कविता, जो लता मंगेशकर की पहचान बनी
‘नाम गुम जाएगा’ गुलज़ार साहब की लिखी यह कविता स्वरकोकिला लता मंगेशकर की हमेशा-हमेशा के लिए पहचान बन गई. किनारा ...
‘नाम गुम जाएगा’ गुलज़ार साहब की लिखी यह कविता स्वरकोकिला लता मंगेशकर की हमेशा-हमेशा के लिए पहचान बन गई. किनारा ...
‘इन बूढ़े पहाड़ों पर, कुछ भी तो नहीं बदला’ गुलज़ार साहब का लिखा ग़ैरफ़िल्मी गीत है, जिसमें बीच-बीच में उनकी ...
गुलज़ार साहब की यह छोटी-सी कविता, अपने अंदर बड़े गहरे भाव छुपाए बैठी है. कई मुग़ालतों से बाहर खींच लाती ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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