बाबा नागार्जुन और शमशेर बहादुर सिंह के साथ त्रिलोचन को प्रगतिशील कविता की त्रयी का सदस्य माना जाता है. साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित त्रिलोचन की कविताएं समाज की विसंगतियों को पाठक के सामने रख देती हैं.
सौंर और गोंड स्त्रियां
चिरौंजी बनिए की दुकान पर ले जाती हैं
बनिया तराजू के एक पल्ले पर नमक
और दूसरे पर चिरौंजी बराबर तोल कर दिखा देता है
और कहता है, हम तो ईमान की कमाई खाते हैं
स्त्रियां नमक ले कर घर जाती हैं
बनिया मिठाइयां बनाता और बेचता है
उस की दुकान का नाम है
अब वह चिरौंजी की बर्फी बनाता है,
दूर दूर तक उस की चर्चा है
गाहक दुकान पर पूछते हुए जाते हैं
कीन कर ले जाते हैं, खाते और खिलाते हैं
बनिया धरम करम की चर्चा करता है
कहता है, धरम का दिया खाते हैं,
भगवान् के गुण गाते हैं
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